भारत की अध्यक्षता में कट्टरपंथी तालिबान को UNSC में मान्यता, लेकिन शर्त है कि अफगानिस्तान नहीं बने आतंक फैलाने का अड्डा
भारत की अध्यक्षता वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तालिबान शासन को सशर्त मान्यता दे दी है
जनज्वार। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद विभिन्न देशों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली। इस बीच भारत की अध्यक्षता वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तालिबान के शासन को सशर्त मान्यता दे दी है। UNSC ने भारत की चिंताओं को भी अपने प्रस्ताव में जगह दी है। भारत की अध्यक्षता वाली सुरक्षा परिषद में जो प्रस्ताव पास किया गया है उसमें कहा गया है कि अब अफगानिस्तान में आतंकवाद रोकने की जिम्मेदारी तालिबान की है।
अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में युद्धग्रस्त देश पर तालिबान के कब्जे के बाद उससे जुड़ी भारत की प्रमुख चिंताओं को शामिल किया गया है। भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने जो प्रस्ताव पारित किया है उसमें यह भी दर्ज किया गया है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकी देने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भारत समेत 13 देशों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। हालांकि वीटो पावर वाले चीन और रूस ने इस मामले से दूरी बना ली।
वहीं यूरोपीय संघ (ईयू) की परिषद की वर्तमान में अध्यक्षता कर रहे स्लोवेनिया ने समूह के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की शुक्रवार को होने वाली अनौपचारिक बैठक के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर को आमंत्रित किया है।
इस बीच अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान ने दशकों के युद्ध के बाद देश में शांति और सुरक्षा लाने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराते हुए मंगलवार को अपनी जीत का जश्न मनाया।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले से संबंधित अपने बयान में तालिबान का जिक्र नहीं किया था। ये उसके पुराने रुख के विपरीत था जब आतंकवाद पर अपने एक बयान में उसने तालिबान का जिक्र किया था।
दोनों बयान लगभग समान थे, बस बाद वाले बयान से तालिबान का जिक्र हटा दिया गया था। भारत ने UNSC के अध्यक्ष के तौर पर इस बयान पर हस्ताक्षर किए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद 16 अगस्त को UNSC की ओर से बयान जारी करते हुए भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरूमूर्ति ने कहा था, "सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से लड़ने के महत्व को स्वीकार किया और माना कि अफगानिस्तान का किसी भी देश को धमकाने या उस पर हमले के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाए... तालिबान या किसी अन्य अफगान समूह को अन्य देश में सक्रिय आतंकी का समर्थन नहीं करना चाहिए।"