ट्रंप का कोरोना मसले पर न्यूजीलैंड का दुष्प्रचार ठीक वैसा, जैसा भारत में तब्लीगी जमात का
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और हमारे प्रधानमंत्री मोदी में कोविड 19 के सन्दर्भ में एक बड़ी समानता है – दोनों ही अपने देश में कोविड 19 का विस्तार रोकने में असफल रहे हैं, पर दोनों नेता इसके विस्तार को रोकने का लगातार दावा करते हैं और अजीब तर्कों का सहारा लेकर अपनी कामयाबी का सरेआम बखान करते हैं।
कोविड 19 के मामलों और इससे होने वाली मृत्यु के सन्दर्भ में अमेरिका सबसे आगे गई और भारत दूसरे स्थान पर है। पिछले कुछ दिनों से रोज आने वाले नए मामलों के सन्दर्भ में भारत अमेरिका से भी आगे निकल कर पहले स्थान पर आ गया है।
ट्रम्प तो लगातार हरेक प्रेस ब्रीफिंग, इंटरव्यू, प्रेस कांफ्रेंस और रैली में कोविड 19 के मामले में अपनी पीठ थपथपाते हैं। भारत में प्रधानमंत्री मोदी लगातार इसके विस्तार को रोकने में अपने आप को सफल बताते हैं और कहते हैं कि दूसरे देशों में हालत बहुत खराब है, जबकि आज हम संक्रमण के सन्दर्भ में केवल अमेरिका से ही पीछे हैं।
दुनिया के कुछ ही देश हैं जिसने इस पर बहुत हद तक नियंत्रण रखा है और न्यूज़ीलैण्ड उनमें से एक है। बेहतर प्रबंधन के कारण जून से न्यूज़ीलैण्ड में नए मामले आने बंद हो गए थे और पूरे 102 दिनों तक वहां कोई भी नया मामला नहीं आया। इसके बाद अभी पिछले 11 अगस्त से अब तक 87 नए मामले दर्ज किये गए हैं। इनमें से अधिकतर मामले ऑकलैंड से सामने आये हैं। इसके बाद ऑकलैंड में स्टेज 3 का लॉकडाउन तीन सप्ताह के लिए घोषित कर दिया गया है।
न्यूज़ीलैण्ड में अब तक कोविड 19 के कुल 1671 मामले सामने आये हैं और 22 व्यक्तियों की इससे मृत्यु हुई है। अमेरिका में कुल 56 लाख मामले सामने आये हैं और 1,75,000 से अधिक मृत्यु दर्ज की गई है।
18 अगस्त को मिनेसोता की रैली में अमेरिकी राष्ट्रपति ने फिर से कोविड 19 के सन्दर्भ में अपनी तारीफ़ की, पर इसके आगे जो कहा उससे सभी हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि न्यूज़ीलैण्ड की सभी तारीफ़ करते हैं, कोविड 19 पर जीत के समाचार मुझे दिखाने के लिए अखबारों की हैडलाइन बने, पर वहां की हालत तो बहुत खराब है। इसके बाद मीडिया इस वक्तव्य पर ट्रम्प की खिल्ली उड़ाता रहा, क्योंकि जिस दिन ट्रम्प ने यह वक्तव्य दिया था, उससे पहले के दिन में न्यूज़ीलैण्ड में केवल 9 नए मामले सामने आये थे, जबकि अमेरिका में यह संख्या 45000 से अधिक थी।
न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्देर्न ने 21 अगस्त को प्रेस कांफ्रेंस कर इस पर एक संतुलित सा वक्तव्य दिया है। उन्होंने ट्रम्प का नाम नहीं लिया, पर आंकड़ों की तुलना अमेरिका से की। उनके अनुसार नए मामले आने जितना ही महत्वपूर्ण है कि आप कोविड 19 से निपटने का कितना प्रभावी इंतजाम करते हैं, और इस मामले में न्यूज़ीलैण्ड दुनिया के किसी भी देश से आगे है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार न्यूज़ीलैण्ड सबसे अधिक टेस्टिंग करने के साथ-साथ सबसे कम मृत्यु दर वाला देश है। अमेरिका में प्रति दस लाख आबादी में 16563 व्यक्ति कोविड 19 से संक्रमित हैं, जबकि न्यूज़ीलैण्ड में यह आंकड़ा महज 269 है।
जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार न्यूज़ीलैण्ड में प्रति एक लाख निवासियों में कोविड 19 से मृत्यु दर 0।45 है, जबकि अमेरिका में यह 55।04 है। जेसिंडा अर्देर्न ने यह भी कहा कि तकनीकी तौर पर भी अमेरिका की तुलना न्यूज़ीलैण्ड से करना उचित नहीं है, क्योंकि अमेरिका में कोविड 19 के अब तक कुल 57 लाख से अधिक मामले सामने आये हैं और पौने दो लाख के लगभग मौतें दर्ज की गईं हैं, जबकि न्यूज़ीलैण्ड में अब तक कुल 1671 मामले सामने आये हैं और 22 लोगों की मृत्यु हुई है।
ट्रम्प का न्यूज़ीलैण्ड के सन्दर्भ में कोविड 19 को दिया गया वक्तव्य अपने घनिष्ठ मित्रों – प्रधानमंत्री मोदी, ब्राज़ील के राष्ट्रपति बोल्सेनारो, रूस के राष्ट्रपति पुतिन, इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन – के कोविड 19 से निपटने की अक्षमता को भी गौण करने की मुहीम के तौर पर देखा जाना चाहिए।
पिछले लगभग 20 दिनों से दुनिया में कोविड 19 से नए संक्रमण के मामले सबसे अधिक भारत में आ रहे हैं, पर ट्रम्प ने आजतक कभी इस सन्दर्भ में भारत का नाम नहीं लिया। अमेरिका की तरह ही ब्राज़ील, रूस और ब्रिटेन पर भी कोविड 19 से निपटने में लापरवाही के बारे में बड़े-बड़े लेख लिखे गए हैं, पर ट्रम्प ने कभी इन देशों का नाम भी नहीं लिया।
दूसरी तरफ कोविड 19 के सन्दर्भ में किसी भी तरह से आप चर्चा करें, सबसे सफल देशों में न्यूज़ीलैण्ड का नाम आपको लेना ही पड़ेगा, पर ट्रम्प अपनी नाकामियाँ छुपाने के लिए अगर न्यूज़ीलैण्ड का नाम असफलता के सन्दर्भ में लेते हैं, तब जाहिर है उनका वक्तव्य वैसा ही है जैसा भारत में कोविड 19 के विस्तार में तबलीगी जमात का मामला था।