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UP Election 2022 : खिसक सकता है बड़ा OBC वोट बैंक, BJP को सताने लगी चिंता, स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने में जुटे डिप्टी सीएम
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 (UP Election 2022) से ऐन वक्त पहले योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामीप्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने इस्तीफा देकर भाजपा (BJP) के अंदर डुगडुगी बजा दी है। स्वामी प्रसाद मौर्य आज समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं, इसके साथ प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल का खेल शुरु हो गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के साथ इस बात की भी चर्चा है कि उनके साथ कई अन्य बड़े ओबीसी नेता (OBC) भी भाजपा को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। मौर्य के इस्तीफे की खबर से भाजपा झटके में हैं और उन्हें मनाने का प्रयास भी कर रही है।
इस्तीफा देने के साथ ही दलित और पिछड़ा वर्ग में गहरी पैठ रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने किसानों, दलितों, नौजवानों के साथ जो व्यवहार किया है, वह बर्दाश्त के लायक नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने मंत्रिमंडल के साथ बाहर भी मंत्रियों से बात की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में बिना सम्मान के भाजपा में नहीं रह सकता था।
भाजपा भी जानती है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने से वोट बैंक खिसक जाएगा। पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पिछड़ा वर्ग का साथ मिला था। ऐसे में भाजपा ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस स्थिति को संभालने का काम सौंपा है। केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने ट्वीट कर कहा- आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है, मैं नहीं जानता हूं, उनसे अपील है कि बैठकर बात करें। जल्दबाजी में लिए हुए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।
आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूँ उनसे अपील है कि बैठकर बात करें जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 11, 2022
उनके इस्तीफे के साथ ही भाजपा की हालत यह हो गई है कि सपा जॉइन करने के बाद भी उन्हें मनाने में जुटी हुई है। खबरों के मुताबिक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी मौर्य को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
यूपी में अनुमानित पिछड़े वर्ग का वोट 53 फीसदी है। वहीं मौर्य व कुशवाहा समाज का फर्रूखाबाद, इटावा, ओरैया, बदायूं, फिरोजाबाद, एटा, मिर्जापुर, प्रयागराज, मैनपुरी, हरदोई, कन्नौज, कानपुर देहात, जालौन, हमीरपुर, झांसी और ललितपुर में खासा दबदबा है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का सपा में जाना भाजपा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।