ख्यात IIT प्रोफेसर से असम में CAA के खिलाफ भड़की हिंसा मामले में NIA 2 बार कर चुकी पूछताछ, देशभर के बुद्धिजीवियों ने की निंदा

Update: 2020-02-04 05:29 GMT

देशभर के 40 बुद्धिजीवियों ने ख्यात IIT प्रोफेसर को NIA द्वारा इस तरह 4 घंटे बिठाकर पूछताछ करने को बताया गलत और चिंति​त करने वाला....

असम में CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान 11 दिसंबर को हुई हिंसा में मारे गए थे 5 लोग....

जनज्वार। पूरे देश में CAA के खिलाफ प्रदर्शन जोरों पर है। तमाम लोगों के खिलाफ CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों में हिंसा भड़काने के लिए केस दर्ज किये गये हैं और अभी भी यह सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आईआईटी के एक ख्यात प्रोफेसर डॉ अरुपज्योति सैकिया से भी पूछताछ की है। उनसे एक बार नहीं बल्कि 3 दिन के अंदर इस मामले में तीसरी बार पूछताछ की गयी।

NIA ने पहले शनिवार 1 फरवरी को डॉ अरुपज्योति सैकिया से 4 घंटे तक पूछताछ की और उसके बाद दोबारा सोमवार 3 फरवरी को दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया। हालांकि एनआईए ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसने 52 वर्षीय डॉ अरुपज्योति सैकिया को दो दो बार इस तरह क्यों समन जारी किया, मगर जिस तरह की खबरें आ रही हैं उनसे स्पष्ट हो रहा है कि उन्हें CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान असम में भड़की हिंसा मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। एनआईए ने कहा है कि उन्हें एक मामले में गवाह के बतौर बुलाया गया था।

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डॉ अरुपज्योति सैकिया से CAA-NRC के खिलाफ असम में हुए प्रदर्शनों में भड़की हिंसा को लेकर NIA ने पूछताछ की। गौरतलब है कि पिछले साल 11 दिसंबर को असम में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिस दौरान हिंसा भड़क गई थी और इस हिंसा में 5 लोग मारे गए थे। इसी हिंसा के संबंध में आईआईटी के प्रोफेसर डॉ अरुपज्योति सैकिया को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)ने पूछताछ के लिए बुलाया था।

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गौरतलब है कि डॉ अरुपज्योति सैकिया मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग में इतिहास के प्रोफेसर हैं। इनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान है। इनको कृषि और पारिस्थितिक इतिहास पर अपने शोध के लिए भी जाना जाता है। डॉ अरुपज्योति सैकिया असमिया इतिहासकार भी हैं और अभी आईआईटी गुवाहाटी में प्रोफेसर हैं। सैकिया आईआईटी गुवाहाटी में असम इतिहास पर सूर्य कुमार भुइयन एंडोमेंट के चेयरमैन हैं। इससे पहले डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय में व्याख्याता थे। वे लंबे समय से अध्यापन का कार्य कर रहे हैं।

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने डॉ अरुपज्योति सैकिया को NIA के सोनपुर कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया था। डॉ अरुपज्योति सैकिया को पूछताछ के लिए जारी किये गए समन के बारे में अभी तक NIA ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार 11 दिसंबर को असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शन दौरान हुई हिंसा को लेकर यह पूछताछ की गई थी।

डॉ अरुपज्योति सैकिया के वकील शांतनु बोर्थाकुर का कहना है कि डॉ सैकिया को अखिल गोगोई की गिरफ्तारी के मामले में सीआरपीसी की धारा 160 के तहत गवाह के रूप में बुलाया गया था। अखिल गोगोई को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था और डॉ सैकिया के खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं। उन्हें केवल गवाह के रूप में बुलाया गया था। वकील ने पहले ही कह दिया दिया था कि सोमवार 3 फरवरी को भी पूछताछ के लिए उन्हें समन भेजा गया है।

हां यह जानना जरूरी है कि किसान अधिकार संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (KMSS) के संस्थापक अखिल गोगोई को एजेंसी ने देशद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया था। जिन्हें अब तक जमानत नहीं मिल पाई है। अखिल गोगोई पर को CAA के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़काने के आरोप हैं। अखिल गोगोई को 12 दिसंबर को देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था।

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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार डीजीपी भास्कर ज्योति महंता से जब प्रोफेसर सैकिया से पूछताछ के बारे में सवाल किया किया गया तो उन्होंने बस इतना कहा कि प्रोफेसर सैकिया को गुवाहाटी में 11 दिसंबर को आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के संबंध में एनआईए द्वारा गवाह के रूप में बुलाया गया है।

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सम हिंसा की घटना के बाद भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया था कि असम में हुई हिंसा की घटना के पीछे अकादमिक संस्थान में काम करने वाले लोग थे। हिंसा की इस घटना में 5 लोग मारे गए थे।

देशभर के बुद्धिजीवियों ने सामूहिक रूप से डॉ अरुपज्योति सैकिया को अपना समर्थन दिया है और कहा है कि डॉ अरुपज्योति सैकिया देश के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित इतिहासकारों में से एक हैं, उनकी अपनी गरिमा है और उन्हें पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्हें उनका काम करने से नहीं रोका जाना चाहिए।

डॉ अरुपज्योति सैकिया को समर्थन देने वालों में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, महेश रंगराजन, भानु मेहता, जाधवपुर यूनिवर्सिटी से सुकांता चौधुरी, जेएनयू की निवेदिता मेनन और पार्थ चटर्जी शामिल हैं। इन बुद्धिजीवियों का कहना है कि एनआईए इस तरह प्रो. सै​किया को परेशान नहीं कर सकती, हम इसका विरोध करते हैं।

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इन बुद्धिजीवियों ने लिखा है, “हम, देशभर के भारतीय विद्वान और शिक्षाविद प्रोफेसर अरुपज्योति सैकिया के साथ एनआईए द्वारा बार-बार पूछताछ किये जाने से चिंति​त हैं। प्रोफेसर सैकिया देश के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित इतिहासकारों में से एक हैं। उन्होंने हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी के ऐतिहासिक इतिहास के बारे में लिखा है, उन्होंने वन और कृषि संबंधी इतिहास पर भी महत्वपूर्ण काम किया है। सौम्य, मृदुभाषी और पूरी तरह अहिंसक आईआईटी प्रोफेसर से हिंसा मामले में इस तरह की पूछताछ अनपेक्षित है। हम इसका विरोध करते हैं।'

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