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अंधविश्वास

डायन के नाम पर 2011 से अब तक असम में 107 लोगों को उतार दिया गया मौत के घाट

Prema Negi
30 Nov 2019 6:58 PM GMT
डायन के नाम पर 2011 से अब तक असम में 107 लोगों को उतार दिया गया मौत के घाट
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हमारा समाज धर्म—आस्था, जादू—टोने, डायन—बिसही के नाम पर कितना निर्मम हो जाता है, इसके अनेक उदाहरण आए दिन सामने आते रहते हैं। इसके नाम पर तमाम हत्याएं की जाती हैं, तो मानवता को भी शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती...

जनज्वार। डायन के नाम पर महिलाओं के साथ हिंसा हमारे देश में जैसे बहुत आम बात हो गयी है। ऐसी घटनायें खासतौर पर पिछड़े इलाकों में सामने आती हैं। झारखंड इस मामले में नंबर वन पर विराजमान है, तो अन्य क्षेत्रों से भी ऐसी खबरें आम हैं।

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रकार द्वारा ​उपलब्ध करवायी गयी जानकारी के मुताबिक पिछले आठ सालों में सिर्फ असम में 107 महिलाओं की डायन, बिसही, जादू—टोने के नाम पर हत्या कर दी गयी। यह जानकारी असम की सर्बानंद सोनोवाल सरकार के संसदीय कार्य मंत्री चंद्रमोहन पटोवारी ने शनिवार 30 नवंबर को गुवाहाटी में विधानसभा सत्र के दौरान दी। कांग्रेस विधायक नंदिता दास के लिखित सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि 2011 से 2016 के बीच डायन के नाम पर (विच हंटिंग) में 84 लोगों की नृशंसता से हत्या की गयी थी।

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डायन—बिसही के नाम पर सबसे ज्यादा घटनाएं बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स क्षेत्राधिकार के अधीन आने वाले क्षेत्रों मे हुई है, जिसमें कोकाराझार मे 22, चिरांग मे 19 और उदलगुड़ी मे 11 महिलाओं को डायन के नाम पर मार दिया गया। साथ ही बिस्वनाथ में 9, गोआलपाड़ा में 7, नगांव तथा तिनसुकिया में 6-6 कारबी आंगलोग और माजुली जिले में 4-4 महिलाओं को डायन के नाम पर मारा गया।

हिला सुरक्षा और अंधविश्वास के विरोध में जागरुकता जगाने के तमाम दावे करने वाली राज्य में सत्तासीन भाजपा राज में ही इस साल अक्टूबर तक 23 लोगों को विच हंटिंग के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया है।

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संसदीय कार्य मंत्री चंद्रमोहन पटोवारी ने सदन में जानकारी साझा की कि असम में बीजेपी सरकार के गठन के बाद से इस साल के अक्टूबर तक कुल 23 लोग मारे गये हैं, जिसमें सबसे सर्वाधिक प्रभावित इलाका बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स के क्षेत्र हैं। इस दौरान न सिर्फ महिलायें डायन के नाम पर मारी गयीं, बल्कि पुरुष भी सोखा, जादू के नाम पर मौत के घाट उतारे गये। सदन में भाजपा मंत्री ने जानकारी साझाा की कि मई 2016 से अब तक विच हंटिंग में मारे गए 23 लोगों में 12 पुरुष और 11 महिलाएं थी।

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डायन, बिसही के नाम पर होने वाली लिंचिंग के मामले में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की ओर से पटोवारी ने कहा गया कि राज्य सरकर ने पिछले साल अक्टूबर में असम विच हंटिंग (निषेध, रोकथाम और संरक्षण) अधिनियम’ 2015 को अधिसूचित किया था और हमारी सरकार अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रही है।

क्या कहता है विच हंटिंग कानून?

असम राज्य विधानसभा ने 13 अगस्त 2015 को असम विच हंटिंग (निषेध, रोकथाम और संरक्षण) बिल 2015 पारित किया था। इस बिल को महिलाओं को डायन कहकर प्रताड़ित करने के मामलों पर रोक लगाने के लिये लाया गया था।

स विधेयक के अनुसार कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को किसी भी प्रकार से डायन, बिसही के नाम से संबोधित अथवा किसी अन्य संकेत से लक्षित अथवा बदनाम करने से रोकता है। विधेयक के प्रावधान के अनुसार यदि कोई इसकी अवमानना करता है तो उसे सात वर्ष की जेल अथवा 5 लाख रुपए जुर्माना देना होगा।

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स विधेयक के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को डायन, बिसही, जादू—टोने के नाप पर क्षेत्र में सूखा, बाढ़, बीमारी या किसी भी मौत के लिए दोषी समझता है तो उसे 3 वर्ष के लिए कारावास की सजा दी जा सकती है।

ससे पहले भी फरवरी में समाज कल्याण मंत्री प्रमिला ने असम विधानसभा में बताया था कि राज्य में पिछले 18 सालों में डायन बताकर 161 लोगों की जान ले ली गई थी। वहीं 2001 से 2017 के दौरान 114 महिलाओं और 79 पुरुषों को डायन—बिसही बताकर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस दौरान पुलिस ने ऐसे 202 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की थी।

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मारा समाज धर्म-आस्था, जादू-टोने, डायन-बिसही के नाम पर कितना निर्मम हो जाता है, इसके अनेक उदाहरण आए दिन सामने आते रहते हैं। इसके नाम पर तमाम हत्याएं की जाती हैं, तो मानवता को भी शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती।

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