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विमर्श

ईश्वर पर भरोसा करने वाले इंसान से ज्यादा मानते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुझावों को असरकारी, अध्ययन में हुआ खुलासा

Janjwar Desk
29 Aug 2023 11:18 AM GMT
ईश्वर पर भरोसा करने वाले इंसान से ज्यादा मानते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुझावों को असरकारी, अध्ययन में हुआ खुलासा
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ईश्वर को मनुष्यों की तुलना में अधिक महान, बुद्धिमान और शक्तिशाली समझा जाता है और यही सोच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भी काम करती है। इसे भी मानव मस्तिष्क से अधिक बुद्धिमान समझा जाता है....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The God and Artificial Intelligence, both are considered superior to humans. प्रोसीडिंग्स ऑफ़ नेशनल अकादमी ऑफ़ साइंसेज के जर्नल में हाल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार ईश्वर में भरोसा करने वाले लोग नास्तिकों की तुलना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ज्यादा भरोसा करते हैं और इसके सुझावों को अधिक प्रभावी समझते हैं। इस अध्ययन को ड्यूक यूनिवर्सिटी की कैषा कटराईट और नज़रबायेव यूनिवर्सिटी के मुस्तफा करतास ने संयुक्त तौर पर किया है।

इस अध्ययन के अनुसार सामान्य मनुष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में मनुष्यों पर अधिक भरोसा करते हैं, पर ईश्वर पर अधिक भरोसा करने वाले लोग मनुष्यों की तुलना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुझावों पर अधिक भरोसा करते हैं। यह भरोसा हरेक क्षेत्र में नजर आता है – भले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न सुझाव सिनेमा, पुस्तक, वाणिज्य, बाजार, स्वास्थ्य सेवाओं और रोमांटिक पार्टनर के सम्बन्ध में हों।

धीरे-धीरे मानव मस्तिष्क और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बीच की दूरियाँ सिमटती जा रही हैं – और हम जो पढ़ रहे हैं या देख रहे हैं वह मानव मस्तिष्क का कमाल है या फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपज, यह बताना कठिन होता जा रहा है। पूंजीवादी व्यवस्था में केवल मानव मस्तिष्क ही नहीं बल्कि पूरा मानव ही नेपथ्य में जा रहा है और रंगमंच पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। पूरी दुनिया में लगभग हरेक सत्ता इसके अनजाने कुप्रभावों से आशंकित होने के बाद भी इसे लगातार बढ़ावा दे रही है। पूंजीवाद और सरकारें इसे जितना बढ़ावा दे रही हैं, दुनिया में बेरोजगारी की समस्या उतनी ही बढ़ रही है।

इस अध्ययन को 8 चरणों में पूरा किया गया था, शुरुआती चरणों में व्यक्तियों में ईश्वर के प्रति आस्था की तीव्रता को स्थापित किया गया, जबकि आगे के चरणों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानव मस्तिष्क द्वारा उत्पन्न सुझावों के प्रति उनके रुझान को देखा गया। कैषा कटराईट के अनुसार इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि ईश्वर पर भरोसा करने वालों का व्यवहार कुछ हद तक बदल जाता है। ऐसे लोग मनुष्यों से अधिक आभासी दुनिया पर ज्यादा भरोसा करते हैं। ईश्वर को मनुष्यों की तुलना में अधिक महान, बुद्धिमान और शक्तिशाली समझा जाता है और यही सोच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भी काम करती है। इसे भी मानव मस्तिष्क से अधिक बुद्धिमान समझा जाता है। जाहिर है हमारा भरोसा आभासी दुनिया और महामानवों में बढ़ता जा रहा है, जबकि इस समय की अधिकतर समस्याएं इन्हीं की देन हैं।

इस अध्ययन के निष्कर्ष भले ही नए प्रतीत हो रहे हों, पर हमारे समाज में यह सदियों से व्याप्त है और आजतक चला आ रहा है। हम तथाकथित महामानवों पर अधिक भरोसा करते हैं, और वही समाज को लूट भी रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री जी को भी उनके समर्थक महामानव ही करार देते हैं – दिन में 18 घंटे काम करते हैं, हमेशा जनता की भलाई के लिए काम करते हैं, मोदी जी ने जनता को सौगात दिया, मोदी जी ने जनता की भलाई के लिए योजना बनाई, मोदी जी के अथक प्रयास से हम चन्द्रमा पर पहुँच गए, मोदी जी ने बादलों के बीच राडार को फ़ैल कर दिया, इत्यादि चर्चायें अक्सर सुनाई देती हैं।

अब तो देश की सरकार नजर ही नहीं आती, नजर आते हैं तो बस मोदी जी। दूसरी तरफ भाजपा अपनी नीतियों के माध्यम से धर्म को जनता पर थोपती रही है, और जनता इस छलावे में आसानी से आ जाती है।

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