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दुनिया

वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम को वर्ष 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार, अबतक 100 लोगों और 24 संस्थानों को मिल चुका है यह सम्मान

Janjwar Desk
11 Oct 2020 10:18 AM GMT
वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम को वर्ष 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार, अबतक 100 लोगों और 24 संस्थानों को मिल चुका है यह सम्मान
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इस बार के नोबेल में एक भी अश्वेत नहीं शामिल, पुरस्कृत होने वालों में अमेरिका—यूरोप से बाहर की नहीं कोई शख्सियत, ट्रंप भी शामिल थे नोबेले पुरस्कार की रेस में, मगर चयनकर्ताओं ने कहा मानवाधिकार के प्रयास सस्ती लोकप्रियता और राष्ट्रवादी विचारधारा से होते हैं अलग...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

जनज्वार। संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम को वर्ष 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इसे दुनिया से भूख मिटाने के प्रयास और अराजकता से जूझ रहे क्षेत्रों में शांति बहाल करने के प्रयास के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

नौर्वेजियन नोबेल कमेटी के अनुसार वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम ने कोविड 19 के दौर में दुनिया से भूख मिटाने के लिए बहुत काम किया है, पर यदि कोविड 19 का दौर नहीं आता, तब भी संभवतः इसी संस्था को यह पुरस्कार मिलता। इस संस्था को शांति पुरस्कार मिलने पर पूरी दुनिया का ध्यान भूख के उन्मूलन की तरफ आकर्षित होगा। भूख का युद्ध और अराजकता के दौर में हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है और वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम ने ऐसे क्षेत्रों में शांति बहाल करने के भरपूर प्रयास किये हैं।

इस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 211 व्यक्तियों और 107 संस्थाओं को नामित किया गया था। नामित संस्थाओं में कोविड 19 से जूझते विश्व स्वास्थ्य संगठन का नाम भी शामिल था। नामित व्यक्तियों में स्वीडन की जलवायु परिवर्तन एक्टिविस्ट ग्रेट थनबर्ग और रूस में राष्ट्रपति पुतिन के घुर विरोधी अलेक्सी नौवाल्न्य, जिन्हें हाल में ही जहर देकर मारने का प्रयास किया गया था, का नाम भी शामिल था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भी इस सूची में शामिल थे। नौर्वेजियन नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरित रिस एंडरसन ने अपने संबोधन में ट्रम्प का नाम तो नहीं लिया, पर इतना जरूर कहा कि मानवाधिकार के प्रयास सस्ती लोकप्रियता और राष्ट्रवादी विचारधारा से अलग होते हैं। नोबेल शांति पुरस्कार वर्ष 1901 से आरम्भ किये गए थे और अबतक यह 100 लोगों और 24 संस्थानों को यह दिया जा चुका है।

इस वर्ष का नोबेल साहित्य पुरस्कार 77 वर्षीया लोकप्रिय अमेरिकी कवियित्री लौइसे ग्लूक को दिया गया है। पिछले तीन वर्षों से साहित्य के नोबेल पुरस्कारों पर लगातार विवाद चल रहा था, पर इस वर्ष यह विवादों से परे रहा। लौइसे ग्लूक को यह पुरस्कार उनकी कविता की ऐसी शैली के लिए दिया गया है जिसकी सीधी-सादी खूबसूरती किसी के अस्तित्व को सार्वभौमिक बना देने में सक्षम है।

ग्लूक नोबेल साहित्य पुरस्कार जीतने वाली 16वीं महिला हैं, इससे पहले वर्ष 1993 में यह पुरस्कार टोनी मोर्रिसन को दिया गया था, और 27 वर्षों बाद किसी अमेरिकी को यह पुरस्कार मिला है। उनकी कविताओं में बचपन की यादें, पारिवारिक जीवन और ग्रीक तथा रोमन दंतकथाओं की बहुलता रहती है। लौइसे ग्लूक के 12 काव्य संग्रह अब तक प्रकाशित हो चुके हैं और वर्तमान में वे अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी में अंगरेजी की प्रोफ़ेसर हैं।

भौतिक शास्त्र का नोबेल पुरस्कार ब्लैकहोल से सम्बंधित खोज के लिए तीन वैज्ञानिकों को सम्मिलित तौर पर दिया गया है। ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के गणितज्ञ सर रॉजर पेनरोज, जर्मन एस्ट्रोफिजिसिस्ट रेंहर्द गोंज़ेल और अमेरिकन महिला भौतिकशास्त्री एंड्रिया घेज़ को यह पुरस्कार सम्मिलित तौर पर दिया गया है। एंड्रिया घेज़ नोबेल प्राइज के इतिहास में भौतिकशास्त्र का पुरस्कार पाने वाली चौथी महिला हैं।

सर रॉजर पेनरोज का शोध मुख्यतः ब्लैकहोल की उत्पत्ति से संम्बंधित है, जो अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत का खंडन करता है, जिसमें उन्होंने वर्ष 1939 में कहा था कि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं हो सकता। पर, पेनरोज ने वर्ष 1985 में अपने शोधपत्र में इसके भौतिक अस्तित्व का खुलासा किया था। रेंहर्द गोंज़ेल और एंड्रिया घेज़ ने अपनी आकाशगंगा में ही एक नए ब्लैकहोल को खोज निकाला है, जिसका नाम सैगीटेरियस – ए रखा गया है, जिसकी परिधि लगभग ढाई करोड़ वर्ग किलोमीटर है, और इसका वजन लगभग 40 लाख सूर्य के वजन के बराबर है।

नोबेल पुरस्कारों के इतिहास में पहली बार दो महिला वैज्ञानिकों को रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार संयुक्त तौर पर दिया गया है। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया की वैज्ञानिक जेनिफर दौदुआ और फ्रांसीसी मूल की जर्मनी के मैक्स प्लांक यूनिट ऑफ़ साइंस ऑफ़ पैथोजेन्स में कार्यरत एमनुएल चर्पेन्तिएर को यह पुरस्कार संयुक्त तौर पर डीएनए को परिवर्तित और संशोधित करने के लिए तरीके, जिसे क्रिस्पर-कस9 कहा जाता है, विकसित करने के लिए दिया गया है। इस तकनीक से जीन स्तर पर अनुवांशिक रोगों का मुकाबला करना आसान हो गया है, और जिस "डीजाईनर बच्चों" की बात अब तक कहानियों में सीमित थी, वह हकीकत हो जाएगा।

चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार हिपेटाइटीस सी के वायरस की खोज और इसके जांच के तरीके की खोज के लिए दिया गया है। इसके तीन वैज्ञानिकों – अमेरिकी हार्वे अल्टर, अमेरिकी चार्ल्स राइस और ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल हौटन – को सम्मिलित तौर पर दिया गया है। रक्त से फ़ैलने वाले हिपेटाइटीस सी के कारण सीरोसिस और लीवर कैंसर होता है, जिससे दुनिया में प्रतिवर्ष 7 करोड़ से अधिक लोग ग्रस्त होते हैं और 4 लाख से अधिक मौतें होतीं हैं।

इस वर्ष के नोबेल पुरस्कारों में अर्थशास्त्र को छोड़कर अन्य सभी पुरस्कारों की घोषण कर दी गई है। पिछले अनेक वर्षों से इन पुरस्कारों में महिलाओं और अश्वेतों की अनदेखी तथा अमेरिका और यूरोप से बाहर की दुनिया को नकारने के आरोप लगते रहे हैं। इस वर्ष कुल 9 व्यक्तियों और एक संगठन को पुरस्कार दिए गए हैं, जिसमें से 4 महिलायें हैं। पर एक भी अश्वेत या फिर अमेरिका और यूरोप से बाहर की कोई हस्ती को ये पुरस्कार नहीं मिले हैं।

पिछले कुछ वर्षों से अनेक विवाद पनपने के बाद इस वर्ष नोबेल पुरस्कारों को विवादों से परे रखने के प्रयास किये गए हैं।

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