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निगमबोध श्मशान पर शवों की बाढ़, परिजनों की लापरवाह भीड़ से श्मशानकर्मी डर के साये में

Janjwar Desk
8 Jun 2020 3:06 PM GMT
निगमबोध श्मशान पर शवों की बाढ़, परिजनों की लापरवाह भीड़ से श्मशानकर्मी डर के साये में
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निगमबोध घाट पर काम करने वाले कर्मचारी कहते हैं, अब हमें रात में सोते समय भी एम्बुलेंस से उतरते हुए शव दिखाई देते हैं, तीन महीने हो गए अपने बच्चों से गले तक नहीं लगे हैं, लोगों की लापरवाही की वजह से अपने और परिवार के लिए भय सताने लगा है...

नई दिल्ली, जनज्वार। दिल्ली के सबसे बड़े और पुराने निगमबोध श्मशान घाट पर इन दिनों कोरोना संक्रमित शवों की बाढ़ आई हुई है। उत्तर, पूर्व और दक्षिण दिल्ली के अस्पतालों से शव यहां अंतिम संस्कार के लिए लाए जा रहे हैं। शवों के साथ आ रही परिजनों की लापरवाह भीड़ से श्मशानकर्मियों को संक्रमित होने का भय सताने लगा है।

निगमबोध श्मशान घाट के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ आईएएनएस को बताया, "सरकारी निर्देशों के अनुसार एक शव के साथ सिर्फ 20 लोगों को आने की इजाजत है, लेकिन यहां 20 से ज्यादा लोग आ रहे हैं। कभी-कभी तो 50 से 60 लोग अंतिम संस्कार में शामिल हो जाते हैं।"

उन्होंने कहा, "सामान्य दिनों में यहां 20-25 शव आते थे। इस समय श्मशान घाट पर रोजाना 70 से 80 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जिसमें कोविड और नॉन कोविड शव शामिल हैं। श्मशान घाट पर लोग इतनी लापरवाही कर रहे हैं कि एक ही नल को सैकड़ों लोग छू रहे हैं। श्मशान घाट पर रोजाना बड़ी तादाद में लोग अंतिम संस्कार में भी शामिल हो रहे हैं।"

शर्मा ने बताया, "शमशान घाट के कर्मचारियों के मन में डर बैठ गया है, क्योंकि जो शख्स अपने घर में क्वारंटीन था और उसकी मृत्यु हो गई, तो उसके परिजन सीधे शव लेकर श्मशान घाट पहुंच जाते हैं। अब हमें खुद पता नहीं होता कि कौन कोविड है या नॉन कोविड। जब हम किसी शव का अंतिम संस्कार नॉन कोविड वाली जगह पर करने का इंतजाम करते हैं, तो परिवार के लोग बोलते हैं कि कोविड वाली जगह पर कीजिए, हो सकता है कि इनको संक्रमण हो।"

निगमबोध शमशान घाट पर एक साथ 100 शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। इस समय यहां एक जगह पर सिर्फ संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था बनाई गई है। लेकिन इस समय स्थिति इतनी भयानक है कि दो चिताओं के बीच में पड़ी खाली जगह पर भी अंतिम संस्कार हो रहा है। दिल्ली में कुल 282 श्मशान घाट हैं, लेकिन अधिकतर संक्रमित मरीजों के शव यहीं आ रहे हैं।

उन्होंने बताया, "सरकार की तरफ से इतने निर्देश देने के बाद भी जिस बैग में संक्रमित मरीज का शव आता है, परिजन उसको भी खोल देते हैं। मना करने के बावजूद संक्रमित शव के साथ सात-आठ लोग खड़े हो जाते हैं और हर कोई हाथ लगाता है।"

उन्होंने बताया, "शुरुआत में डॉक्टर आया करते थे, जहां अंतिम संस्कार होता है उस जगह को सेनिटाइज करते थे, लेकिन अब परिवार के ही लोग अंतिम संस्कार कर देते हैं।"

श्मशान घाट के एक अन्य कर्मचारी ने कहा कि संक्रमित शवों की बढ़ती संख्या और साथ में आ रहे परिजनों की लापरवाही से अब खुद के संक्रमित होने का डर सताने लगा है।

कर्मचारी ने बताया, "रात में सोते समय भी एम्बुलेंस से उतरते हुए शव दिखाई देते हैं। तीन महीने हो गए अपने बच्चों से गले तक नहीं लगे हैं। लोगों की लापरवाही की वजह से अब हमें और डर लगने लगा है, क्योंकि एक शव के साथ 20 से ज्यादा लोग यहां आ रहे हैं।"

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