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दुनिया

या तो समाजवाद जुओं को हरा देगा या जुएं समाजवाद को हरा देंगी- लेनिन

Janjwar Desk
22 April 2021 3:38 PM GMT
या तो समाजवाद जुओं को हरा देगा या जुएं समाजवाद को हरा देंगी- लेनिन
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रूस में 1917 में क्रांति हुई थी, यह वही समय था जब दुनिया प्रथम विश्व युद्ध लड़ रही थी। इस समय दुनिया में महामारियों का प्रकोप चरम पर था....

जनज्वार। आज व्लादिमीर लेनिन का जन्मदिन है। व्लादीमिर इल्यीच लेनिन मज़दूर वर्ग के महान नेता, शिक्षक और दुनिया की पहली सफल मज़दूर क्रान्ति के नेता थे। लेनिन के नेतृत्व में सोवियत संघ में पहले समाजवादी राज्य की स्थापना हुई थी। लेनिन के नेतृत्व में दुनिया ने पहली बार सर्वहारा वर्ग की असीम ताकत को देखा था। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया था कि सर्वहारा क्रांति सम्भव है।

1917 की क्रांति और महामारी

रूस में 1917 में क्रांति हुई थी, यह वही समय था जब दुनिया प्रथम विश्व युद्ध लड़ रही थी। इस समय दुनिया में महामारियों का प्रकोप चरम पर था। टायफस, टायफॉइड, इन्फ्लूएंजा(स्पेनिश फ्लू) का संक्रमण बहुत तीव्र गति से फैल रहा था। नवजात समाजवादी रूस के आगे इन महामारियों से लड़ना प्रथम चुनौती थी। टायफस जुओं से फैलता था। टायफस के बारे में लेनिन ने कहा था- "या तो समाजवाद जुओं को हरा देगा या जुएँ समाजवाद को हरा देंगी।"

महामारियों से निपटने के लिये युद्ध स्तर पर काम शुरू किया गया था। 21 जुलाई 1918 को विभिन्न स्वास्थ्य एजेंसियों को केंद्रीकृत करते हुए कमिसारियत का गठन किया गया। यह दुनिया में किसी देश में ऐसा पहला स्वास्थ्य संबंधी संस्थान था। जल्द अस्पताल और पॉलीक्लिनिक्स बनाए गए। डॉक्टरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किया गया। दवाओं के नए कारखाने स्थापित किए गए और सट्टेबाजों से दवाओं के बड़े स्टॉक जप्त किए गए। मुनाफे के मकसद को चिकित्सा क्षेत्र से हटा दिया गया था।

स्वस्थ समाज बनाने के संघर्ष में श्रमिकों और किसानों को लामबंद किया गया। शहरों और गांव में महामारी रोकथाम हेतु श्रमिक समितियों की स्थापना की गई। इन समितियों के प्रतिनिधि श्रमिक व किसान खुद से लोगों को स्वास्थ्य और स्वच्छता की वैज्ञानिक जानकारी देते थे। केंद्रीय कमिसारियत के प्रभारी सेमाश्को ने लिखा- "हम बिना अतिशयोक्ति के कह सकते हैं कि टायफस और हैजा की महामारियों को मुख्य रूप से कामगार और किसानों की समितियों की सहायता से ही रोका जा सका।"

इस दौरान श्रमिकों व किसानों के रहन-सहन की स्थिति में सुधार करना सबसे जरूरी था। पेत्रोग्राद कम्यून के सार्वजनिक स्वास्थ्य के कमिश्नर डॉक्टर ई वी परवुखिन ने नॉर्वे के एक पत्रकार से कहा- 'सोवियत गणराज्य में सभी आवास सरकारी हैं इसलिए कोई भी स्वास्थ्य की नजर से इतनी खतरनाक जगहों पर नहीं रहता जैसे पुराने शासन में कई लोगों को रहना पड़ता था, अनाज पर हमारे एकाधिकार के चलते खाद्य पदार्थों की गारंटी सबसे पहले बीमार और कमजोर लोगों को दी जाती है।'

सोवियत गणराज्य में जीने की बेहतर स्थिति, चिकित्सीय देखभाल की सभी को समान रूप से उपलब्धता और जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता के तौर पर राज्य ने अपना कर्तव्य मानकर इन महामारियो से लड़ने में विजय प्राप्त की थी। अपने साक्षात्कार में डॉक्टर परवुखिन ने कहा था- 'हमने स्पेनिश इनफ्लुएंजा का सामना पश्चिमी दुनिया से बेहतर तरीके से किया है।'

1 मार्च 1920 को स्वास्थकर्मियों की दूसरी कांग्रेस को लेनिन ने सम्बोधित करते हुए कहा था- केवल वैज्ञानिकों और कामगारों के बीच सहयोग ही दमनकारी गरीबी, बीमारी और गंदगी का अंत कर सकता है और यह किया जाएगा। अंधकार की कोई ताकत वैज्ञानिको, सर्वहारा और प्रद्योगिकीविदों के गठजोड़ का सामना नहीं कर सकती।

अपनी समाजवादी व्यवस्था के द्वारा रूस ने महामारियों का डटकर मुकाबला किया था। दुनियाभर को बताया था कि जन-कार्यवाही, समाजवादी नीतियों, वैज्ञानिक संस्थाओं और शिक्षा को बढ़ावा देकर महामारियों से लड़ा जा सकता है।

कोरोना महामारी से हमने क्या सीखा

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने भारत में उत्पात मचा रखा है। चारों तरफ त्राहि-त्राहि हो रही है। लोग जरूरी दवाओं, इंजेक्शन और ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ दे रहे हैं। तृणमूल स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं का नामोनिशान नहीं है। न्यायालय द्वारा बार-बार राज्य को उसके कर्तव्यों के बारे में याद दिलाना पड़ रहा है। न्यायालय को सरकार को बोलना पड़ रहा है कि किसी भी सूरत में ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करें। वहीं समाजवादी व्यवस्था के अंर्तगत कामगार वर्ग की ऑक्सीजन उत्पादक समितियां सीधे जन-स्वास्थ्य समितियों के साथ सहयोग करते हुए ऑक्सीजन उपलब्ध करा रही होतीं। इसके लिए हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। हमें दक्षिण भारत के राज्य केरल को उदाहरण के तौर पर ले लेते हैं।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने ट्वीट कर जानकारी दी है- केरल दूसरी वेब का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, सार्वभौमिक टीकाकरण चल रहा है, स्पेशलाइज्ड हॉस्पिटल तैयार हैं, राज्य में पर्याप्त मात्रा में आईसीयू और वेंटिलेटर हैं। केरल में 1 साल के अंदर प्रतिदिन का ऑक्सीजन स्टॉक 99.39 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 219 मीट्रिक टन किया गया है। ऑक्सीजन का उत्पादन 50 लीटर प्रति मिनट से 1250 लीटर प्रति मिनट तक हो गया है।

दुनिया के समाजवादी देशों ने कोरोना महामारी पर पाई है विजय

वियतनाम- वियतनाम ने जिस तरह से कोविड-19 का सामना किया उसे पूरी दुनिया में सराहा गया है। वियतनाम में अब तक कोरोना के 2812 केस आए हैं। वियतनाम में कोरोना से सिर्फ 35 लोगों की मृत्यु हुई है। वियतनाम ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों को भी सहायता पहुंचाई है। वियतनाम ने वायरस के संक्रमण को रोकने में प्रभावी कार्य किया है वहीं भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने चुनावों का आयोजन कर, बड़ी-बड़ी रैलियों और कुंभ जैसे धार्मिक आयोजन के द्वारा संक्रमण को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाई है।

वियतनाम में सेंटर फॉर द मीडिया एंड डेवलपमेंट इनीशिएटिव के निदेशक त्रान ले थुए कहते हैं- ' सरकार ने महामारी का किसी भी हाल में राजनीतिकरण नहीं होने दिया, उसे शुद्ध रूप से एक स्वास्थ्य संकट के रूप में माना, जिस वजह से प्रभावी शासन की अनुमति मिलती है। सरकारी अधिकारियों के लिए सूचना छुपाने का कोई राजनीतिक मकसद नहीं था, क्योंकि अगर उनके अधिकार क्षेत्र में पॉजिटिव केस आते हैं जो उनकी गलतियों के कारण नहीं है तो उन्हें फटकार का सामना नहीं करना पड़ेगा। मैंने सरकार की रणनीति के किसी भी धार्मिक विरोध के बारे में नहीं सुना। परीक्षण किटों की खरीद के संबंध में संदिग्ध भ्रष्टाचार के लिए हनोई केंद्र के प्रमुख को गिरफ्तार किया गया और सरकार ने पूर्णता स्पष्ट किया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य वाणिज्यिक हितों से हमेशा ऊपर है।'

क्यूबा- क्यूबा दुनिया भर में अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए जाना जाता है। क्यूबा में मुफ्त सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा है। निजी अस्पताल या क्लीनिक नहीं है सभी स्वास्थ्य सेवाएं सरकार द्वारा संचालित है। क्यूबा के अंतर्गत एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली का संचालन किया जाता है। अपने सभी नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल वहां की सरकार अपनी जिम्मेदारी मानती है। क्यूबा में जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टरों की संख्या सर्वाधिक है। क्यूबा के अंदर 1000 की जनसंख्या पर 8.2 डॉक्टर हैं।

कोरोना महामारी की आपदा के समय क्यूबा ने अपने देश में महामारी के संक्रमण पर तो नियंत्रण किया ही साथ ही क्यूबा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे आकर विभिन्न देशों को मदद पहुंचाई। क्यूबा ने महामारी से लड़ने के लिए दुनिया भर के अलग-अलग देशों में अपने डॉक्टरों को भेजा। क्यूबा की सफलता पर मेडिक रिव्यू नामक पत्रिका के मुख्य संपादक गेल रीड कहते हैं- 'क्यूबा की सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली ने सरकार को खंडित रणनीति की वजह एकीकृत रणनीति की ओर निर्देशित किया है। क्यूबा की वास्तविक सफलता में सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करना है जो दुनिया भर के चिकित्सकों को पता है।'

चीन- कोरोनावायरस का पहला केस चीन में सामने आया था। चीन से ही पूरी दुनिया भर में कोरोना के संक्रमण की शुरुआत हुई। चीन ने मार्च 2020 के अंत तक कोरोना के संक्रमण को काफी नियंत्रित कर लिया था। आज चीन में सामान्य हालात हैं। चीन की जनसंख्या भारत से भी अधिक है ऐसे में अगर चीन ने कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण पाया है तो यह बताता है कि भारत में भी कोरोना पर नियंत्रण पाया जा सकता है। कोरोना की प्रभावी रोकथाम और नियंत्रण पर सोमालिया में चीन के राजदूत क्विन जिन कहते हैं- हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी समाजवादी प्रणाली में निहित है जो हमें एक प्रमुख मिशन में तृणमूल स्तर पर संसाधनों के प्रयोग के लिये सक्षम बनाती है, यही हमारी सफलता की कुंजी है।

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