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विमर्श

The Earth – A Unified Global Farm | एक बड़े खेत में तब्दील होती पृथ्वी

Janjwar Desk
29 Dec 2021 12:12 PM IST
The Earth – A Unified Global Farm | एक बड़े खेत में तब्दील होती पृथ्वी
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The Earth – A Unified Global Farm | एक बड़े खेत में तब्दील होती पृथ्वी

Earth becoming a unified global farm: पृथ्वी एक बड़े खेत में तब्दील होती जा रही है (The Earth is becoming a unified global farm), और कृषि भूमि के विस्तार के कारण जैव-विविधता (biodiversity) बुरी तरह प्रभावित हो रही है|

महेंद्र पाण्डेय की टिपण्णी

Earth becoming a unified global farm: पृथ्वी एक बड़े खेत में तब्दील होती जा रही है (The Earth is becoming a unified global farm), और कृषि भूमि के विस्तार के कारण जैव-विविधता (biodiversity) बुरी तरह प्रभावित हो रही है| भूमि उपयोग में परिवर्तन के कारण दुनिया में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी हो रही है जो तापमान बृद्धि में सहायक है| यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेरीलैंड (University of Maryland) के भूगोल विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार केवल पिछले दो दशकों के दौरान, यानि वर्ष 2000 से 2019 के बीच पृथ्वी पर 10 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक ऐसे भूभाग पर खेती के शुरुआत की गयी है जहां पहले खेती नहीं होती थी| इन नए क्षेत्रों में मुख्य तौर पर गेहूं, धान, मक्का, सोयाबीन और पाम आयल की खेती की जा रही है| खेती के क्षेत्र में अधिकतर बढ़ोत्तरी गरीब देशों में हो रही है, जहां अमीर देशों का पेट भरने के लिए खेती की जा रही है| अब औद्योगिक देश अपनी जरूरतों के लिए गरीब देशों में कृषि को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे अमीर देशों का पर्यावरण सुरक्षित रहे, पानी की बचत हो और महंगे मानव संसाधन से बच सकें|

जितने भी नए क्षेत्र में कृषि की जा रही है, उसमें से आधे से अधिक क्षेत्र वन क्षेत्र था या फिर प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा था| इससे एक तरफ तो जैव-विविधता प्रभावित हो रही है तो दूसरी तरफ तापमान बृद्धि का संकट गहरा होता जा रहा है| इस अध्ययन के मुख्य लेखक मैट हंसें (Matt Hansen) के अनुसार पृथ्वी पर मनुष्य का बढ़ता दायरा प्रकृति के लिए एक बड़ा संकट है| दुनिया में कितनी कृषि भूमि है, इसका सही आकलन करना कठिन है क्योंकि अधिकतर अध्ययन केवल छोटे दायरे में किये जाते है| संयुक्त राष्ट्र का फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन (Food & Agriculture Organisation) इसके आंकड़े रखता तो है, पर इसके लिए वह हरेक सदस्य देश पर निभर करता है और हरेक देश में इसका आकलन अलग तरीके से किया जाता है| यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेरीलैंड के वैज्ञानिकों ने पिछले दो दशक के दौरान पृथ्वी पर कृषि क्षेत्र में विस्तार के आकलन के लिए अमेरिका के जियोलाजिकल सर्वे द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह द्वारा भेजे गए चित्रों का सहारा लिया है| इसका सबसे बड़ा फायदा यह था कि पूरी पृथ्वी के चित्र उपलब्ध थे|

फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन का अनुमान है कि पिछले 2 दशकों के दौरान कृषि क्षेत्र में 2|6 प्रतिशत की बृद्धि हो गयी है, जबकि यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेरीलैंड के वैज्ञानिकों के आकलन के अनुसार यह बृद्धि 9 प्रतिशत से भी अधिक है| इस अध्ययन को नेचर फ़ूड नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है| कुल भूमि क्षेत्र के सन्दर्भ में सबसे अधिक कृषि क्षेत्र की बढ़ोत्तरी दक्षिण अमेरिका में दर्ज की गयी है| यहाँ यह बृद्धि 50 प्रतिशत से भी अधिक है| चीन और दूसरे देशों के मुर्गों को खिलाने के लिए अब दक्षिण अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन जर-शोर से किया जा रहा है| कुल कृषि क्षेत्र के सन्दर्भ में सबसे अधिक बृद्धि अफ्रीका में दर्ज की गयी है, जहां पिछले 2 दशकों के दौरान कृषि क्षेत्र 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है| यह बृद्धि दक्षिण एशिया और अमेरिका में भी हो रही है|

अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार कृषि क्षेत्र का विस्तार जैव-विविधता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है| जब, अमेज़न के वर्षा वनों में जंगलों को काट कर खेत बनाए जाते हैं, तब दुनिया खूब चर्चा करती है, पर दूसरे क्षेत्रों के बारे में कोई चर्चा नहीं होती| दक्षीण अमेरिका और अफ्रीका के शुष्क वन तेजी से काटे जा रहे हैं और घास के मैदानों पर खेती की जा रही है| अध्ययन के अनुसार दक्षिण अमेरिका के चाको और केराडो प्रकार के वन अगले कुछ दशकं के भीतर ही पूरी तरह समाप्त हो जायेंगें, पर इनपर कोई चर्चा नहीं होती|

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि खेती के लिए जंगलों को काटने पर जितना कार्बन का उत्सर्जन होता है वह कुल कार्बन उत्सर्जन का आठवाँ भाग है| पर, एक सकारात्मक खबर भी है – दुनिया में पौधों का बायोमास 25 प्रतिशत तक बढ़ चूका है, यानि कृषि उत्पादकता बढ़ती जा रही है| दूसरी तरफ इन दो दशकों के दौरान प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र की उपलब्धता में 10 प्रतिशत की कमी आंकी गयी है|

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