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Gujrat News : ...और धार्मिक कार्यक्रम के बीच भाजपाई मंत्री जी खुद को जंजीरों से पीटने लगे
Gujrat News : ...और धार्मिक कार्यक्रम के बीच भाजपाई मंत्री जी खुद को जंजीरों से पीटने लगे
Gujrat News : गुजरात (Gujrat News) के परिवहन, नागरिक उड्डयन और पर्यटन राज्य मंत्री अरविन्द रैयानी (Arvind Raiyani) का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मंत्री खुद को ही जंजीर से पीट रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद कांग्रेस (Congress) ने उन पर अंधविश्वास (Blind Faith) फैलाने का आरोप लगाया है। वहीं मंत्री और भाजपा ने उनके इस कारनामे का बचाव करते हुए कहा है की आस्था और अंधविश्वास में फर्क होता है।
जानिए ये है पूरा मामला
गुजरात (Gujrat News) के राजकोट (पूर्व) से बीजेपी विधायक अरविन्द रैयानी ने पुष्टि की है कि उन्होंने बीते गुरुवार की शाम गुजरात (Gujrat News) के राजकोट शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव गुंडा में रैयानी समुदाय के देवता के मंदिर में हवन और मताजीनो मांडवो में एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया था।
कांग्रेस से लगाया अंधविश्वास फैलाने का आरोप
बता दें कि गुजरात (Gujrat News) कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी ने अंधविश्वास फैलाने के लिए भाजपा के नेता की क्लास लगा दी है। बता दें कि उन्होंने कहा है कि 'मंत्री होने के बावजूद अरविन्द रैयानी इस तरह की अवैज्ञानिक हरकतें कर अंधविश्वास फैला रहे थे। वह ओझा की तरह अंधविश्वास फैला रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग गुजरात सरकर में मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं।'
अरविन्द रैयानी ने दी ये सफाई
वहीं इस पुरे मामले में भाजपा नेता अरविन्द रैयानी ने सफाई देते हुए पत्रकारों से कहा है कि 'गुरुवार को राजकोट जिले में मेरे पैतृक गांव में परिवार के देवता को सम्मान देने के लिए धार्मिक सभा का आयोजन किया गया था। 16 साल की उम्र से रैयानी परिवार के जूना मध (पुराने मंदिर) का भुवा (एक समुदाय के धार्मिक नेता) रह हूं और केवल समुदाय की परंपरा का पालन कर रहे था। हमारा मध 377 साल का है और मुझसे पहले कई भुवों ने वहां सेवा की है। अब समुदाय ने मुझे चुना है।'
भाजपा ने भी किया बचाव
वहीं इस मामले पर भाजपा ने अपने मंत्री का साथ दिया। गुजरात भाजपा प्रवक्ता योगेश दवे ने भी कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्षी दल को आस्था और अंधविश्वास की बीच अंतर को समझने की जरुरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि 'यह किसी के व्यक्तिगत धार्मिक विश्वास का मामला है। आस्था और अंधविश्वास को अलग करने वाली एक पतली रेखा है। हर किसी के पास अपने देवताओं की पूजा करने के अलग-अलग तरीके होते हैं। परंपरिक रीति- रिवाजों को अंधविश्वास नहीं कहा जाना चाहिए। कांग्रेस को धार्मिक भावनाओं को आहत करने से बचना चाहिए।'