दिल्ली के इस डॉक्टर का मैसेज हुआ वायरल, कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर बतायी थीं ये 7 बातें
डॉ. अंबरीश कहते हैं, हम सभी को एक ही समय में बीमार पड़ने से बचना होगा। वरना हम सभी एक ही समय में अस्पताल के बिस्तरों के लिए छटपटा रहे होंगे और किसी को भी बिस्तर नहीं मिलेगा...
जनज्वार ब्यूरो। डॉ अंबरीश सात्विक दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में वस्कुलर और एंडोवस्कुलर सर्जन हैं। उन्होंने जब अपनी कॉलोनी के निवासियों के व्हट्सएप ग्रुप में कोरोना वायरस से बचाव को लेकर मैसेज भेजा तो यह कई बार फॉरवर्ड किया गया। उनका यह मैसेज अब खूब वायरल हो रहा है।
इसको लेकर डॉ. अंबरीश सात्विक 'स्क्रॉल डॉट इन' पर एक लेख लिखा है। जिसमें उन्होंने अपने संदेश को जिम्मेदारी से पढ़ने और यथासंभव व्यापक स्तर पर प्रसारित करने का आह्वाहन किया है। -
1. हमें अगले एक साल तक वैक्सीन नहीं मिलने जा रही है, संभवतः अगले डेढ़ साल तक भी नहीं। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि किसी भी मेडिसिन या मेडिकल इंटरवेंसन से कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है। आप जानते हैं कि कोरोना संक्रमण को नॉन फार्माकॉलोजिकल इंटरवेंशन से रोका जा सकता है।
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वैक्सीन की अनुपलब्धता के चलते हममें से अधिकांश अगले कुछ हफ्तों/महीनों में कोरोना संक्रमित होने वाले हैं। ऐसा विश्वास करना कि हम इसको चकमा दे सकते हैं तो यह खुद के साथ एक धोखे जैसा होगा। कोविड प्लेग या इबोला नहीं है। लगभग 80 प्रतिशत मामलों में यह पूरी तरह से नुकसान पहुंचाएगा।
2. 65-70 वर्ष की आयु के ऊपर दिल्ली में ऐसे लोग हैं जो संक्रमित हो चुके हैं और स्पर्शोन्मुख हैं या उनमें बहुत हल्के लक्षण हैं और पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। निसंदेह बुजुर्गों की कॉ-मॉर्बिड कंडीशन कमजोर है इसलिए उनकी सुरक्षा की जानी चाहिए। आमतौर पर कमाई करने वाले युवा अपने बाहरी भ्रमण से कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं और घर वापस आने के बाद यह बुजुर्गों तक पहुंच जाता है।
3. आगे का एकमात्र रास्ता तूफान की सवारी करना है। कोरोना वायरस जादुई रूप से गायब होने वाला नहीं है। समुदाय के लिए हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए हममें से लगभग 70 प्रतिशत लोगों को संक्रमित होना पड़ेगा।
4. हर्ड इम्युनिटी ओस्मोसिस से ग्रहित एक वास्तविक इम्युनिटी नहीं है। यह एक प्रकार से स्टैटिकल इम्युनिटी है जो असंक्रमित व्यक्ति को अपने आसपास के संक्रमित से प्रोटेक्ट करता है। यह वास्तव में समझना महत्वपूर्ण है कि यह कैसे समाप्त होने जा रहा है।
5. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं और आपकी उम्र कितनी है, बिना मास्क के घर से बाहर न निकलें। एक साधारण मास्क काफी है, एन 95 मास्क का उपयोग ना करें। क्योंकि आप जब सांस लेते और छोड़ते हैं तो यह वायरस इससे आपकी सांस के द्वारा अंदर जा सकते हैं। ये मास्क किसी की रक्षा नहीं करते हैं। महमारी की अवधि तक के लिए इन मास्कों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
यदि आप कॉटन या फैब्रिक मास्क का उपयोग कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि यह छलनी या छत्ते की तरह न हो। यह हवा और सांस की बूंदों को लीक करता है। सुनिश्चित करें कि मास्क आपकी नाक और मुंह को कवर कर रहा हो। यह ध्यान रखने योग्य बात है कि आपके सामने भले ही कोविड संक्रमित व्यक्ति हो और वह मास्क पहना हो और खांसता नहीं और आपने भी मास्क पहना हो तो आपको संक्रमण होने की संभावना कम है। वायरस उड़कर आपके फेफड़े तक नहीं पहुंचता है।
6. ऑप्टिकल मास्क के बारे में जानें। आपके मास्क की बाहरी सतह संक्रमित हो सकती है और यदि आपके नजदीक अन्य व्यक्ति हैं तो यह वायरस उन तक पहुंचाने में मदद कर सकता है। मास्क की बाहरी सतरह को न छुएं। बाहरी सतह को छुए बिना मास्क पहनें और निकालें। हाथों को धुलें।
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याद रखें लॉकडाउन में ढील देने से वायरस के ट्रांसमिशन की क्षमता कम नहीं होती है, इसके विपरीत यह बढ़ता जाता है। आज संक्रमित होने की संभावना मई के शुरुआत से 15 गुना ज्यादा है। यह जून के अंत तक सौ गुना अधिक होगा।
जितना संभव हो बाहर जाने से बचें, गैर जरूरी चीजों के लिए बाहर न निकलें। दिल्ली के स्वास्थ्य उपकरणों को लड़ाई का मौका दें। हम सभी को एक ही समय में बीमार पड़ने से बचना होगा। वरना हम सभी एक ही समय में अस्पताल के बिस्तरों के लिए छटपटा रहे होंगे और किसी को नहीं मिलेगा।
महामारी के बीच समाज में रहना और वायरस के साथ रहना एक ही बात नहीं हैं। व्यवहारिक रूप से लॉकडाउन जारी है। आत्मसंतुष्ट न बनें।