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UP Election 2022: बीजेपी की तीन महिलाएं जिनका भौकाल तो फुल टाइट रहा लेकिन आखिरी वक्त नहीं मिला टिकट

Janjwar Desk
2 Feb 2022 6:13 AM GMT
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(हाशिए पर यूपी भाजपा की तीन महिलाएं)

UP Election 2022: जानकार लोग समझते हैं लेकिन जो नहीं जानते उनके लिए इस बात का कारण जानना बहुत जरूरी है, कि... राजनीति कितनी दिलफरेब होती है...

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद तीन महिलाएं जो सुर्खियों में बनी रहीं। इनमें सबसे पहले नाम आता है समाजवादी परिवार की कथित बहू अपर्णा यादव। दूसरी योगी सरकार में मंत्री स्वाती सिंह और तीसरी महिला जो लखनऊ (Lucknow) से सांसद हैं रीता बहुगुणा जोशी। इन तीनों का भौकाल तो फुल टाइट रहा लेकिन टिकट आखिरी वक्त तक किसी को नहीं मिल सका।

जानकार लोग समझते हैं लेकिन जो नहीं जानते उनके लिए इस बात का कारण जानना बहुत जरूरी है, कि... राजनीति कितनी दिलफरेब होती है।

सबसे पहले बात करते हैं अपर्णा यादव (Aparna Yadav) की। तमाम गाजे बाजे के साथ अपर्णा की भाजपा में एंट्री ली गई थी। अपर्णा भी प्रदेश के मुखिया द्वारा रटाया गया पाठ कि बोलना क्या है..को बोलकर कुप्पा हो रही थीं। इधर उनके जाने से भक्त तो खुश थे ही गैरभक्त भी बहुत खुश नजर आये। तभी आटे में नमक ज्यादा पड़ जाने की भनक मिल गई थी। कहा गया की अपर्णा के लिए लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट इंतजार कर रही।

लेकिन आखिरी वक्त भाजपा ने अपर्णा को कहीं का नहीं छोड़ा। परिवार से बगावत कराई सो अलग..अब टिकट भी नहीं दिया। माना जा रहा अपर्णा को टिकट न देने के पीछे का जो कारण था वह ये कि पार्टी के रणनीतिकारों का मानना था कि यदि अपर्णा को टिकट दिया तो कल को वह जीतने के बाद परिवार के साथ जा सकती हैं। अब एक खून न सही लेकिन अपने तो अपने ही होते हैं जो भाजपा की सिरदर्दी बढ़ा सकती थी।

दूसरी महिला स्वाति सिंह (Swati Singh)...स्वाति सिंह का टिकट कटने की जो मुख्य वजह हैं वह खुद उनके पति दयाशंकर सिंह हैं। दयाशंकर भी बड़े मठाधीश हैं। छात्र नेता रहे दयाशंकर सिंह की वजह से ही स्वाति टिकट पाई थीं और जीतकर मंत्री पद भी मिला था। लेकिन उनके पति से उनकी साल 2008 से ही अनबन थी। खुद स्वाति की भाभी ने उनपर मुकदमा दर्ज कराया था। वह कई विवादों से भी घिरी रहीं। एकबारगी विवादों को दरकिनार भी कर दिया जाता लेकिन हाल ही में उनका वायरल वीडियो पार्टी को चुभ गया था।

बताया यह भी जाता है कि दयाशंकर योगी के करीब हैं। इसके अलावा पार्टी में शामिल हुए कई लोगों के पीछे दयाशंकर का ही हाथ था। यह वजह रही कि स्वाति का टिकट काटा गया। अब अगर स्वाति की जगह दयाशंकर को टिकट दिया जाता तो लोग सीधे तौर पर पक्षपात करने जैसी बातें उठा सकते थे। इसलिए दयाशंकर की जगह राज राजेशवर को टिकट दिया गया। दया के बारे में इनपुट है कि उन्हें बलिया की किसी सीट से उतारा जा सकता है।

अब तीसरी महिला की बात करें तो रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) अपने बेटे मयंक के लिए अड़ी थीं। उन्होने पार्टी आलाकमान को बेटे को टिकट ना दिए जाने पर पार्टी तक छोड़ने की हिदायत दे दी थी। पार्टी आलाकमान को रीता की यह बात नागवार गुजरी। ऐसा नहीं है कि पार्टी वंशवाद नहीं मानती। मानती है तभी तो कल्याण सिंह, हुकुम सिंह, राजनाथ सिंह सरीखों के पुत्रों-पुत्रियों को टिकट दिया गया है।

लेकिन पार्टी रीता जोशी की बढ़ती मठाधीशी को भी कम करना चाहती थी। उधर उनके पुत्र सपा में शामिल हो गये। रीता के बारे में पार्टी का मानना है कि वह दल बदलकर आईं हैं। क्या भरोसा कल को वह फिर किसी दल के साथ चली जाएं। यह हमें सूत्रों ने बताया। रीता जोशी के बारे में चर्चा यह भी है कि वे सपा नेताओं के संपर्क में भी हैं।

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