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अच्छे दिन की उम्मीद में तीन बार बेची गई महिला, बेटे के संघर्ष ने मां सहित 3 और को छुड़ाया

Janjwar Desk
24 Sep 2020 4:21 AM GMT
अच्छे दिन की उम्मीद में तीन बार बेची गई महिला, बेटे के संघर्ष ने मां सहित 3 और को छुड़ाया
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प्रतीकात्मक तस्वीर

अक्टूबर में मस्कट गईं अलीमुन्नीशां के बेटे को नवंबर में उनकी हालत का पता चला। तब बेटे ने मां को छुड़ाने की जद्दोजहद शुरू की। 25 अगस्त को अलीमुन्नीशां अपने घर लौट सकीं। वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं और हादसे के बाद सदमे में हैं....

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार, कानपुर। बेकनगंज की अलीमुन्नीशां अपनी गरीबी दूर करने तथा अच्छे दिन की उम्मीद में मानव तस्करों के हाथ फंस गई। शहर से मस्कट जाने के बाद उन्हें तीन बार बेचा गया। भयानक पीड़ा और यातनाओं के बीच महिला के बेटे ने 10 महीने के संघर्ष में दिन रात एक करके मां को छुड़वाया। बेटे ने मां सहित तीन अन्य महिलाओं को भी छुड़वाया।

कानपुर में रहने वाले मोहसिन खान अपनी मां के एजेंटों के जाल में फंसने के बादे में कहते हैं, गरीब महिलाओं को उनकी गरीबी दूर करने का ख्वाब दिखाकर खाड़ी देशों में भेजा जाता है। हरदोई के संडीला निवासी एक एजेंट की ससुराल हीरामन का पुरवा में है। एजेंट ने मोहसिन की मां व उसकी गरीबी की कहानी कहीं से सुनी और पीछे लग गया। वह खुशहाल जिंदगी के सब्जबाग दिखाने लगा। एक दिन उसने अलीमुन्नीशां को बताया कि मस्कट में एक बूढ़ी महिला है, जिसे देखरेख करने के लिए एक महिला की जरूरत है।

एजेंट ने अलीमुन्नीशा से कहा कि बूढ़ी महिला की देखरेख करनी है तथा कुछ बच्चों को खाना बनाकर खिलाना है, जिसका उसे 16 हजार रूपये मेहनताना मिलेगा। जिसके बाद अलीमुन्नीशां राजी हो गई। यहीं से उसकी दर्दनाक कहानी शुरू हुई।

पिछले साल पीड़ित महिला 23 अक्टूबर को वह यहाँ से मुम्बई और फिर मस्कट पहुँची। मस्कट में उसे दो महिलाओं ने एजेंट से ढ़ाई लाख रुपये में खरीद लिया। वहाँ से दूसरे दिन एक व्यक्ति उन्हें साढ़े तीन लाख रुपये में खरीद ले गया। उस व्यक्ति ने अलीमुन्नीशां से मनमानी करनी चाही, मना करने पर इतना पीटा की वह बेहोश हो गई।

अगले दिन वह अलीमुन्नीशां को वापस किसी ऑफिस में छोड़ गया, जिसके बाद उसे फातिमा नाम की महिला को बेचा गया। कितने में यह उसे नहीं पता? लेकिन वहाँ जानवरों से भी अधिक काम लिया गया। खाने के लिए पूरे दिन में सिर्फ एक रोटी मिलती थी।

अक्टूबर में मस्कट गईं अलीमुन्नीशां के बेटे को नवंबर में उनकी हालत का पता चला। तब बेटे ने मां को छुड़ाने की जद्दोजहद शुरू की। 25 अगस्त को अलीमुन्नीशां अपने घर लौट सकीं। वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं और हादसे के बाद सदमे में हैं।

मोहसिन का कहना है कि मां के अलावा उनने वहाँ की एक सामाजिक कार्यकर्ता विजय लक्ष्मी से मिलकर तीन अन्य महिलाओं को भी छुड़वाया है। लेकिन अभी पश्चिम बंगाल, चेन्नई आदि जगहों की और भी महिलाएं वहाँ फंसी हैं, उन्हें भी छुड़ाना है। इसके लिए वह राष्ट्रीय मानवाधिकार से सम्पर्क कर रहे हैं। इसके अलावा मोहसिन जब मां को बेचने वाले एजेंट के बताए पते पर पहुँचे तो जानकारी हुई वह अपने पते बदलता रहता है।

मोहसिन ने बताया कि मां के सम्बंध में उन्होंने कानपुर तथा लखनऊ तक के डीएम को पत्र लिखा है। कानपुर डीएम के यहाँ से पत्र सीओ को भेजा गया। सीओ के यहाँ से थाना बेकनगंज आया। थाना बेकनगंज में उसकी मां को दो बार और उसे एक बार बुलाया जा चुका है। इसे अंतर्राष्ट्रीय मामला बताया जा रहा है, जिसके कारण अधिकारी हिचक रहे हैं।

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