ओल्ड अयोध्या के व्यापारियों-दुकानदारों को अभी से सता रहा है योगी के 'बुलडोजर' का डर, क्यों?
ओल्ड अयोध्या के दुकानदारों के डूबते भविष्य पर Ismat Ara की रिपोर्ट
UP Election 2022 : राम मंदिर में अपेक्षित भीड़ से निपटने के लिए सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं पर काम तेजी से चल रहा है, लेकिन जो दशकों से या पीढ़ी दर पीढ़ी दुकान चला रहे हैं, कलाकृतियां और पूजा सामग्री बेच रहे हैं, उन्हें चुनाव बाद तो दूर, अभी से योगी के बुलडोजर का डर सताने लगा हैं। यहां के व्यापारियों को लगता है कि योगी जीत गए तो उनकी आजीविका का सहारा दुकान को कुचल देंगे।
सही से नहीं बोल पाने की वजह से हनुमान गढ़ी मंदिर से कुछ सौ मीटर की दूरी पर 45 वर्षीय रंजीता गुप्ता अपने भाई के साथ कलाकृतियां बेचने वाली एक छोटी सी दुकान चलाती हैं। सही से बोलने में असक्षमता की वजह से उनकी शादी नहीं हुई। इसलिए वह अपने भाई के साथ रहती हैं। पिछले कुछ महीनों से राम मंदिर के लिए सरकार की सड़क चौड़ीकरण परियोजना की वजह से वो खुद के भविष्य को अब असुरक्षित मानने लगी हैं। वह इस बात को लेकर हमेशा चिंतित रहती हैं कि आगे की नैया कैसे पार लगेगी ।
इस दुकान का निर्माण पहले रंजीता के दादा ने किया था। बाद में उनके पिता ने इसे चलाया। उनकी मृत्यु के बाद से वह अपने भाई के साथ इसे चला रही हैं। इस बीच मंदिर के लिए सड़क चौड़ीकरण योजना के तहत दुकानों पर मार्किंग कर दी गई है। यानि उस हिस्से की पहचान कर दी गई है, जिसे गिराकर सड़क निर्माण का कार्य पूरा होना है।
अहम सवाल यह है कि उनके पास जमीन का स्वामित्व नहीं है। जिस पर उसके दादा ने इस बाजार के अधिकांश दुकानदारों की तरह इस दुकान का निर्माण किया था। उनकी छोटी सी दुकान में भगवान राम के फोटो फ्रेम और बैग, अगरबत्ती, और कुछ अन्य रंगीन पूजा सामग्री प्रदर्शित की गई हैं। जय श्री राम, वह जो बैग बेच रही है उसमें से एक पढ़ती है। साथ ही वो इस बात की चिंता में भी डूबी हैं कि राम मंदिर सड़क चौड़ीकरण परियोजना से उनकी दुकान जल्द ही ध्वस्त हो जाएगी। अन्य दुकान क्षेत्र का एक हिस्सा खो देंगे।
अयोध्या विकास योजना
साल 2021 में अयोध्या में विकास योजना ने अपना पहला असर तब दिखाया जब हनुमान गढ़ी रोड पर कई सौ दुकानदारों ने सड़कों के प्रस्तावित चौड़ीकरण का विरोध किया। दुकानदारों द्वारा कई जुलूस निकाले गए। कई दुकानदार प्रशासन से प्रतिक्रिया की मांग को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। इसके बाद पत्र भी लिखे गए। करीब एक साल से ज्यादा समय से दुकानदार व व्यापारी प्रशासन के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं।
दुकानदारों ने दुकानें तोड़े जानेऔर जिन्हें यहां से विस्थापित होना है, को लेकर प्रशासन पर मुआवजे की स्पष्ट योजना नहीं देने का आरोप लगाया है। दुकानदारों का कहना है कि उनके लिए नई दुकानें नहीं हैं। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में राम मंदिर निर्माण के लिए बाबरी मस्जिद को जमीन देने के बाद काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।
मतदान मुद्दा?
दुकानदारों की इस समस्या को विपक्ष दलों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाया है। अयोध्या के मतदाता 27 फरवरी को मतदान करेंगे। समाजवादी पार्टी अयोध्या के उद्योग और व्यापार ट्रस्ट के प्रमुख नंद कुमार गुप्ता, भाजपा उम्मीदवार विवेक प्रकाश गुप्ता के खिलाफ मतदाताओं को जुटाने के लिए चुनावी मौसम का लाभ उठाने में जुटे हैं।
उनका कहना है कि पुराने अयोध्या के व्यापारियों, खासकर छोटे व्यापारियों का भाजपा से मोहभंग हो रहा है क्योंकि यह उनकी आजीविका पर सीधा हमला है। 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर ( भूमि पूजन ) के उद्घाटन के दिन भी छोटे दुकानदारों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए सड़कों से हटा दिया गया था। उनका कहना है कि भाजपा जिस नए मॉल जैसी अयोध्या का निर्माण करना चाहती है उसमें दुकानदारों के लिए स्थान नहीं है।
इसके विस्थापन व दुकान टूटने के बदले मुआवजे को लेकर अनिश्चितता और प्रशासन द्वारा कोई आधिकारिक वादा न करने के कारण कुछ व्यापारियों ने इस बार भाजपा के खिलाफ मतदान करने का मन बना लिया है।
नंद कुमार गुप्ता का कहना है कि भाजपा की योजना अयोध्या में बड़े उद्योगपतियों कारोबार का मौका देने की है। वे अयोध्या से पुराने दुकानदारों को हटाना चाहते हैं। भाजपा वाले अकेले शासन करना चाहते हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि इस बार चुनाव में बुलडोजर पर साइकिल भारी पड़ेगा और पुराने दुकानदों के दिन लौटेंगे।
हमने भी की है भगवान राम की सेवा
UP Election 2022: अभय कुमार पांडेय का मानना है कि राम मंदिर आंदोलन के बाद से अयोध्या अवसरों का केंद्र बन गया है। पांडे ने कहा कि भले ही कई पीढ़ियों के परिवारों के स्वामित्व वाली इन दुकानों के भावनात्मक मूल्य की भरपाई पैसा नहीं कर सकता है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अयोध्या के विकास से व्यापारियों को भी लाभ मिलेगा। राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान हम कारसेवकों को पानी और भोजन परोसने का काम किया था। वह सवालिया लहजे में पूछते हैं, अगर भगवान राम का सम्मान करने वालों को आजीविका के बिना छोड़ दिया जाता है तो वे भाजपा को वोट क्यों दें?
( यह स्टोरी द वायर अंग्रेजी में प्रकाशित है।)