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समाज

ब्लॉगर रेहाना फातिमा को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाएं न करें आहत, मांस के लिए बोला था 'गौमाता'

Janjwar Desk
9 Feb 2021 11:28 AM GMT
ब्लॉगर रेहाना फातिमा को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाएं न करें आहत, मांस के लिए बोला था गौमाता
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एक व्यंजन की रेसिपी बताते हुए रेहाना ने बार-बार मांस के लिए गौमाता शब्द का इस्तेमाल किया था, जिससे हिंदुओं की भावनायें हुयी थीं आहत...

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 9 फरवरी को केरल स्थित कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया। हालांकि इसके साथ उन्हें राहत भी मिली है। शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसके तहत हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता रेहाना को सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार का कंटेट न पोस्ट करने का आदेश दिया था।

फातिमा ने केरल हाईकोर्ट के 23 नवंबर, 2020 के दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। सोशल मीडिया पर एक कुकरी शो का वीडियो अपलोड करने को लेकर फातिमा पर प्रतिबंध लगाया गया था, जहां उन्होंने कथित रूप से ऐसी टिप्पणी की, जो लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने वाली थी।

न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए फातिमा द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया। फातिमा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस ने शीर्ष अदालत से हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्त को अलग करने का आग्रह किया।

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, ट्रायल पूरा होने तक फातिमा पर सार्वजनिक तौर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर किसी भी प्रकार के दृश्य के माध्यम से किसी भी सामग्री या टिप्पणी को साझा करने या प्रसारित करने से रोक दिया गया था। पहले हाईकोर्ट ने रेहाना फातिमा को जमानत देते हुए उसकी शर्तों में इंटरनेट बैन का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने आदेश तब दिया था, जब एक व्यंजन की रेसिपी बताते हुए रेहाना ने बार-बार मांस के लिए गौमाता शब्द का इस्तेमाल किया था।

न्यायमूर्ति नरीमन ने इस शर्त को बरकरार रखते हुए कहा, "यह पूरी तरह से बोलने की आजादी पर प्रतिबंध है।" हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह भी माना कि कि नवंबर 2018 में पहले इसी मामले में एक और जमानत शर्त लगाई गई थी, जो उन्हें धार्मिक भावनाओं या भावनाओं को आहत करने वाली किसी भी टिप्पणी को साझा करने या प्रसारित करने से रोकती है और अदालत ने कहा यह जारी रहनी चाहिए।

इससे पहले हाईकोर्ट ने माना था कि कुकरी शो के दौरान धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं, जो गाय को एक माता के रूप में पूजते हैं।

न्यायमूर्ति सुनील थॉमस की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा था कि फातिमा का यह कृत्य 2018 में सबरीमाला के भगवान अयप्पा के बारे में उनके द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई अपमानजनक सामग्री से संबंधित मामले में हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्त का उल्लंघन था।

मालूम हो कि उस मामले में अदालत ने फातिमा को जमानत देते हुए निर्देश दिया था कि वह किसी वह सोशल मीडिया पर आगे से कोई ऐसी टिप्पणी नहीं करेंगी, जो किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करती हो।

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