बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को इस बार मायावती नहीं देंगी टिकट, भीम राजभर हो सकते हैं मऊ से दावेदार
दागी छवि के राजनेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा क्या मायावती को मिलेगी इन चुनावों में सफलता
जनज्वार। बसपा सुप्रीमो मायावती चुनावी मैदान में ताल ठोककर उतर चुकी हैं। पिछले दिनों लखनऊ (Lucknow) में जय श्रीराम-जय परशुराम व हर हर महादेव के जयकारों के बीच BSP के प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया तो समापन कार्यक्रम में BSP प्रमुख मायावती (Mayawati) ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कई वादे किए, जिसमें सरकार बनने पर ब्राह्मणों को संपूर्ण सुरक्षा व सहभागिता, नई मूर्तियां- प्रतिमाएं ना लगाना, नए कृषि कानूनों को लागू न होने देने आदि के वादे किए गये। अब मायावती ने साफ किया है कि वह आपराधिक छवि वाले राजनेताओं को टिकट नहीं देंगे। इस लिस्ट में पहला नाम बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का आ गया है। उन्हें बाहर का रास्ता दिखाते हुए उनकी जगह पर मऊ से भीम राजभर दावेदार हो सकते हैं।
वैसे भी 'तिलक, तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार' कहने वाली बसपा सुप्रीमो अब दावा कर रही हैं कि प्रबुद्ध वर्ग की मदद से पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। सरकार बनने पर 2007 की तरह ही ब्राह्मण समाज की सुरक्षा, सम्मान और तरक्की का ध्यान रखा जाएगा। प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के पहले चरण के समापन में मायावती के संबोधन से पहले जय श्री राम और जय परशुराम के नारे लगाए गए। इसके साथ-साथ पार्टी का पुराना नारा, 'हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु,महेश है', का नारा भी लगाया गया। मायावती ने कहा, "बीएसपी ने ब्राह्मण समाज का हमेशा कल्याण किया है। प्रबुद्ध किसी के बहकावे में न आए।"
अब अगला चुनावी दाव मायावती ने यह कहकर खेला है कि वह अपनी पार्टी से दागदार नेताओं को अलग करेंगी, इसीलिए बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का टिकट मऊ से टिकट काटा जाना तय माना जा रहा है।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2017 में मुख्तार अंसारी को मऊ और उनके बेटे अब्बास अंसारी को घोसी से टिकट दिया था। मुख्तार अंसारी को मऊ से बड़ी जीत मिली थी, जबकि उनका बेटा अब्बास चुनाव हार गया था। वहां से भाजपा के फागू चौहान विधायक निर्वाचित हुए थे। इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती के रुख को देख मुख्तार अंसारी का परिवार समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकता है।
गौरतलब है कि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राजभर बिरादरी से आते हैं। माना जा रहा है कि वह अपनी जाति के वोटों को बंटने नहीं देंगे, इसलिए भी उन्हें टिकट दिया जा सकता है। बसपा में राजभर नेताओं में इससे पहले रामअचल राजभर की अच्छी पैठ थी, मगर पंचायत चुनाव के दौरान कुछ राजनीतिक मतभेदों और गड़बड़ियों की बात कहकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। भीम राजभर मायावती के साथ 7 सितंबर को प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी के समापन के दौरान उनके साथ मंचासीन थे, जिससे माना जा रहा है कि बसपा ने राजभर समाज में पॉजिटिव संदेश देने की कोशिश की है, ताकि वोट बैंक बंटे नहीं।