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विमर्श

भारत में निष्पक्ष पत्रकारिता बना सबसे खतरनाक पेशा, 2023 में 5 पत्रकारों की हत्या-226 पर जानलेवा हमले !

Janjwar Desk
12 May 2024 10:45 PM IST
भारत में निष्पक्ष पत्रकारिता बना सबसे खतरनाक पेशा, 2023 में 5 पत्रकारों की हत्या-226 पर जानलेवा हमले !
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30 सितंबर 2008 को देर रात दफ्तर से घर लौटते वक्त टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की कर दी गयी थी हत्या

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Real Journalism has become most dangerous profession in India. अक्टूबर 2023 में जब दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की वर्ष 2008 में की गयी हत्या के लिए 5 लोगों को सजा का ऐलान किया, तब बहुत सारे समाचार चैनलों पर और समाचार पत्रों में भी इसे पत्रकार सौम्या के लिए इन्साफ करार दिया था। देश की राजधानी में जहां की पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है, वहां एक पत्रकार की हत्या हो जाती है और यह मामला न्यायालय और दिल्ली पुलिस के बीच 15 वर्षों तक लटका रहता है, फिर भी इसे “न्याय” बताने वाले मीडिया पर शर्म ही कर सकते हैं।

यह मामला देश में निष्पक्ष पत्रकारों के खतरों को भी स्पष्ट करता है – देश की राजधानी में एक हत्या का मामला यदि 15 वर्षों तक चल सकता है तो फिर जाहिर है गाँव, सुदूर क्षेत्रों और कस्बों में जब पत्रकारों की हत्या होती है, तब ऐसे मामले न्यायालय और पुलिस के बीच कई दशकों तक लंबित रहते होंगे।

इंडिया फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन इनिशिएटिव द्वारा प्रकाशित इंडिया प्रेस फ्रीडम एनुअल रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में वास्तविक पत्रकारिता करना सबसे खतरनाक पेशा है। इसके अनुसार वर्ष 2023 में देश में 5 पत्रकार मारे गए और 226 पत्रकारों पर सत्ता द्वारा या फिर राजनीतिक दलों, भू-माफियाओं और अपराधियों द्वारा हमले किये गए। जिन 5 पत्रकारों की हत्या की गयी, उसमें दो उत्तर प्रदेश के थे – इसके अतिरिक्त असम, महाराष्ट्र और बिहार में एक-एक पत्रकार की हत्या की गयी। उत्तर प्रदेश में जनवरी 2023 में उन्नाव में मनु अवस्थी और मार्च 2023 में जौनपुर में देवेन्द्र खरे की हत्या की गयी।

जून 2023 में असम में पत्रकार अब्दुल रौफ अलमगीर की हत्या कर शव को नदी में बहा दिया गया था, फरवरी 2023 में महाराष्ट्र में पत्रकार शशिकांत वारिसे को एसयूवी से कुचल दिया गया था और बिहार के अररिया में विमल कुमार को गोलियों से मार डाला गया था। सभी पाँचों हत्याएं भू-माफिया और असामाजिक तत्वों द्वारा की गईं थीं।

कुल 226 पत्रकारों पर हमले किये गए – इनमें सबसे अधिक 54 दिल्ली में, 25 पश्चिम बंगाल में, 22 मणिपुर में, 20 उत्तर प्रदेश में, 16 केरल में, 11 झारखण्ड में; महाराष्ट्र और तेलंगाना में 8-8; असम, बिहार और मध्य प्रदेश प्रत्येक में 7-7; छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक और ओडिशा में प्रत्येक में 5-5; आंध्र प्रदेश और हरियाणा में 4-4; पंजाब में 3, त्रिपुरा में 2; और तमिलनाडु, राजस्थान और उत्तराखंड में 1-1 पत्रकार पर हमले किये गए।

कुल 226 पत्रकारों पर किये गए हमलों में से 148 पर पुलिस और प्रशासन द्वारा हमले किये गए, जबकि 78 पर हमलों में राजनीतिक दल, असामाजिक तत्व और भू-माफिया शामिल थे।

पुलिस द्वारा किये गए हमलों में सबसे आगे दिल्ली रही, जहां ऐसे 51 हमले किये गए, इसके बाद मणिपुर और पश्चिम बंगाल में 19-19 हमले, केरल में 11 और उत्तर प्रदेश में 9 हमले किये गए। पुलिस द्वारा हमले में हवालात या जेल भेजना, एफ़आईआर दर्ज करना, पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित करना और घर की तलाशी लेना और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करना शामिल है।

वर्ष 2023 में किल 21 पत्रकारों को, जिनमें 2 महिला पत्रकार शामिल हैं, हवालात या जेल में बंद किया गया – ऐसे सबसे अधिक 4 मामले दिल्ली के और 3 हरियाणा के हैं। कुल 47 पत्रकारों के खिलाफ FIR दर्ज की गयी, जिसमें पश्चिम बंगाल में 18, केरल में 9 और मणिपुर में 5 एफ़आईआर दर्ज की गयी। पुलिस ने 54 पत्रकारों को पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित किया और 26 पत्रकारों को शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया। कुल 56 पत्रकारों पर अपराधियों या गैर-सामाजिक तत्वों ने हमले किये, जबकि 22 पत्रकारों पर हमले राजनीतिक नेताओं या फिर उनके समर्थकों द्वारा किये गए।

इन 226 पत्रकारों में 30 महिला पत्रकार हैं, इनमें से 23 पुलिस की ज्यादतियों का शिकार हुईं। 3 पत्रकारों को हवालात में या जेल में कैद किया गया, 9 के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज की गयी और शेष को पूछ-ताछ, तलाशी, और जानकारी लेने के नाम पर प्रताड़ित किया गया। महिला पत्रकारों को प्रताड़ित करने के मामले में सबसे आगे दिल्ली है, जहां 12 पत्रकारों को प्रताड़ित किया गया। इसके बाद केरल और मणिपुर में 5-5, पश्चिम बंगाल में 3, पंजाब में 2 और ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में 1-1 महिला पत्रकारों को प्रताड़ित किया गया।

इंडिया प्रेस फ्रीडम एनुअल रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में केंद्र सरकार नए कानूनों को लाकर पूरी तरह से सेंसरशिप लागू करना चाहती है। इन कानूनों में प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ़ पीरियोडिकल्स एक्ट 2023, ब्राडकास्टिंग रेगुलेशन सर्विसेज बिल 2023 और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (इन्टरमेडीयरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) अमेंडमेंट रूल्स 2023 प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री मोदी के शासन के 10 वर्षों में पर्यावरण विनाश चरम पर रहा है, और उद्योगपतियों को प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की पूरी आजादी दी गयी है।

ऐसे दौर में पर्यावरण विनाश और प्राकृतिक संसाधनों की लूट से जुड़ी पत्रकारिता सबसे खतरनाक हो चली है। रिपोर्टर्स विथआउट बॉर्डर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2014 से 2023 तक मोदी राज में कुल 28 पत्रकारों की हत्या की गयी है, जिसमें से 13 पत्रकार पर्यावरण विनाश या प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर खोजी पत्रकारिता कर रहे थे।

इन्टरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स द्वारा प्रकाशित साउथ इंडिया प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में प्रजातंत्र खतरे में है और इसके साथ ही प्रेस की आजादी भी खतरे में है। इसके अनुसार स्वतंत्र मीडिया के बिना जीवंत प्रजातंत्र का कोई अस्तित्व नहीं है। दक्षिण एशिया में प्रेस की आजादी पर सत्ता और पूजीपतियों द्वारा हमले बढ़ते जा रहे है। भारत में मीडिया और पत्रकारों का सत्ता द्वारा दमन, राजनीतिक ध्रुवीकरण, आर्थिक समस्याएं और इंटररनेट बंदी द्वारा हमले बढ़ रहे हैं।

सन्दर्भ:

1. https://www.deccanherald.com/india/press-freedom-in-india-5-journalists-killed-226-targeted-during-2023-says-report-3006239

2. https://rsf.org/en/almost-half-28-journalists-killed-india-modi-became-pm-were-covering-environment-related-stories

3. https://frontline.thehindu.com/news/media-freedom-india-south-asia-ifj-report-rings-alarm-bells-democratic-decline/article68153948.ece

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