Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

दो विधायकों के बेटों को नौकरी देने पर अड़े अमरिंदर सिंह को झटका, MLA फतेहजंग सिंह बाजवा ने अस्वीकार किया कैबिनेट का ऑफर

Janjwar Desk
24 Jun 2021 9:59 AM GMT
दो विधायकों के बेटों को नौकरी देने पर अड़े अमरिंदर सिंह को झटका, MLA फतेहजंग सिंह बाजवा ने अस्वीकार किया कैबिनेट का ऑफर
x

(सुखबीर सिंह ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के पास कैप्टन के मुकाबले का दूसरा बड़ा नेता भी नहीं है, जिसके दम पर चुनाव लड़ा जा सके।)

विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा ने पार्टी आलाकमान को लिखित रूप में दिया है कि उन्हें अपने बेटे अर्जुन बाजवा के लिए सरकारी नौकरी की आवश्यकता नहीं है, जिन्हें हाल ही में इंस्पेक्टर के पद की पेशकश की गई थी....

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। अभी तक पंजाब कांग्रेस में अपनी जबरदस्त पकड़ रखने वाले सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह क्या अब धीरे धीरे पकड़ खो रहे हैं। कम से कम जिस तरह से पिछले कुछ माह के घटनाक्रम हो रहे हैं, इससे तो यह लग भी रहा है। पहले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के साथ विवाद रहा। इसके बाद पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ भी कैप्टन के खिलाफ हो गए। अब पंजाब कैबिनेट ने जिन दो कांग्रेसी विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने का प्रस्ताव पास किया।

विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा ने पार्टी आलाकमान को लिखित रूप में दिया है कि उन्हें अपने बेटे अर्जुन बाजवा के लिए सरकारी नौकरी की आवश्यकता नहीं है, जिन्हें हाल ही में इंस्पेक्टर के पद की पेशकश की गई थी ।

बाजवा के इस रुख को अमरिंदर सिंह के लिए झटका माना जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि इस कैप्टन को घेरने की तैयारी हो रही है। क्योंकि अभी तक कैप्टन ऐसे सीएम के तौर पर पर जाने जाते हैं, कि जो निर्णय ले लिया, वह अंतिम है। इस पर किंतु परंतु नहीं। यह पहला मौका है, जब उनके निर्णय को लेकर न सिर्फ जबरदस्त सवाल उठ रहे हैं, बल्कि उन्हें घेरा भी जा रहा है।

पंजाब कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पास कर विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा के बेटे को पुलिस में इंस्पेक्टर और कांग्रेस विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार के पद की पेशकश की थी। 1987 में आतंकवादियों ने विधायक राकेश पांडे के पिता जोगिंदर पाल पांडे की हत्या कर दी थी। आतंकवादियों ने पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा की भी हत्या कर दी थी। पंजाब कैबिनेट ने तीन मिनट में प्रस्ताव पास कर दोनों विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी का प्रस्ताव पास कर दिया था। इस पर आम आदमी पार्टी, अकाली दल समेत तमाम विपक्षी दलों ने रोष जताया।

यह विरोध उस वक्त और ज्यादा मुखर हो गया, जब पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सीएम से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि क्योंकि जिन्हें नौकरी का प्रस्ताव दिया गया है, उनकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी है। इसलिए नौकरी नहीं दी जानी चाहिए। जाखड़ के इस बयान के बाद एक बार फिर से पंजाब कांग्रेस में हड़कंप मच गय। आनन फानन में सीएम अमरिंदर सिंह को दिल्ली बुलाया गया। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है।

सुनील जाखड़ ने यह भी कहा था, यदि सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती तो विधायकों को चाहिए कि वह सरकार का यह प्रस्ताव स्वीकार ही न करें।

अभी सीएम अमरिंदर सिंह नवजोत सिद्धू प्रकरण से उभरे ही थे कि सुनील जाखड़ के बयान से फिर मुश्किल में आते दिखाई दे रहे हैं। अब विधायक फतेहजंग ने पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की और अपना लिखित बयान दिया कि उनके बेटे को सरकारी नौकरी की जरूरत नहीं है।

हालांकि लुधियाना के विधायक राकेश पांडे ने अपने बेटे को अनुकंपा के आधार पर नायब तहसीलदार के पद की पेशकश को सही ठहराते हुए कहा कि इस कदम का विरोध करने वाले आतंकवादियों और उनकी विचारधारा के हमदर्द थे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय में कुछ भी गलत नहीं है।

यह विवाद उस वक्त सामने आ रहा है, जब कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। पार्टी आलाकमान की चिंता है कि कैसे दूसरी बार भी पंजाब में बहुमत हासिल किया जाए।

इधर कांग्रेस की आपसी फूट की वजह से पार्टी की स्थित दिन प्रतिदिन कमजोर होती नजर आ रही है। इसके लिए जानकार बहुत हद तक कैप्टन अमरेंदर सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इनका कहना है कि कैप्टन इस वक्त मनमानी कर रहे हैं। वह पार्टी में सभी को साथ लेकर नहीं चल रहे हैं।

पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार सुखबीर सिंह ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू विवाद में सीएम अमरिंदर सिंह को ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि कांग्रेस यह मान कर चल रही है कि सिद्धू को मनाना पार्टी के लिए महंगा सौदा साबित हो सकता है। असली दिक्कत यह है कि पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड और कई विधायक जिस तरह से कैप्टन से नाराज है,इससे पार्टी आलाकमान भी चिंता में हैं।

यूं भी इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन ने बोला था कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा, लेकिन अब वह इस बार भी सीएम चेहरा बनना चाह रहे हैं। इस वजह से पार्टी के दूसरे नेता खासे नाराज है। इसलिए वह कैप्टन को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।

हालांकि इसमें दो राय नहीं कि कैप्टन चीजों को अपने मुताबिक संभाल लेते हैं, सोनिया दरबार में उनकी अच्छी पकड़ है। फिर भी इस बार जिस तरह से कैप्टन को बार बार दिल्ली बुलाया जा रहा है,इससे न सिर्फ सीएम बल्कि उनके खेमे में खासी बेचैनी नजर आ रही है। पार्टी आलाकमान के लिए भी यह मुश्किल वक्त है। क्योंकि अब जबकि चुनाव में बहुत कम समय रह गया है, इस वजह से ऐसा निर्णय लिया जाए कि सभी पक्ष शांत होकर चुनाव में एकजुट हो। वह निर्णय क्या हो? यहीं पार्टी आलाकमान की चिंता है।

सुखबीर सिंह ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के पास कैप्टन के मुकाबले का दूसरा बड़ा नेता भी नहीं है, जिसके दम पर चुनाव लड़ा जा सके। इसलिए कैप्टन की अनदेखी संभव नहीं है। फिर भी जिस तरह से घटनाक्रम चल रहे हैं, इससे यह अंदाजा लग सकता है कि कैप्टन का कद कुछ न कुछ कम किया जा रहा है। इसका पार्टी को नुकसान होगा या फायदा यह आने वाले वक्त ही बताएगा?

Next Story

विविध