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विमर्श

भविष्य में लगभग हर उत्पाद और प्रोद्योगिकी पर हो जायेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नियंत्रण, बेरोजगारी में हेागी बेतहाशा बढ़ोत्तरी

Janjwar Desk
26 April 2023 1:35 PM IST
भविष्य में लगभग हर उत्पाद और प्रोद्योगिकी पर हो जायेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नियंत्रण, बेरोजगारी में हेागी बेतहाशा बढ़ोत्तरी
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बोरिस एल्दाग्सें ने पुरस्कार लेने से यह कहकर मना कर दिया कि उनका चित्र आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार किया गया था और उनका उद्देश्य पुरस्कार प्राप्त करना नहीं था, बल्कि वे कला के विभिन्न क्षेत्रों में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती घुसपैठ पर व्यापक बहस चाहते हैं

Artificial intelligence : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अनिश्चिताओं को देखते हुए इससे सम्बंधित बड़े उत्पादों या फिर इसके विकास पर कम से कम अगले 6 महीने का प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए, अन्यथा इसके व्यापक प्रभाव अनियंत्रित हो जायेंगे, इसके आर्थिक और सामाजिक प्रभाव दूरगामी होंगे, भविष्य में लगभग हरेक उत्पाद और प्रोद्योगिकी पर इसका कब्जा और नियंत्रण होगा और इस कारण बेरोजगारी तेजी से बढ़ेगी....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Artificial Intelligence is more deadly than nuclear weapons. हाल में सोनी वर्ल्ड फोटोग्राफी अवार्ड घोषित किये गए थे और इन पुरस्कारों के क्रिएटिव ओपन केटेगरी में जर्मनी के एक फोटोग्राफर और कलाकार बोरिस एल्दाग्सें (boris eldagsen sony world photography awards 2023) को प्रथम पुरस्कार देने की घोषणा की गयी। यह एक ब्लैक एंड वाइट चित्र था जिसमें दो अलग पीढ़ियों की महिलायें खड़ी थीं, पर बोरिस एल्दाग्सें ने पुरस्कार लेने से यह कहकर मना कर दिया कि उनका चित्र आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार किया गया था और उनका उद्देश्य पुरस्कार प्राप्त करना नहीं था, बल्कि वे कला के विभिन्न क्षेत्रों में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती घुसपैठ पर व्यापक बहस चाहते हैं।

बोरिस एल्दाग्सें एक प्रबुद्ध कलाकार हैं और उनका सम्बन्ध भारत से भी रहा है। उन्होंने फोटोग्राफी और विजुअल आर्ट्स की शिक्षा जर्मनी के मिन्ज स्थित आर्ट्स अकादमी से प्राप्त की है। इसके बाद चेक रिपब्लिक के प्राग से उन्होंने कन्सेप्चुअल एंड इन्टरमीडिया आर्ट्स की शिक्षा अकादमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स से प्राप्त की है। प्राग के बाद उन्होंने भारत के हैदराबाद स्थित सरोजिनी नायडू स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एंड कम्युनिकेशंस से फाइन आर्ट्स की पढाई की है। बोरिस एल्दाग्सें ने बताया कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार किये गए चित्र को प्रतियोगिता में भेजकर यह परखना चाहते थे कि क्या फोटोग्राफी प्रतियोगिताएं फोटोग्राफर्स द्वारा कड़ी मेहनत कर लिए गए चित्रों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार किये गए चित्रों में फर्क कर पाते हैं या नहीं, पर उन्हें यह अफ़सोस रहा कि अभी आयोजकों द्वारा ऐसे कृत्रिम छायाचित्रों को परखने का कोई तरीका नहीं है। जाहिर है, ऐसे विषयों पर विस्तार से चर्चा करने की जरूरत है।

बोरिस एल्दाग्सें ने कहा कि सोनी वर्ल्ड फोटोग्राफी प्रतियोगिता के परिणाम फोटोग्राफी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अवसर है जब पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा बनाए गए चित्र को फोटोग्राफी के लिए पुरस्कार दिया गया है, पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोटोग्राफी नहीं है। उन्होंने आयोजकों को सुझाव दिया कि उनका पुरस्कार यूक्रेन के ओडेसा में आयोजित फोटोग्राफी फेस्टिवल के आयोजकों को दे दिया जाए।

बोरिस एल्दाग्सें से सम्बंधित घटना ऐसे समय सामने आई है जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग और प्रभाव पर पूरी दुनिया में गहन चर्चा की जा रही है। कहा जा रहा है कि इस टेक्नोलॉजी से मानव अनुभव के परम्परागत स्वरुप को पूरी तरह से बदला जा सकता है और यदि ऐसा हुआ तो फिर जाहिर है मानवजाति के लिए इससे बड़ा कोई दूसरा खतरा नहीं होगा। हाल के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग चैटबौट, ड्राईवरलेस कार, लेखन, संगीत उद्योग और नई दवाओं के आविष्कार में व्यापक तरीके से किया जा रहा है।

हाल में ही गूगल के सीईओ सुन्दर पिच्चई ने समाचार चैनल सीबीएस के 60 मिनट्स नामक कार्यक्रम में एक लम्बा इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मानवता के विपरीत व्यापक प्रभावों से इतने परेशान हैं कि इसे सोचकर उनकी रातों की नींद गायब हो जाती है। यदि इसका उपयोग ठीक से नहीं किया जाए तो दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। इसके आगे उन्होंने कहा कि इसके उपयोग और प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों को नियंत्रित करने जैसे एक दिशा-निर्देश की जरूरत है।

गूगल की पैत्रिक कंपनी, अल्फाबेट, के पास यूनाइटेड किंगडम स्थित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी डीपमाइंड, का स्वामित्व है और इसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से चलने वाले बार्ड नामक चैटबौट को काफी तामझाम के साथ बाजार में उतारा है। इसे बाजार में अमेरिकन टेक कंपनी ओपनएआई द्वारा बनाए गए चर्चित चैटबौट, चैटजीपीटी, के प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा जा रहा है। गूगल और पैत्रिक कंपनी अल्फाबेट, दोनों ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ दूसरे उत्पाद भी दुनिया के सामने जल्दी ही रखने वाले हैं। अपने साक्षात्कार के दौरान सुन्दर पिच्चई ने बेबाकी से यह भी बताया कि भले ही गूगल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ उत्पाद प्रस्तुत कर रहा हो पर सच यह है कि हम इसके बारे में पूरा नहीं जानते। जब उनसे पूछा गया कि जिसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है तब उनकी कंपनी इसका उपयोग क्यों कर रही है – इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मानव मस्तिष्क के बारे में भी तो आज तक हम पूरा नहीं जान पाए हैं।

फिलहाल चैटबौट में जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है उसे लार्ज लैंग्वेज मॉडल कहा जाता है, और यह इन्टरनेट पर सभी उपलब्ध सामग्री का उपयोग कर उसमें से जवाब खोज लेता है। इसके समतुल्य डाल-ई और मिडजर्नी जैसे सिस्टम भी हैं जिनका उपयोग चित्रों के लिए किया जा रहा है। पिच्चई ने अपने साक्षात्कार में बताया कि यह पूरा तंत्र ब्लैक बॉक्स के तरह है, जिसके अन्दर क्या है कोई भी नहीं जानता। यदि इसका उपयोग गलत और भ्रामक सूचनाओं के लिए किया जाए तब यह बहुत खतरनाक हो सकता है क्योंकि इससे उत्पन्न गलत सूचनाएं की प्रस्तुति भी बहुत विश्वसनीय जैसी होती है। पिच्चई ने यह भी कहा कि मानव मस्तिष्क के विकास की तुलना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास कई गुना अधिक तेजी से किया जा रहा है, इसलिए इससे सामंजस्य बैठा पाना कठिन है और जाहिर तौर पर यह मनुष्य जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

कुछ समय पहले दुनिया के हजारों वैज्ञानिक, टेक्नोलॉजी से जुड़े विशेषज्ञों, उद्योगपतियों और प्रबुद्ध लोगों ने, जिसमें ट्विटर के मालिक एलोन मस्क भी शामिल थे, एक एक पेटीशन पर हस्ताक्षर किये थे। इस पेटीशन में कहा गया था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अनिश्चिताओं को देखते हुए इससे सम्बंधित बड़े उत्पादों या फिर इसके विकास पर कम से कम अगले 6 महीने का प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए, अन्यथा इसके व्यापक प्रभाव अनियंत्रित हो जायेंगे। इसके आर्थिक और सामाजिक प्रभाव दूरगामी होंगे। भविष्य में लगभग हरेक उत्पाद और प्रोद्योगिकी पर इसका कब्जा और नियंत्रण होगा और इस कारण बेरोजगारी तेजी से बढ़ेगी।

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