दलित युवक ने चलायी बुलेट तो दबंग सवर्णों ने तेज हथियार से काट दिये हाथ, चंद्रशेखर बोले दलितों को सिर्फ गुलाम-कमजोर देखना चाहते हैं

Tamilnadu Dalit live matter : तमिलनाडु के शिवगंगा जनपद में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां 21 साल के एक दलित छात्र आर. अय्यासामी को सिर्फ इसलिए बेरहमी से पीटकर उसके हाथ काट दिये गये, क्योंकि वह ‘बुलेट’ बाइक चला रहा था। दबंग जाति के कुछ युवाओं ने बुधवार 12 फरवरी की रात दलित युवा पर हमला कर धारदार हथियार से उसके दोनों हाथ बुरी तरह काट दिये गये।
पीड़ित छात्र आर. अय्यासामी को गंभीर हालत में मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है। जिस अस्पताल में आर. अय्यासामी को भर्ती कराया गया है वह शिवगंगा से करीब 45 किलोमीटर दूर है। डॉक्टरों के मुताबिक, उसके दोनों हाथों में गहरे घाव हैं और उसे ठीक होने में काफी समय लग सकता है।
इस घटना पर रोष व्यक्त करते हुए आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष और नगीना से दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद लिखते हैं, 'तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में एक दलित युवक पर हुआ हमला कोई साधारण घटना नहीं है। यह सिर्फ जातिवाद नहीं, यह इंसानियत के खिलाफ अपराध है। यह हमला जातिवाद की उस जहरीली मानसिकता का प्रमाण है, जो दलितों को सिर्फ गुलाम और कमजोर देखना चाहती है।'
चंद्रशेखर सवाल उठाते हैं, 'क्या मेहनत करके बुलेट खरीद लेना गुनाह है? क्या किसी दलित का अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीना इतनी बड़ी बात है कि इसके लिए उसके हाथ काटने की कोशिश की जाए? यह घटना हमें बताती है कि जातिवाद केवल एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि एक सुनियोजित आतंक है जो दलितों को दबाने, डराने और उनकी प्रगति को रोकने के लिए हर स्तर पर सक्रिय है।'
चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, आज भी अगर कोई दलित घोड़ी चढ़े, मूंछ रखे, अच्छा घर बनाए, अच्छी गाड़ी चलाए, मंदिर में जाए तो उसे मार दिया जाता है। यह सोच हमें सदियों पीछे ले जाती है। मैं तमिलनाडु सरकार से पूछना चाहता हूँ -
1. क्या सिर्फ गिरफ्तारी से न्याय मिल जाएगा? अपराधियों को सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा कब शुरू होगा?
2. पीड़ित के परिवार की सुरक्षा की क्या गारंटी है?
3. क्या तमिलनाडु सरकार जातिवादी हिंसा के दोषियों पर आर्थिक दंड लगाएगी?
मोदी सरकार से चंद्रशेखर आजाद सवाल उठाते हैं,
1. जातिवादी अपराधी बेखौफ क्यों हैं?
2. जातीय हिंसा के मामलों को सिर्फ ‘सामाजिक अपराध’ क्यों कहा जाता है? जातिवादी हिंसा को आतंकवाद की श्रेणी में कब रखा जाएगा?
3. दलितों को आत्मरक्षा का कानूनी अधिकार कब मिलेगा?
4. पुलिस सुधार कब होंगे? दलितों पर होने वाली हिंसा में पुलिस अक्सर लापरवाही बरतती है। क्या सरकार इस पर विशेष निगरानी रखेगी?
5. क्या ‘कास्ट मॉब लिंचिंग’ के खिलाफ अलग से कानून लाने की पहल होगी? जब धर्म के आधार पर हिंसा को हेट क्राइम माना जाता है, तो जातिवादी हमलों को भी उसी श्रेणी में क्यों नहीं रखा जाता?
चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, 'परम पूज्य बाबा साहेब ने जिस भारत का सपना देखा था, वह ऐसा नहीं था। जातिवाद की इन बेड़ियों को तोड़ना ही होगा। यह सिर्फ दलितों का संघर्ष नहीं, बल्कि हर न्यायप्रिय नागरिक की जिम्मेदारी है। सरकारें आएंगी-जाएंगी, लेकिन समाज को अपनी सोच बदलनी होगी, नहीं तो ऐसे जख्म बढ़ते ही रहेंगे।'
एसआईपीसीओटी पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों आर. विनोदकुमार, ए. अतीश्वरन और एम. वल्लरासु के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 296 (1), 126 (2), 118 (1), 351 (3) और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(r)(s) के तहत मामला दर्ज किया है और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
पीड़ित के रिश्तेदार मुनियासामी कहते हैं, हमलावरों ने अय्यासामी से कहा, “बुलेट बाइक चलाने का हक सिर्फ ऊंची जाति के लोगों को है, दलित इस पर नहीं चल सकते।” इसके बाद उन्होंने उसके दोनों हाथों पर हमला किया। हमले में वह बुरी तरह घायल हो गया और किसी तरह अपनी जान बचाकर भागा।