'जय श्री राम' का नारा लगाने से किया इनकार तो भीड़ ने कर दी मुस्लिम युवक की बेरहमी से पिटाई

Update: 2020-05-25 09:38 GMT

कामिल ने आरोप लगाया कि मौजपुर मेट्रो स्टेशन के नीचे 12-13 लोगों के एक समूह ने मेरे भाई पर हमला किया। वे हमें कटुआ, मुल्ला कह रहे थे और जय श्री राम का नारा लगाने को कहा, जब नहीं लगाया तो उन्हें भाई पर हमला कर दिया। इलाके में आईटीबीपी तैनात की गई है...

जनज्वार। मोहम्मद आदिल और मोहम्मद कामिल रविवार की सुबह आदिल के एक माह के बच्चे के लिए दवा खरीदने गए थे जो पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ था। जब वह वापस लौट रहे थे तो उनकी स्कूटी का पेट्रोल खत्म हो गया और उन्होंने खुद को उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में खुद को फंसा हुआ पाया। इसके बाद छोटे भाई कामिल ने स्कूटी को खींचकर घर ओर चलना शुरु कर दिया जबकि आदिल कुछ दूरी पर उसके पीछे था।

कामिल ने 'द वायर' को बताया, यहां के सभी केमिस्ट बंद थे इसलिए हमें दवाई लेने के लिए जाफराबाद जाना पड़ा। दवा खरीदने के बाद जब हम घर लौट रहे थे, अचानक स्कूटी बंद हो गई क्योंकि इसका पेट्रोल बाहर चला गया था। जब वे मौजपुर-बाबरपुर मेट्रो स्टेशन पर पहुँचे, तो कामिल ने कुछ लोगों को एक इमारत के पार्किंग क्षेत्र से निकलते देखा।

कामिल के मुताबिक, अचानक से पुरुषों के एक समूह ने मेरे भाई पर हमला करना शुरू कर दिया। वे लगभग 12-13 लोग थे। यह घटना मौजपुर मेट्रो स्टेशन के नीचे हुई। सब के सब नशे में लग रहे थे। हमारी गलती इतनी थी कि हम दोनों ने रमजान के कारण सिर पर टोपी पहनी हुई थी।

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कामिल ने आरोप लगाया कि उन्होंने इसके बाद गाली देना शुरु कर दिया। वे मुल्ला, कटुआ कह रहे थे और उन्होंने जय श्री राम कहने के लिए कहा। जब उसने इससे इनकार किया तो उन्होंने उसकी पिटाई शुरू कर दी। दोनों भाई दिहाड़ी मजदूर हैं, लॉकडाउन के बाद से उनका काम भी बंद हो गया। कामिल मैकेनिक हैं जबकि आदिल ऑटो ड्राइवर हैं।

लाके में तनाव को कम करने के लिए आईटीबीपी को तैनात किया। क्योंकि तीन महीने पहले भी उत्तर पूर्वी दिल्ली के इस इलाके में सांप्रदायिक हिंसा हुई ती जिसमें करीब साठ लोगों को मार डाला गया था। फरवरी की इस हिंसा में जो लोग प्रभावित हुए थे उनका जीवन अभी सामान्य होना बाकी है।

दिल इस समय दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में भर्ती है। कामिल ने बताया कि आदिल चलने में भी सक्षम नहीं था। उसके कान और सिर से खून बह रहा था। कुछ राहगीरों ने हमें इस हालत में देखा तो अस्पताल ले गए।

भिभावक के रूप में उनकी मां शहनाज ही घर पर हैं जो हाइपरटेंशन की पीड़ित हैं। रोते हुए वह कहती हैं, मुझे नहीं पता कि मेरे बेटे के साथ ऐसा क्यों हुआ। वह निर्दोष व्यक्ति है। उसने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया। हम इस क्षेत्र में शांति चाहते हैं। रमजान के दौरान भी इस तरह की बातें हो रही हैं। यह सही नहीं है।

Full View ने कहा, पहले तो हम इस इलाके में शांति चाहते हैं और दूसरी बात हम चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले ताकि अगली बार कोई भी ऐसा जघन्य अपराध करने से पहले दस बार सोचे। इलाके में मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'पुलिस बल और आईटीबीपी को उनके आवास के बाहर तैनात किया गया है। हम उन्हें आश्वस्त करना चाहते हैं कि चिंता की कोई बात नहीं है, और वे सुरक्षित हैं। हम सीसीटीवी फुटेज की जांच करेंगे और दोषियों की पहचान करेंगे।'

पीड़ित के छोटे भाई नासिर ने कहा, 'हम पिछले 20-25 सालों से इस इलाके में रह रहे हैं। मुझे अचानक इतना डर ​​लगता है। यह इलाका अभी तक दिल्ली के दंगों से उबर नहीं पाया है और अब ऐसा हुआ है। मेरे भाई ने कुछ नहीं किया। मुझे नहीं पता कि उसका क्या होगा। क्या वे जानवर थे?'

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नका परिवार विजय पार्क में रहता है जो भजनपुरा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है जबकि जिस इलाके में हमले की घटना हुई वह जाफराबाद पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है। डीसीपी (पूर्वोत्तर) वेद प्रकाश सूर्या ने इसमें सांप्रदायिक एंगल होने की बात से इनकार किया है। किसी को भी कुछ भी कहने के लिए मजबूर नहीं किया गया था और यह दो समूहों के बीच की लड़ाई है।

न्होंने द वायर को बताया कि दिल्ली दंगों के बाद से ही हमारी सेना पहले से ही इलाके में शांति बनाए रखने के लिए तैनात है। फिलहाल हम मामले के तथ्यों का सत्यापन कर रहे हैं। यह दो समूहों के बीच की लड़ाई है। जैसे ही हमें और जानकारी मिलेगी , हम इस मामले में कानूनी कार्रवाई करेंगे।

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