दबे- कुचले लोगों की आवाज थे स्वामी अग्निवेश, पहली पुण्यतिथि पर लोगों ने नम आंखों से दी श्रद्धाजंलि
स्वामी अग्निवेश ने प्रोफेसर की नौकरी को ठोकर मारकर स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज के कार्यों के लिए अपने आपको समर्पित कर दिया, उन्होंने अपने विचारों एवं कार्यों से आर्य समाज की पहचान विश्व स्तर पर बनाई...
नई दिल्ली। आर्य संन्यासी व बंधुआ मजदूरों तथा दबे- कुचले लोगों की आवाज कहे जाने वाले स्वामी अग्निवेश (Swami Agnivesh) की प्रथम पुण्यतिथि शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब स्थित डिप्टी स्पीकर कक्ष में मनाई गई। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. वेद प्रताप वैदिक (Ved pratap vaidik) ने स्वामी अग्निवेश के साथ अपने संस्मरणों को बताया।
उन्होंने कहा कि स्वामी अग्निवेश ने भरी जवानी में अपनी प्रोफेसर की नौकरी को ठोकर मारकर स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज (Arya samaj) के कार्यों के लिए अपने आपको समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने विचारों एवं कार्यों से आर्य समाज की पहचान विश्व स्तर पर बनाई।
वहीं, श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह (Chaudhary Virendra Singh) ने कहा कि स्वामी अग्निवेश जी एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे। स्वामी अग्निवेश व्यवस्था परिवर्तन में विश्वास करते थे जिससे समाज का उपकार किया जा सके। आज हमें उनके विचारों की बार-बार याद आती है कि वे कितने दूरदर्शी थे।
इस अवसर पर सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश (Swami Aryawash) ने कहा कि स्वामी अग्निवेश ने अपनी पहचान गरीबों, मजदूरों के उद्धार तथा कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज को बुलन्द करके बनाई। स्वामी अग्निवेश ने भारत ही नहीं अपितु, कई अन्य देशों में अपने विचारों से (by his thoughts) लोगों को प्रभावित किया। उन्होंने सती प्रथा के खिलाफ आन्दोलन करके कानून बनवाये, कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ यात्रा निकालकर पूरे देश में जन-जागृति फैलाने का कार्य किया। स्वामी अग्निवेश ने विश्व के कई संगठनों में अध्यक्ष एवं सदस्य रहते हुए मानवता के लिए अनेक उपयोगी कार्य किये।
सार्वदेशिक सभा (sarvdeshik sabha) के मंत्री प्रो. विट्ठलराव आर्य ने कहा कि स्वामी अग्निवेश साम्प्रदायिकता के विरोधी तथा शांति के पक्षधर (follower of peace) थे। सभी धर्मों के बीच समन्वय कर विश्व स्तर पर शांति स्थापित करने और विश्व सरकार (world Government) बनाने के हिमायती थे। इसलिए वे हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम की आवाज को बुलन्द करते रहे। इसकी आवश्यकता आज प्रबुद्ध लोग महसूस करते हैं।
सर्वधर्म संसद के अध्यक्ष गोस्वामी सुशील ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वामी अग्निवेश हम सबके प्रेरणा स्रोत हैं। हमारा उनसे 2005 में सम्पर्क हुआ और तब से हम स्वामी अग्निवेश के विचारों के कायल हो गये और उनके कंधे से कंधा मिलाकर समाजोपयोगी कार्यों में लगे हुए हैं।
गोस्वामी ने कहा कि स्वामी अग्निवेश ने सर्वधर्म संसद के माध्यम से सभी धर्म के संतों को एक मंच पर आकर काम करने के लिए प्रेरित किया और समाज (society) में फैली विकृतियों को खत्म करने के लिए कार्य करने को कहा। आज वे हमारे बीच में नहीं हैं परन्तु उनके विचार एवं प्रेरणा हमारे दिलों में हैं और हम सबको उनके कार्यों एवं विचारों से प्रेरणा लेकर आगे कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए।
स्वामी अग्निवेश को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मिशन आर्यावर्त (mission Aryawarta) के निदेशक स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि स्वामी अग्निवेश का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था और उन्होंने अपने घर से ही पाखण्ड एवं अन्धविश्वास की खिलाफत शुरू की और कहा कि यदि इसी तरह से पाखण्ड पूरे देश और समाज में है तो हमें इस पर कार्य करना होगा। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर दिया। हम सबको स्वामी अग्निवेश के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे कार्य करने की आवश्यकता है।
इनके अतिरिक्त राजस्थान सभा (Rajasthan sabha) के प्रधान बिरजानन्द एडवोकेट, गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी के सरदार परमजीत सिंह चण्डोक, सर्व धर्म संवाद के अध्यक्ष मनु सिंह, वर्ल्ड पीस आर्गेनाइजेशन के महामंत्री मौलाना एजाज शाहीन कासमी, सलीम इंजीनियर तथा अन्य लोगों ने भी विचार रखे।
इस अवसर पर बेटी अभियान ( beti abhiyaan) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संयोजक पूनम व प्रवेश आर्या, डाॅ. मुमुक्षु आर्य, राजस्थान से भंवर लाल आर्य सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के मंत्री प्रो. विट्ठलराव आर्य जी ने किया। साथ ही इस अवसर पर स्वामी अग्निवेश द्वारा मुक्त कराये गये पाँच बंधुआ मजदूरों को सम्मानित भी किया गया।