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महत्वपूर्ण लेख : बिल गेट्स पर कोविड टीकों को लेकर क्यों लग रहा गंभीर आरोप

Janjwar Desk
15 April 2021 9:43 AM IST
महत्वपूर्ण लेख : बिल गेट्स पर कोविड टीकों को लेकर क्यों लग रहा गंभीर आरोप
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कहा जा रहा है कि गेट्स फाउंडेशन, गॉवी और विश्व स्वास्थ्य संगठन का कार्टेल कुछ चुनिंदा वैक्सीन को ही अपनी सहयोगी कंपनियों के माध्यम से प्रोत्साहित कर रहा है, इससे समझा जा सकता है कि इसका लक्ष्य वैक्सीन उपलब्धता सुनिश्चित कर लोगों के लिए राहत दिलाना नहीं, बल्कि उनका सारा प्रयास अपने सहयोगियों और भागीदारों के लिए लाभों को अधिकतम करना है....

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार की रिपोर्ट

जनज्वार। माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और अरबपति बिल गेट्स को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है कि बिल गेट्स कोविड-19 वैक्सीन तैयार कर रहे हैं और वैक्सीन के साथ लोगों में माइक्रोचिप का प्रत्यारोपण कर रहे हैं, जिसे लगाते ही पूरी आबादी की निगरानी की जा सकेगी। इसके साथ ही उन पर कोविड टीकों के वैश्विक उपयोग को प्रभावित करने का आरोप भी लग रहा है।

रूसी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख ने मई 2020 में गेट्स पर ये आरोप लगाया था। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा था कि बिल गेट्स कुछ योजना बना रहे हैं। इसे लेकर गैनाडी जियोगनोव ने उनपर आरोप लगाते हुए 'कैपिटल ग्लोबलाइजम' नामक एक कॉलम में लिखा था कि गेट्स वैश्विक तौर पर हर इंसान में एक चिप को प्रत्यारोपित करने के फिराक में है। उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाए।

इसके जवाब में गेट्स ने कहा कि वह कोरोनो महामारी को जड़ से समाप्त करना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि जब लोगों को इस बात की सही जानकारी मिलेगी तब लोग खुद इन बातों को गलत मानने लगेंगे।

गौरतलब है कि गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा के नेतृत्व में एक फाउंडेशन कोविड-19 के लिए टीका लगाने का कार्य कर रही है। उन्होंने फरवरी 2020 में घोषणा कर दी थी कि हमारी यह फाउंडेशन वैक्सीन के निर्माण और कोरोना के उपचार के लिए करीब 100 मिलियन यूएस डॉलर दान करेगी।

आपको बता दें कि गेट्स द्वारा समर्थित जीएसके और क्यूरवैक, संक्रामक रोगों के लिए पांच तथाकथित एमआरएनए आधारित टीके और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करने में लगी हुई है। एमआरएनए के वैक्सीन राइबोन्यूक्लिक एसिड प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ा कर कोरोना वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।

कहा जा रहा है कि गेट्स फाउंडेशन, गॉवी और विश्व स्वास्थ्य संगठन का कार्टेल कुछ चुनिंदा वैक्सीन को ही अपनी सहयोगी कंपनियों के माध्यम से प्रोत्साहित कर रहा है। इससे समझा जा सकता है कि इस कार्टेल का लक्ष्य वैक्सीन उपलब्धता सुनिश्चित कर लोगों के लिए राहत दिलाना नहीं, बल्कि उनका सारा प्रयास अपने सहयोगियों और भागीदारों के लिए लाभों को अधिकतम करना है।

बीते दिनों कोविड-19 और इसके खिलाफ बनाई गई वैक्सीन को लेकर बिल गेट़्स पर कई आरोप लगाए गए हैं। पहले खबरें फैलाई गई थीं कि कोरोना बिल गेट्स और दवा कंपनियों की मिलीभगत है ताकि इससे दवाओं का निर्माण करने वाली कंपनियों को फायदा हो।

ठीक एक साल पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस वैक्सीन विकसित करने की दौड़ में सबसे आगे रहते हुए कहा था कि वे किसी भी निर्माता के साथ कहीं भी अपने वैक्सीन के निर्माण का अधिकार देने का इरादा रखते हैं। जिसके बाद दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एक करार कर इस वैक्सीन के उत्पादन का प्रारंभिक लाइसेंस हासिल किया था।

इसके ठीक एक महीने बाद ही गेट्स फाउंडेशन की सलाह पर ऑक्सफोर्ड ने अपने बयान से पलटते हुए यूके की एक मल्टीनेशनल फार्मा ग्रुप एस्ट्राजेनेका के साथ एक्सक्लूसिव राइट्स (विशेषाधिकार) के समझौते पर हस्ताक्षर किया, जिसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट को भी एस्ट्राजेनेका के साथ एक नई डील करनी पड़ी। इसमें सीरम इंस्टीट्यूट को गॉवी वैक्सीन अलायंस के अंतर्गत गरीब देशों के लिए वैक्सीन का निर्माण करना था। इस अलायंस को दुनियाभर के अमीर देश और गेट्स फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त था।

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