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आज भी सरकार और वन विभाग द्वारा टिहरी रियासत जैसे प्रतिबंध थोप किया जा रहा जनता का उत्पीड़न

Janjwar Desk
30 May 2024 4:42 PM GMT
आज भी सरकार और वन विभाग द्वारा टिहरी रियासत जैसे प्रतिबंध थोप किया जा रहा जनता का उत्पीड़न
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Ramnagar news : बरसों से वन भूमि पर रहने वाले वनवासियों को भूमि पर मालिकाना हक देने की जगह अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर उन्हें वहां से खदेड़ने की साजिश की जा रही है, जिसके खिलाफ क्षेत्र ही नहीं बल्कि समूचे उत्तराखंड व देश की जनता को एकजुट होकर आवाज उठाने की जरूरत है...

रामनगर। उत्तराखंड के जलियांवाला बाग तिलाड़ी कांड के शहीदों की याद में समाजवादी लोकमंच द्वारा आज 30 मई को रामनगर स्थ्ज्ञित मालधन गांधी नगर फार्म में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

सभा का संचालन करते हुए जमन राम ने कहा कि 30 मई 1930 को टिहरी के राजा के सैनिकों ने बड़कोट में जंगलों पर हक-हकूक बहाल करने और वन अधिनियम 1927 लागू करने के विरोध में तिलाड़ी के मैदान में सभा कर रहे ग्रामीणों को तीन तरफ से घेर कर उन पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें 200 से अधिक लोग शहीद हो गए थे। आज उन्हीं अमर शहीदों को याद करने व उनके बलिदान से प्रेरणा लेने के लिए मंच द्वारा श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि आजाद भारत के शासकों ने भी अंग्रेजी हुकूमत की तरह ही वन अधिनियम 1927 को बरकरार रखा है। भारत सरकार के द्वारा वनों के नाम पर बनाए गए काले कानून वनवासियों एवं वनाश्रित समाज के उत्पीड़न का औजार बन चुके हैं। बरसों से वन भूमि पर रहने वाले वनवासियों को भूमि पर मालिकाना हक देने की जगह अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर उन्हें वहां से खदेड़ने की साजिश की जा रही है, जिसके खिलाफ क्षेत्र ही नहीं बल्कि समूचे उत्तराखंड व देश की जनता को एकजुट होकर आवाज उठाने की जरूरत है।

ललिता रावत ने कहा कि टिहरी के राजा नरेंद्र शाह द्वारा तिलाड़ी में किए गए इस नरसंहार में लोग गोलियों से अपनी जान बचाने के लिए यमुना के तेज प्रवाह में कूद गए, लेकिन अपनी जान न बचा सके। शहीदों के रक्त से यमुना का जल लाल हो गया था। इन शहीदों का कसूर मात्र इतना था कि वह ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा लागू किए गये वन अधिनियम 1927 के आने के बाद जनता के जंगलों से लकड़ी, घास व अपनी जरूरत की वस्तुएं लाए जाने व पशु चराने पर लगाए गये प्रतिबंधों के खिलाफ एक सभा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज भी सरकार व वन विभाग जनता पर टिहरी रियासत जैसे ही प्रतिबंध थोपकर जनता का उत्पीड़न कर रहे हैं।

ललित उप्रेती ने सरकार से मांग की कि उत्तराखंड में जो व्यक्ति जिस भूमि पर रह रहा है, उसे वहीं पर नियमित कर मलिकाना हक दिया जाए। मनमोहन अग्रवाल ने टाइगर से लड़ते हुए घायल अंकित के साहस की सराहना की तथा सरकार से उसके इलाज में खर्च हुए 7 लाख से भी अधिक राशि के भुगतान व नौकरी की मांग की।

सभा को सूरज सिंह, उपपा नेता आसिफ अली, ललित उप्रेती सरस्वती जोशी, कौशल्या चुनियाल, मुकेश जोशी, परिजात,दिगंबर बवाड़ी, मदन मेहता, आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम में भोपाल सिंह, चुन्नी लाल, असर्फी लाल, किसन पाल, रतन सिंह, ओमवती, जगवती, सुशीला देवी, समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

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