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विमर्श

World Population Day 2022: पापुलेशन ब्लास्ट, आठ अरब होने जा रही है विश्व की जनसंख्या

Janjwar Desk
11 July 2022 10:50 PM IST
World Population Day 2022: पापुलेशन ब्लास्ट, आठ अरब होने जा रही है विश्व की जनसंख्या
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World Population Day 2022: पापुलेशन ब्लास्ट, आठ अरब होने जा रही है विश्व की जनसंख्या

World Population Day 2022। वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बनी मानव आबादी का आंकड़ा जल्द ही आठ अरब को छूने वाला है। इसी के साथ इतनी बड़ी आबादी का पेट भरने लायक संसाधनों के इंतजाम पर भी चर्चा होने लगी है। विश्व में प्रति मिनट औसतन 270 बच्चों के जन्म के साथ बढ़ रही जनसंख्या का यह आठ अरब का आंकड़ा अगले ही साल 2023 में छू लिया जाएगा।

World Population Day 2022। वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बनी मानव आबादी का आंकड़ा जल्द ही आठ अरब को छूने वाला है। इसी के साथ इतनी बड़ी आबादी का पेट भरने लायक संसाधनों के इंतजाम पर भी चर्चा होने लगी है। विश्व में प्रति मिनट औसतन 270 बच्चों के जन्म के साथ बढ़ रही जनसंख्या का यह आठ अरब का आंकड़ा अगले ही साल 2023 में छू लिया जाएगा। माना जा रहा है कि अगले तीन साल में भारत विश्व की सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। लेकिन इसके साथ ही यह तथ्य भी अपनी जगह है कि साल 2100 तक भारत की आबादी में बहुत बड़े पैमाने पर कमी आयेगी। विश्व की जनसंख्या बढ़ने के पीछे लोगों के खान-पान में सुधार के कारण बढ़ी औसत उम्र, शिशु मृत्यु दर में कमी मुख्य है। लेकिन विशेषज्ञों की नजर में इसके कुछ कारण और भी हैं।

आज विश्व की आधी आबादी युवा मानी जाती है। मतलब आप विश्व को युवा विश्व कह सकते हैं। दुनिया में इस समय 30 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों की आबादी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है। अनुमान है कि अगले 30 सालों में विश्व की आबादी 2 अरब तक बढ़ेगी, जिसमें आधा योगदान केवल अफ्रीका महाद्वीप का ही होगा। यह आलम संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट का है। जनसंख्या बढ़ने के पीछे अलग अलग जगह पर अलग अलग कई कारक काम कर रहे हैं। जिसमें पिछली तीन शताब्दियों में अधिक जन्‍म दर का होना मुख्य रहा। 18वीं सदी से 20वीं सदी के अंत तक जन्‍म दर काफी तेज थी। आंकड़ों के अनुसार करीब 250 साल पहले तक एक महिला औसतन 6 बच्‍चों को जन्‍म देती थी। यह स्थिति डेढ़ सौ वर्षों तक बनी रही। इससे चीन व भारत में जनसंख्या विस्फोट के बने हालात से एशिया में आबादी बहुत तेजी से बढ़ी। इसी ऊंची जन्म दर के चलते ही 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में दुनिया की आबादी 100 करोड़ होने के बाद तेजी से बढ़ती गई। विश्व की जनसंख्या को 200 करोड़ पहुंचने में 123 साल का समय लगा, साल 1927 में वर्ल्ड पॉपुलेशन 200 करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गई। इसके बाद 1960 में विश्व की आबादी 300 करोड़ पर पहुंच गई। एक बार वर्ल्‍ड पॉपुलेशन ने जैसे ही 300 करोड़ का आंकड़ा पार किया, उसके बाद विश्व की हर 100 करोड़ आबादी महज दो दशकों के अंदर ही बढ़ती चली गई।

जनसंख्या बढ़ने के पीछे इंसान की औसत उम्र बढ़ना भी एक बड़ी वजह के रूप में सामने आया है। हम भले ही इन किस्से कहानियों पर इतराते रहे कि हमारे पूर्वज सैंकड़ों साल तक जीते थे या हमारे उस पूर्वज की उम्र चार सौ साल थी। निर्मम सच्चाई यह है कि एक समय में हमारे पूर्वजों को अपने जीवन के तीन दशक पूरे करने तक के लाले पड़े रहते थे। ज्यादा पीछे न जाकर सिर्फ 250 साल पहले की ही बात करें तो इंसान औसतन 28 साल ही जीता था। लेकिन आज औसत उम्र बढ़कर 70 साल से भी ज्‍यादा हो गई है। 18वीं सदी से ही पूरे विश्व में इंसान की औसत उम्र लगातार बढ़ती आ रही है। आज 30 देश ऐसे हैं जहां लोगों की औसत उम्र 80 से ज्‍यादा है और 100 देशों में औसत उम्र 70 पार है। भारत में यह आंकड़ा 69.7 साल है। एक तरफ जहां हमारी औसत उम्र बढ़ी तो दूसरी तरफ मृत्‍यु दर में लगातार कमी ने भी जनसंख्या विस्फोट में खासा योगदान दिया है। आंकड़ों की ही बात की जाए तो साल 1950 से ही जन्‍म दर और मृत्‍यु दर में लगातार कमी देखने को मिल रही है। साल 1950 में 1000 लोगों में से 20 लोगों की मौत हुई। तो यह आंकड़ा अब 2020 में घटकर 8 रह गया है। इसके साथ ही जहां पहले शिशुओं की मृत्यु दर बेतहाशा थी। बदले हालात में इस पर लगी रोक भी जनसंख्या बढ़ाने में स्वाभाविक तौर पर जिम्मेदार है। साल 1990 में जहां 1000 में से 93 बच्‍चाें की मौत हो जाती थी तो साल 2020 में 1000 में से सिर्फ 37 बच्‍चों की ही मौत हुई।

हालांकि जब भी जनसंख्या के बारे में बात की जाती है तो कई और बातों के अलावा एक बात जो कॉमन रूप से सुनाई देती है वह है कि विश्व में जन्म दर बेहद तेजी से घट रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि जब जन्म दर घट रही है तो विश्व की आबादी आखिर किस गणित से बढ़ती जा रही है ? इस सवाल का जवाब सवाल में ही है। दरअसल जन्‍म दर से आबादी की आधी कहानी ही पता चलती है। जब हम मृत्‍यु दर पर नजर डाली जाए तो अब हर साल 1000 लोगों में 7.60 लोगों की मौत होती है, जबकि 1000 लाेगों पर हर साल करीब 18 लोगों का जन्‍म होता है। यानी जन्म दर का आंकड़ा मृत्यु दर से 2 गुना से ज्यादा है। यही आबादी में बढ़ोतरी का एक अहम कारण है।

वैश्विक जनसंख्या के आंकड़े बताते हैं कि पूरे विश्व में आज 1 मिनट में 270 बच्चे जन्म लेते हैं। इस तरह हर साल 13 करोड़ नए लोग विश्व परिवार का हिस्सा बनते हैं। यह आंकड़ा बताया है कि 2023 में विश्व की आबादी 8 अरब और 2100 तक 11 अरब पर पहुंचने जा रही है। जनसंख्या सांख्यिकी के जानकारों के अनुसार भारत में जो वर्तमान में स्थिति है, उससे अगले 3-4 साल के भीतर ही भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। लेकिन वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार इस सदी के अंत तक भारत और चीन दोनों देशों की आबादी में काफी गिरावट आएगी। जनसंख्या में गिरावट के यह आंकड़े इतना उलटफेर करेंगे कि साल 2100 में भारत की आबादी 1.09 अरब होगी। चीन तीसरे स्थान पर होगा। वहीं नाइजीरिया की आबादी विश्व में दूसरे स्थान पर होगी।

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