Begin typing your search above and press return to search.
अंधविश्वास

Jharkhand News : गांव की 199 एकड़ जमीन पड़ी है वीरान, इस अंधविश्वास के कारण कोई मकान बनाने को नहीं है तैयार

Janjwar Desk
1 May 2022 1:39 PM GMT
Jharkhand News : गांव की 199 एकड़ जमीन पड़ी है वीरान, इस अंधविश्वास के कारण कोई मकान बनाने को नहीं है तैयार
x

Jharkhand News : गांव की 199 एकड़ जमीन पड़ी है वीरान, इस अंधविश्वास के कारण कोई मकान बनाने को नहीं है तैयार

Jharkhand News : गांव वालों के अनुसार मठेया गांव में उनके पूर्वजों से ही कोई मकान नहीं बनाता है, उनका मानना है कि अगर यहां कोई मकान की नींव भी डालते हैं तो उनके घर में किसी की मृत्यु हो जाती है...

Jharkhand News : एक- एक इंच की जमीन के लिए लोग एक दूसरे की जान ले लेते हैं। जमीन विवाद को लेकर अक्सर बड़ी घटनाएं हो जाती हैं लेकिन झारखंड (Jharkhand) के देवघर (Deoghar) से मात्र 15 किलोमीटर दूर एक गांव है मठेया। यहां 199 एकड़ जमीन होने के बावजूद पूरे गांव में एक मकान तक नहीं है। कोई जमीन पर मकान की नींव तक नहीं खोदना चाहता है। मोहनपुर प्रखंड की कटवन पंचायत स्थित मठेया गांव में कोई आबादी नहीं है। लोग केवल जमीन पर खेती करते हैं।

इस अंधविश्वास के कारण नहीं है कोई मकान

बता दे कि इस गांव में कोई मकान या झोपड़ी होने का कारण अंधविश्वास में लोगों की मान्यता है। इस गांव के लोगों में अंधविश्वास है कि या मकान की नींव डालने पर घर में किसी की मृत्यु हो जाती है ।यही वजह है कि यह इलाका वीरान पड़ा हुआ है।

199 एकड़ जमीन पड़ी है वीरान

देवघर के मठेया गांव में कुल 199 एकड़ जमीन वीरान पड़ी है। इस गांव की जमीन के मालिक पड़ोस में कटवन गांव में अपने पैतृक जमीन पर रहते हैं लेकिन रोड के उस पार मात्र 15 फीट दूर मठेया गांव में कोई गाय का खटाल तक बनाने को तैयार नहीं है। इसके पीछे अंधविश्वास है। गांव वालों के अनुसार मठेया गांव में उनके पूर्वजों से ही कोई मकान नहीं बनाता है। उनका मानना है कि अगर यहां कोई मकान की नींव भी डालते हैं तो उनके घर में किसी की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के इस भय और अंधविश्वास के कारण इस गांव में लोग मकान तो छोड़िए एक झोपड़ी बनाने तक को तैयार नहीं है। हालांकि घर बनाने के बाद उनके पूर्वजों में किसकी मृत्यु हुई है, यह भी गांव वालों को पता नहीं है लेकिन वर्षों से चले आ रहे इस अंधविश्वास और भय के कारण लोग इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

इस गांव में नहीं है कोई आबादी

मठेया गांव के कई जमीन मालिकों को सरकार से प्रधानमंत्री आवास भी स्वीकृत हुआ है लेकिन वे लोग कम जमीन होने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास गांव में बना रहे हैं। मठेया में पर्याप्त जमीन होने के बावजूद आबादी में ही रहने को तैयार हैं लेकिन मात्र 15 फीट दूर मठिया गांव में घर नहीं बनाना चाहते हैं हालांकि इस गांव में 199 एकड़ जमीन पर खेती जरूर करते हैं। बड़े तलाब में सिंचाई की सुविधा होने की वजह से सालों भर धान, गेहूं की खेती होती है। शाम होने से पहले सभी किसान वापस अपने गांव लौट जाते हैं। यहां कोई नहीं रुकता है।


(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रू—ब—रू कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।

हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है।

सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आयें और जनज्वार को आर्थिक सहयोग दें।)

Next Story

विविध