Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

Domestic violence during Corona period: कोरोना काल में महिलाओं पर टूटा पुरुषों का कहर, घरेलू हिंसा से लेकर नौकरी गंवाने का भी फूटा गुस्सा, पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट

Janjwar Desk
3 Jan 2022 12:56 PM IST
Domestic violence during Corona period: कोरोना काल में महिलाओं पर टूटा पुरुषों का कहर, घरेलू हिंसा से लेकर नौकरी गंवाने का भी फूटा गुस्सा, पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट
x
Domestic violence during Corona period: वो देश जहां महिलाओं की पूजा की बात होती है। जहां महिलाओं को लक्ष्मी का रूप कहा जाता है। जहां महिलाओं को जननी का स्वरूप कहा जाता है।

मोना सिंह की रिपोर्ट

Domestic violence during Corona period: वो देश जहां महिलाओं की पूजा की बात होती है। जहां महिलाओं को लक्ष्मी का रूप कहा जाता है। जहां महिलाओं को जननी का स्वरूप कहा जाता है। लेकिन उन्हीं महिलाओ के साथ आखिर व्यवहार कैसा होता है। उनके साथ कैसा सलूक किया जाता है। ये बताने के लिए हाल में आए दो आंकड़ों पर नजर डाले तो कई बार ये सवाल उठने लगता है कि क्या वाकई हम 21वीं सदी में आ चुके हैं या नहीं।

सवाल ये भी उठता है कि आखिर हर बार और हर हालात में महिलाओं पर ही उत्पीड़न क्यों होता है। अभी कोरोना का कहर फिर से तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल से लेकर कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप भी देख चुके हैं। लेकिन इस दौरान घर में परेशान लोगों की जहां महिलाओं ने बढ़-चढ़कर परिवार की सेवा की वहीं उनके साथ प्रताड़ना के मामलों में भी उतनी ही बढ़ोतरी हुई।

ये बातें हाल में कराए गए एक सर्वे में सामने आई है। इसके अलावा, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में भी आई है। दरअसल, एनसीआरबी रिपोर्ट से पता चलता है कि महिलाओं से जुड़े क्राइम के आंकड़ों में 2019 की तुलना में साल 2020 में कमी आई है. लेकिन कोरोना लॉकडाउन की वजह से घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है। इस दौरान महिलाओं के खिलाफ घरों में उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध (Crime Against Women) के कुल 3 लाख 71 हजार 503 मामले दर्ज हुए। जबकि साल 2019 में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध की संख्या कुल 4 लाख 5 हजार 326 थी। इस तरह अगर आंकड़ों को देखा जाए तो कोरोना वाले काल साल 2020 में महिला अपराध के केस साल 2019 की तुलना में 8.3 फीसदी कम हुए है।

लेकिन साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 30 फीसदी मामले पति और परिवारवालों के खिलाफ घरेलू हिंसा के दर्ज किए गए। महिलाओं ने सबसे ज्यादा अपने पति पर ससुरालवालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। जो बताता है कि घरों में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न बढ़ा है। इन घटनाओं के अलावा, 16.8 फीसदी केस महिलाओं के अपहरण के सामने आए।

अगर बलात्कार की घटनाओं की बात करें तो कुल अपराध में 7.5 फीसदी मामले रेप के दर्ज हुए। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि साल 2019 में प्रति लाख जहां 62.3 महिलाओं ने रिपोर्ट दर्ज कराई वहीं साल 2020 में प्रति लाख की आबादी पर 56.5 महिलाओँ ने उत्पीड़न की शिकायत लेकर थाने में पहुंची थीं।

अगर रेप के आंकड़ों की बात करें एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में साल 2020 में रेप (Rape) के रोजाना औसतन करीब 77 केस दर्ज किए गए। बलात्कार की इन घटनाओं में पूरे देश में सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में दर्ज किए गए। वहीं, दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश रहा. साल 2020 में रेप के कुल 28046 मामले दर्ज हुए।

सर्वे में चौंकाने वाला सामने आया था सच

अभी हाल में रैपिड सर्वे की रिपोर्ट आई थी। ये सर्वे 9 राज्यों के लोगों के बीच कराया गया था। जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, दिल्ली, असम ,राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के लोग शामिल हुए थे। इनमें किशोर-किशोरियां, कम्युनिटी डेवलपर, टीचर, आशा वर्कर, पंचायत सदस्य समेत कई वर्गों के लोग शामिल रहे। रैपिड सर्वे में कुल 318 लोग शामिल हुए जिसमें 70 फीसदी औरतें और 30 फीसदी पुरुष थे।

इस सर्वे की रिपोर्ट से पता चलता है कि 70 फीसदी पुरुषों और 72 महिलाओं ने माना कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने रोजगार पर बुरा असर डाला है। इसमें जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है वो ये है कि पुरुषों के रोजगार छिन जाने की वजह से वे गुस्से और चिड़चिड़े हो गए और उसका असर महिलाओं पर दिखा। सर्वे में दावा किया गया है कि रोजगार जाने की वजह से पुरुष जहां आक्रमक हो गए और मामूली बात पर महिलाओं के साथ हिंसा करने पर उतारू हो गए।

सर्व में शामिल हुए 78.1 प्रतिशत शहर के और 82.2 प्रतिशत गांव के लोग शामिल थे। इन्होंने माना कि लड़कियों और महिलाओं दोनों के साथ हिंसा हुई है। शहरी एरिया में रहने वाली 78.5 फीसदी महिलाओं व लड़कियों ने माना कि हिंसा करने वाले पुरुष और लड़के ही थे। 41 फीसदी पुरूष और 49 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन और बेरोजगारी की वजह से पुरुष के पास पहले से अधिक खाली समय है। अब ज्यादातर समय घर से रहने की वजह से उन लोगों में पहले की तुलना में ज्यादा नशा करने और स्मोकिंग की आदत पड़ गई।

सर्वे में ये भी सामने आया कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा में भी इजाफा हुआ। घरलू हिंसा के कारणों में 44 प्रतिशत तो घरेलू कामकाज नहीं करना शामिल रहा। इसके बाद दूसरे नंबर पर शराब पीने की आदत रही। सर्वे में 31 प्रतिशत लोगों ने माना कि वो लॉकडाउन में भी शराब को नहीं छोड़े। बल्कि जुगाड़ या महंगे रेट में लेकर पीते रहे। इनमें 25 फीसदी पुरुषों ने महिलाओं से गाली-गलौज जैसे अभद्र व्यवहार किया।

करीब 74 फीसदी पुरुषों ने और 66 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन की वजह से महिलाओं की नौकरी पर भी असर पड़ा है। महिलाओं की भी काफी नौकरी गई है। सर्वे में शामिल 68 फीसदी पुरूष और 57 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन की वजह से लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित हुई है।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध