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Uttarakhand News: मौत के 16 साल बाद बर्फ में दबा मिला फौजी का शव, हिमालय पर तिरंगा फहराने के बाद खाई में गिर गए थे

Janjwar Desk
26 Sep 2021 8:56 AM GMT
Uttarakhand News: मौत के 16 साल बाद बर्फ में दबा मिला फौजी का शव, हिमालय पर तिरंगा फहराने के बाद खाई में गिर गए थे
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(शहीद अमरीश त्यागी की फाइल फोटो)

Uttarakhand News: 16 साल पहले 23 सितंबर 2005 को सतोपंथ चोटी पर तिरंगा फहराने के बाद लौटते वक्त वे और उनके कुछ साथी में गिर गए थे, अन्य मृतकों की लाश उसी वक्त बरामद हो गई थी लेकिन अमरीश का शव अबतक नहीं मिल पाया था..

Uttarakhand News: (जनज्वार)। उत्तराखंड स्थित हिमालय की पहाड़ियों (Himalaya Mountain) में गाजियाबाद के एक फौजी अमरीश त्यागी का शव उनके लापता होने के ठीक 16 साल बाद बर्फ में दबी मिली है। हिसाली गांव निवासी अमरीश त्यागी (Ambarish Tyagi) भारतीय सेना के पर्वतारोही दस्ते में थे। 16 साल पहले 23 सितंबर 2005 को सतोपंथ चोटी पर तिरंगा फहराने के बाद लौटते वक्त वे और उनके कुछ साथी में गिर गए थे। अन्य मृतकों की लाश उसी वक्त बरामद हो गई थी लेकिन अमरीश का शव अबतक नहीं मिल पाया था।

दरअसल, स्वर्ण विजय वर्ष के अवसर पर भारतीय सेना (Indian Army) के 25 सदस्यों का एक दल 12 सितंबर को उत्तरकाशी से सतोपंथ शिखर पर विजय प्राप्त करने के लिए निकला था। यह चोटी हिमालय पर्वतमाला के मध्य में है।

यह गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान (Gangotri National Park) की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। इसकी ऊंचाई करीब 7075 मीटर है। ऑपरेशन के दौरान सेना की टीम को 23 सितंबर को हर्षिल नाम की जगह के पास बर्फ में दबा अमरीश त्यागी का शव मिला था. सेना के जवान इसे गंगोत्री ले गए और पुलिस को सौंप दिया।

पर्वतारोही सैनिकों (Mountainer Forces) का वह दल 2005 में गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ पर तिरंगा फहराकर लौट रहा था। रास्ते में संतुलन बिगड़ने के कारण यह हादसा हुआ। इससे 4 जवान सैकड़ों फीट नीचे खाई में गिर गए थे। उनमें से इनका शव नहीं मिला था।

इसके बाद माता-पिता की अंतिम इच्छा शहीद पुत्र के अंतिम दर्शन की थी, लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई और उनका निधन हो गया था। बताया जा रहा है कि जवान की ड्रेस, नेम प्लेट और बॉडी भी काफी हद्द तक सुरक्षित मिली है।

इसके बाद अब परिजनों ने भी शव की शिनाख्त कर ली है। दो दिन में औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। जवान अमरीश त्यागी गाजियाबाद (Ghaziabad) के हिसाली गांव के रहने वाले थे। यह गांव थाना मुरादनगर के अंतर्गत आता है।

बता दें कि पुलिस और सेना ने जब जानकारी जुटाई तो पता चला कि अमरीश 23 सितंबर 2005 को इसी चोटी पर तिरंगा फहराकर लौट रहे थे। तभी 4 जवान पैर फिसलने से खाई में गिर गए। एक ही समय में तीन जवानों के शव बरामद किए गए, जबकि एक लापता था। ठीक 16 साल बाद 23 सितंबर 2021 को उनका शव बरामद हुआ।

सेना मुख्यालय (Army Headquarters) नई दिल्ली से तीन जवानों का दल 25 सितंबर को गांव हिसाली पहुंचा। यहां अमरीश त्यागी का पुश्तैनी घर है

। घर पर अमरीश के भाई विनेश और रामकिशोर मौजूद थे। जवानों ने उन्हें बताया कि अमरीश त्यागी 16 साल पहले बर्फीले पहाड़ से उतरते समय लापता हो गए थे, उनका शव अब मिल गया है। सेना के जवानों के मुताबिक, उसमें दफन अमरीश त्यागी का शव बर्फ पिघलने के बाद दिखाई दे रहा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमरीश त्यागी के तीन भाई हैं रामकिशोर त्यागी, विनेश त्यागी, अरविंद त्यागी। रामकिशोर और विनेश त्यागी हिसाली में रहते हैं और खेती करते हैं। अरविंद त्यागी आयुध निर्माणी चंडीगढ़ में कार्यरत हैं।

उनके भाई विनेश त्यागी ने मीडिया को बताया है कि सेना मुख्यालय से शनिवार सुबह घर आए तीन जवानों ने अमरीश त्यागी के बारे में जानकारी दी है। वह कई कागजातों पर दस्तखत कराकर ले गए हैं। अमरीश का पार्थिव शरीर 26 या 27 सितंबर तक गांव लाया जा सकता है।

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