Sarojini Naidu Biography in Hindi: भारत की पहली महिला राज्यपाल जिनके जन्म दिवस को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है
Sarojini Naidu Biography in Hindi: भारत की पहली महिला राज्यपाल जिनके जन्म दिवस को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है
मोना सिंह की रिपोर्ट
Sarojini Naidu Biography in Hindi: 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिला सशक्तिकरण आधुनिक युग की देन नहीं है, बल्कि यह कई दशक पहले से ही भारतीय समाज का हिस्सा रहा है। आजादी की लड़ाई में कई महिलाओं ने सक्रिय योगदान देकर साबित किया कि, महिलाएं समाज का कमजोर वर्ग नहीं, बल्कि वो सशक्त हिस्सा हैं जिनकी भागीदारी के बगैर कोई भी कार्य अधूरा है। आजादी की लड़ाई में अहम भागीदारी निभाने वाली कुछ महिलाओं में से एक खास महिला भारत कोकिला सरोजिनी नायडू भी थीं। सरोजिनी नायडू हमेशा महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत रहीं थीं। इसलिए उनका जन्म दिवस महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू की 135वीं जयंती से यानी 13 फरवरी 2014 को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी।
सरोजिनी नायडू का जीवन
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को भारत के हैदराबाद शहर में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय निजाम कॉलेज के संस्थापक और रसायन शास्त्र के वैज्ञानिक थे। और मां वर्धा सुंदरी कवियत्री थी। वह बांग्ला में लिखती थीं। उनके पिता उन्हें अपनी तरह की वैज्ञानिक या गणितज्ञ बनाना चाहते थे। लेकिन सरोजिनी नायडू को कविताओं से प्रेम था और वह इसे त्याग नहीं सकीं।
सरोजिनी नायडू की शिक्षा
सरोजिनी नायडू बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की छात्रा थी। उन्होंने 12 वर्ष की छोटी सी उम्र में 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कर ली थी। हैदराबाद के निजाम द्वारा प्रदान की गई छात्रवृत्ति से सरोजिनी को आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा गया था। सरोजिनी ने पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन किया। 1895 में वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चली गईं।
सरोजिनी की पहली कविता
मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने 'लेडी ऑफ द लेक' या झील की रानी नामक कविता और 2000 पंक्तियों का विस्तृत नाटक अंग्रेजी में लिखा। इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान भी उनका कविता प्रेम यथावत बना रहा। वे कविताएं लिखती रहीं।
पहला कविता संग्रह
सरोजिनी का पहला कविता संग्रह 'गोल्डन थ्रेसोल्ड'( 1905) नाम से प्रकाशित हुआ। यह पाठकों के बीच आज भी लोकप्रिय है। उनके दूसरे और तीसरे कविता संग्रह 'बर्ड ऑफ टाइम' और 'ब्रोकन विंग्स' ने उन्हें सुप्रसिद्ध कवि बना दिया। सरोजिनी नायडू को शब्दों की जादूगरनी भी कहा जाता था। उनकी हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला गुजराती, फारसी, और तेलगू भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी। क्षेत्र के अनुसार वे अपना भाषण उसी क्षेत्र की भाषा में देती थीं। वह बहुभाषाविद थीं।
इसलिए कहा गया भारत कोकिला
सरोजिनी नायडू अपनी कविताओं का पाठ अत्यंत मधुर स्वर में करती थीं। इसलिए उन्हें भारत कोकिला भी कहा जाता था।
सरोजिनी नायडू का विवाह
सरोजिनी 1898 में इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद वे गोविंदराजुलू नायडू से विवाह करना चाहती थीं। 3 वर्ष पूर्व जब वे इंग्लैंड में अध्ययनरत थीं, डाक्टर नायडू ने उनके सामने विवाह प्रस्ताव रखा था। डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू फौज में डॉक्टर थे। उस समय सरोजिनी के पिता इस विवाह के विरुद्ध थे। परंतु बाद में उन्होंने यह विवाह संबंध तय कर दिया। और 1898 में 19 वर्ष की आयु में सरोजिनी का विवाह डाक्टर नायडू से संपन्न हो गया। हैदराबाद में उन्होंने अपने सुखमय वैवाहिक जीवन का शुभारंभ किया। कालांतर में नायडू दंपति चार बच्चों के माता-पिता बने।
स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी
1914 में सरोजिनी इंग्लैंड ने गांधीजी से मिलीं। वे गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित हो गईं। इस दौरान वे जेल भी गईं और उन्होंने कई राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व भी किया। उन्होंने गांव-गांव घूमकर स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया। लोगों में देश प्रेम की भावना को प्रबल किया। उनके भाषण जनता में नया उत्साह भर देते थे,और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरणा देते थे ।1925 में वे कानपुर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षा बनीं थीं। 1928 में उन्हें' केसर- ए -हिंद' की उपाधि से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें भारत में प्लेग की महामारी के दौरान किए गए सेवा कार्यो के लिए दिया गया था। 1932 में वे भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका गईं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण, जातिवाद और लिंग भेद मिटाने के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए।
पहली महिला राज्यपाल
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के स्वतंत्रता सेनानियों के सामने राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य था। सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा प्रांत था। वे भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं। इस पद को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा कि 'मैं अपने को कैद कर दिए गए जंगल के पक्षी की तरह अनुभव कर रही हूं'। कार्यभार निर्वहन के लिए वे लखनऊ में बस गई।
सरोजिनी नायडू का निधन
2 मार्च 1949 को 70वर्ष की उम्र में लखनऊ में उनका देहांत हार्ट अटैक की वजह से हो गया।
सरोजिनी नायडू प्रकाशन
- द गोल्डन थ्रेसहोल्ड (1905)
- समय की चिड़िया (1912)
- मुहम्मद जिन्ना: एकता के राजदूत (1916)
- द ब्रोकन विंग (1917)
- द सेप्ट्रेड फ्लूट (1928)
- द फेदर ऑफ द डॉन (1961), पद्मजा नायडू द्वारा संपादित
- सरोजिनी नायडू के बारे में किताबें
- हसी बनर्जी। सरोजिनी नायडू: द ट्रेडिशनल फेमिनिस्ट । 1998.
- ईएस रेड्डी गांधी और मृणालिनी साराभाई। महात्मा और कवयित्री 1998
- केआर रामचंद्रन नायर। तीन न इंडो-एंग्लियन कवि: हेनरी डेरोजियो, तोरू दत्त और सरोजिनी नायडू। 1987.