अंधविश्वास की हाईट : सूर्यग्रहण पर परिजनों ने जिंदा बच्चों को ही दफना दिया जमीन में

Update: 2019-12-26 11:48 GMT

जिंदा बच्चों को जमीन में गाड़ने की तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। वायरल तस्वीरों में साफ़ दिख रहा है कि बच्चों के पूरे शरीर को जमीन में मिट्टी के अंदर गाड़ दिया गया है। उनका सिर्फ चेहरा जमीन से बाहर दिख रहा है...

जनज्वार। आज 26 दिसंबर को साल का आखिरी सूर्यग्रहण लगा। देश के विभिन्न हिस्सों में इस दौरान सूर्य लोगों को अलग-अलग नजर आया, मगर इस दौरान समाज का जो अंधविश्वासी चेहरा दिखायी दिया, वह जरूर हैरान करने वाला है।

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गौरतलब है कि वैज्ञानिक मान्यताओं से इतर हमारा जो अंधविश्वासी समाज डायन-बिसही, भूत-प्रेत, जादू-टोना को मानने के चलते किसी की जान लेने से भी नहीं हिचकता, वह भला सूर्यग्रहण-चंद्रग्रहण से जुड़ी अंधविश्वासी मान्यताओं से कैसे पीछे हट सकता है।

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ज सूर्यग्रहण के दौरान कर्नाटक के कलबुर्गी में जमीन में जिंदा बच्चों को सिर्फ छोड़कर मिट्टी में गाड़ दिया गया। वहां के जिंदा बच्चों को जमीन में गाड़ने की तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। वायरल तस्वीरों में साफ़ दिख रहा है कि बच्चों के पूरे शरीर को जमीन में मिट्टी के अंदर गाड़ दिया गया है। उनका सिर्फ चेहरा जमीन से बाहर दिख रहा है।

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सा करने के पीछे इनकी अंधविश्वासी मान्यता है। यहां का समाज मानता है कि दिव्यांग बच्चों को जमीन में गर्दन तक गाड़ने से वे दिव्यांगता से बाहर आ जाते हैं। यानी उनकी अपंगता दूर हो जायेगी। तमाम मां-बाप ने इसी उम्मीद में कि सूर्यग्रहण के दौरान अपने दिव्यांग बच्चों को इस तरह मिट्टी के अंदर गाड़ देंगे तो इनकी अपंगता दूर हो जायेगी, पूरे दिनभर इसी हाल में रखा।

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ग्रहण को लेकर हमारे भारतीय समाज में तमाम दूसरी तरह के अंधविश्वास भी कायम हैं। जैसे एक मान्यता यह भी है कि ग्रहण के वक्त घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। मान्यता थी कि जो भी ग्रहण के वक्‍त घर से बाहर निकलेगा, उसके साथ कुछ अनर्थ हो जाएगा।

प्रतीकात्मक तस्वीर

दूसरी एक और मान्यता है कि गर्भवती महिला पर ग्रहण की छाया नहीं पड़नी चाहिए। अगर गर्भवती पर ग्रहण की छाया पड़ गयी तो बच्चा जरूर अपंग पैदा होगा। यह एक बहुत बड़ा अंधविश्‍वास है। कोई कहता है सूर्य या चंद्रग्रहण का साया गर्भवती महिला पर पड़ने से बच्‍च अपंग पैदा होता है तो कोई कहता है कि ग्रहण पड़ने पर गर्भवती महिला को अपने शरीर पर गेरू पोत लेना चाहिए। मगर इस अंधविश्वास की आड़ में शायद हमारा समाज यह भूल जाता है कि ग्रहण के दिन लाखों की संख्या में जो बच्चे जन्म लेते हैं उन पर इसका असर क्यों नहीं पड़ता।

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सके अलावा एक और भी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान पकाया हुआ खाना जहर बन जाता है। जबकि ऐसा असंभव है। विज्ञान सिद्ध कर चुका है कि ग्रहण के वक्‍त खाना पकाया भी जा सकता है और खाया भी जा सकता है।

तना ही नहीं और भी तमाम तरह की मान्यतायें और अंधविश्वास हमारे समाज में कायम हैं, जिन्होंने लोगों के मन-मस्तिष्क को बुरी तरह जकड़ा हुआ है। इन मान्यताओं पर न केवल अनपढ़ बल्कि पढ़ा-लिखा समाज भी विश्वास करके अंधविश्वास को बढ़ावा ही देता है।

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