लगभग 15 साल से सत्ता में हैं सीएम नीतीश कुमार। उनका पहला दायित्व है कि नागरिकों को रोटी,कपड़ा और मकान की सुविधा उपलब्ध करवाना। राज्य में रोजगार के अभाव में नागरिक पलायन कर अन्य प्रदेशों में आजीविका के लिए चले जाते हैं। उत्तर बिहार से पलायन भारी संख्या में होती है....
पटना से आलोक कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। सीएम सभी लोगों को हिफाजत करें सनद रहे कि चीन के वुहान से चलकर वैश्विक महामारी कोरोना भारत में मजबूती से पांव पसारने की फिराक में है। भारत में महामारी कोरोना से 1087 पॉजिटिव मरीज हैं। करीब 86 मरीज ठीक हो गये हैं। 27 लोगों की मौत हो गयी है। इससे पलायन करने वाले बिहार के लोग डर गये हैं। वास्तव में कोरोना से डरना नहीं चाहिए था बल्कि डटकर मुकाबला करना चाहिए था। इस बीच लोग एक दिन का जनता कर्फ्यू सह गए।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिवसीय लॉकडाउन की घोषणा किए तो लोगों के बीच अफरातफरी मच गयी। लोग वैश्विक महामारी कोरोना को पीछे करके भूख से मरने का डर से भयभीत होने लगे। किसी तरह से घर वापसी करने के जद्दोजद में लग गए। बोरियां बिस्तर समेटकर पैदल ही चलने लगे। भूख से जान गवाने से अच्छा समझ कर लाखों लोग पैदल चलने लगे। लोगों को जीने का आखिरी आसरा घर ही पहुंच पाना समझ में आ गया।
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यहां सवाल उठने लगा इन सबका जिम्मेवार कौन है ?इसका सीधा साधा जवाब है कि राज्य की कल्याणकारी सरकार। बिना तैयारी के ही लोगों के ऊपर लॉकडाउन का जंजीर डाल दिया गया। राज्य व केंद्र सरकारों के बीच में समन्वय नही दिखा। कोई तत्काल रिस्पॉन्स नहीं मिलने लगा।इसका फायदा लोग उठाने लगे। सरकार पर ही दनादन आरोप लगाने लगे कि सरकार की ही लापरवाही से कोरेना लाया गया है।जब विदेश से कोरेना जहाज से आ रहा था क्यो नही उन्हीं लोगों को जांच कराकर इलाज कर दिया गया। वह आसान था पर नही हुआ और देश पर आफत डाल दिया गया इसकी गलती स्वीकार करनी पड़ेगी।
कोरेना से लड़ने की सरकार की तैयारी में लापरवाही अपराध से कम नही है। जब जनवरी से कोरेना की चर्चा होने लगी तो गम्भीरता से सरकार ने क्यो नहीं लिया? अपने अस्पतालों को जांच सुविधाओं को क्यो नहीं दुरुस्त किया। सदन में मास्क पहन कर आये एक सदस्य को नीतीश कुमार मजाक कर रहे थे। 22 मार्च के जनता कर्फ्यू में घण्टा बजाते हुए जो खुद जो फोटो खिंचवाए है वह बगल के नेताओ से कितनी दूरी पर है ? क्या संदेश दे रहे है??
इस अविश्वास के जिम्मेवार भी आप और प्रधानमंत्री जी है आपस में समन्वय की कमी है। एक दिन जनता कर्फ्यू लगाने प्रधानमंत्री जी कहते है उसी दिन बिहार लॉकडाउन की आप घोषणा कर देते 31 तक ट्रेनें 31 तक बन्द होती है फिर अगले दिन 14 अप्रैल तक लॉकडाउन हो जाता है।
आपस में तय कर एक बार ही घोषणा किया गया होता। बाहर से आने के लिए थोड़ा समय दे दिया गया होता फिर जनता कर्फ्यू के दिन से ही घोषणा हो गयी होती। लोगों को लगता कि एक घोषणा है तीन घोषणाएं हो गयी। चौथी चर्चा और अटकलें उड़ने लगी कि आगामी महीना भर की चल सकता है। इसे मैं अफवाह मानता हूँ पर उसका खंडन करना और जनता को विश्वास में लेना भी सरकार का परम दायित्व है।
ये सड़को पर जाने वाले लोग शौक से या कोरेना फैलाने के उद्देश्य से नही निकले है। डर और खौफ में आपकी लॉकडाउन और कर्फ्यू पर उनके जीने की हसरते और पेट में भूख की आग उनको जाने के लिए(बगावत करने पर) मजबूर कर रही है । इन मजबूरों को भूख से पैदल चलता नही देख कोई बस देकर घर पहचाने को कर रहा है तो वह अपराधी नही है।
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कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और लॉकडाउन के बीच अपने घरों की ओर निकलने वाले गरीब, मजदूर और प्रवासी लोगों से दिल्ली के मुख्यमंत्री ने शहर छोड़कर नहीं जाने की अपील की है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ऐसे से लोगों कहा है कि 'मेरी आप लोगों से हाथ जोड़कर विनती है कि आपको जाने की जरूरत नहीं है। आपके खाने का इंतजाम हम लोग कर रहे हैं, बॉर्डर के उपर जो लोग पहुंच गए हैं, सभी लोग घर आ जाइए। सबके लिए हम जगह-जगह खाने का इंतजाम कर रहे हैं। सरकार भी कर रही है और कई सारी संस्थाएं भी कर रही हैं। केजरीवाल ने कहा कि आज से हम लोगों ने दो लाख लोगों के खाने का इंतजाम किया है।;
देशभर में जारी 21 दिन के संपूर्ण लॉकडाउन के बीच दिल्ली-एनसीआर के शहरों में रहने वाले गरीब, मजदूर और प्रवासी लोग किसी भी तरह हर हाल में अपने घरों तक पहुंचना चाहते हैं। इसके लिए यातायात का साधन न मिलने पर लोग पैदल ही घरों की ओर निकल पड़े हैं और दिन-रात चलकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। ऐसा ही नजारा दिल्ली-एनसीआर के तमाम इलाकों में देखा जा सकता है। जब से लॉकडाउन की घोषणा हुई है यहां रह रहे लोग किसी भी तरह जल्द से जल्द अपने घरों तक पहुंचना चाहते हैं।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए आज यानि की रविवार को एक बड़ा ऐलान किया है। इस दौरान सीएम नीतीश कुमर ने सीमावर्ती क्षेत्रों में लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए आपदा सीमा राहत शिविर की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। आपको बता दें कि बड़ी संख्या में बिहार के वो लोग जो दूसरे राज्यों में रह कर अपने जिविका चलाते थे अब वो वापस बिहार लौट रहे हैं। जिसको देखते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक निर्देश देते हुए कहा कि अब सीमावर्ती क्षेत्रों में लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए आपदा सीमा राहत शिविर की व्यवस्था की जाएगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्हीं आपदा सीमा राहत शिविर में उन लोगों के लिए भोजन, आवासन और चिकित्सीय सुविधाएं दी जाएंगी। इस दौरान सीएम नीतीश कुमार ने लोगों से लॉक डाउन का पालन करने की अपील की है।
कोरोना महामारी से बचने के लिए बिहार सरकार ने पहले ही एहतियात के तौर पर कई बड़े कदम उठाएं हैं, हालांकि इस दौरान बिहार सरकार की मुश्किल बढ़ती हुई नजर आ रही है, क्योंकि बिहार के लोग जो दूसरे राज्यों में रहते हैं, अब वो लोग वापस बिहार लौट रहे हैं। इस दौरान बीते कल यानि की शनिवार को आनंद विहार टर्मिनल पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ अपने घरों की तरफ लौटने के लिए उमड़ पड़ी। जिसको देखते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि उन लोगों के लिए अवास और भोजन की व्यवस्थाएं वहीं की जानी चाहिए ताकि लॉक डाउन का पालन हो सके।
आपको बता दें कि आज यानी कि रविवार को मुख्यमंत्री आवास एक अणे मार्ग पर सीएम नीतीश कुमार ने एक समीक्षा बैठक की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से आपदा सीमा राहत शिविर की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया है। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से मुख्य सचिव को बिहार से लगने वाले राज्यों की सीमाओं और नेपाल देश की सीमा पर आपदा सीमा राहत शिविर की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया है।
इस आपदा राहत शिविर में आपदा राहत केंद्रों की तरह दूसरे राज्यों से आने वाले बिहार के लोगों अथवा अन्य राज्यों में फंसे लोगों को भोजन आवासन एवं चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस दौरान सीएम ने कहा कि कोरोना के कारण जो स्थिति उत्तपन्न हुई है उसे सरकार आपदा मान रही है। इसलिए इसमें जो लोग भी फंसे हैं उनको आपदा पीड़ित मान कर आपदा में जो राहत दी जाती है उसी प्रकार से राहत दी जाएगी।
देशभर में जारी कोरोना वायरस के संक्रमण (Coronavirus) के संकट के बीच बिहार के लोगों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। पटना के एनएमसीएच (NMCH) में इलाजरत मरीजों में से कोरोना वायरस से संक्रमित दो मरीजों की रिपोर्ट इलाज़ के बाद निगेटिव आई है। इन दोनों मरीजों में एक पटना सिटी के बटाऊकुआं का जबकि दूसरा पटना के ही फुलवारीशरीफ इलाके का रहने वाला है।
एक मरीज स्कॉटलैंड से आया था, जबकि दूसरा शख्स गुजरात के भावनगर से पटना पहुंचा था। एक सप्ताह के अंदर दोनों को अस्पताल में एडमिट कराया गया था, जहां उनका इलाज़ किया जा रहा था।टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद जहा डॉक्टरों ने प्रसन्नता जाहिर की है।वहीं, स्वास्थ्य महकमा ने भी संतोष जाहिर किया है। यह खबर बिहार के लोगों के लिए राहत देनेवाली है।
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इससे पहले रविवार को अस्पताल से जांच के लिए भेजे गए सभी सैम्पल्स की रिपोर्ट निगेटिव आई। रविवार को कुल 40 सैम्पल्स की जांच हुई जिसमें से किसी भी मरीजों के सैम्पल पॉजिटिव नहीं पाए गए। सभी सैंपल्स की जांच आरएमआरआई में हुई है।
इससे पहले कोरोना महामारी के लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए अंतिम तारीख तय हो। इस बारे में बिहार के मुख्य सचिव ने रविवार को केंद्रीय गृह सचिव और दिल्ली के कैबिनेट सचिव से बातचीत की।वीडियो कांफ्रेंसिंग पर हुई इस बातचीत की जानकारी देते हुए गृह विभाग के अपर सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि यह जरूरी है कि सीमित संख्या में लोग आएं।इसके साथ ही बिहार के बाहर से आ रहे भारी संख्या में प्रवासी लोगों के लिए सरकार ने बिहार पुलिस को अलर्ट कर दिया है।