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अंधविश्वास में पार कर दी दरिंदगी की हदें,बच्ची की बलि देकर उसके रक्त से बनाया ताबिज
(मुंगेर के पुलिस अधीक्षक जग्गूनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने इस घटना का खुलासा किया।)
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार। बिहार के मुंगेर जिले के सफियाबाद ओपी क्षेत्र के फरदा सेें एक बच्ची के लापता होने के एक दिन बाद शव मिलने की घटना को लेकर लगाए जा रहे कयास से आखिरकार पर्दा उठ गया। 9 अगस्त की सुबह पुलिस ने घटना का खुलाशा करते हुए जो कहानी बताई,उसे सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। अंधविश्वास के चक्कर में फंसे एक दंपति ने अपने लिए बच्चे की चाहत में एक बालिका की बलि दे दी। इसके बाद दरिंदगी की हदें पार करते हुए बालिका का आंख निकालकर उसके रक्त से सना हुआ ताबिज बना कर इस उम्मीद में पहन ली की गर्भ में पल रहा बच्चा सुरक्षित रहेगा।
अंधविश्वास,जादू टोना, झाड़फूंक जैसे शब्द आज भी विज्ञान के युग में आए दिन सुनाई पड़ जाते हैं। अपने चाहत को पूरा करने के लिए अंधविश्वास के मकड़जाल में फंसकर ये लोग ऐसे घटनाओं को अंजाम दे देते हैं।जिसे सभ्य समाज व हमारा कानून कभी स्वीकार नहीं करता। उधर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून व सरकारी जवाबदेही के बावजूद आए दिन सामने आ रही घटनाएं सबको शर्मसार कर रही हैं।
इसी तरह का मामला मुंगेर जिले का भी है। एक आठ वर्ष की बच्ची 4 अगस्त को दिन के 1 बजे से लापता थी। 5 अगस्त को सफियासराय ओपी क्षेत्र के पुरवारी टोला फरदा स्थित एक ईट भट्टा के पास से पुलिस ने उस बच्ची का शव क्षत-विक्षत हालत में बरामद किया था। बच्ची का शव मिलने के बाद परिजनों ने दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की आशंका जताई थी।
मुंगेर के पुलिस अधीक्षक जग्गूनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने सोमवार को इस मामले में अपने कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस घटना का खुलासा किया। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि बच्ची की हत्या अंधविश्वास और जादू टोना को लेकर की गई थी। हैवानों ने उसकी बलि देने के बाद आंख फोड़ दी। एसपी ने बताया कि परहम निवासी दिलीप कुमार की पत्नी को बच्चा नहीं हो रहा था इसलिए वो खगड़िया जिला के कोरमाहि थाना क्षेत्र मथुरा गांव निवासी परवेज आलम नामक एक ओझा बाबा से मिली। ओझा ने दिलीप की पत्नी को ठीक करने का आश्वासन दिया। उसके बाद उसने अपना जादू टोना शुरू किया।
ओझा बाबा ने पहले रेहू मछली की बलि दी। उसके बाद मुर्गे की बलि दी। उधर इस बीच दिलीप की पत्नी को गर्भ ठहर गया और जब गर्भ ठहर गया तो गर्भ की रक्षा के लिए ओझा ने इंसान की बलि देने को कहा जिसमे इंसान के आंख का खून लाने को कहा था। इसके बाद दिलीप ने अपने दो अन्य दोस्तों पुरवारी टोला निवासी दशरथ, परहम निवासी तनवीर आलम के साथ मिलकर उस बच्ची का अपहरण कर लिया और उसके बाद देर रात में उसकी बलि देने के बाद आंख फोड़ दिया। बच्ची की हत्या के बाद खून से सने कपड़े से ताबीज बना कर अपनी पत्नी को पहनाया।
इस घटना में पुलिस ने ताबीज और खून से सना कपड़ा भी बरामद किया है। बच्ची के शव को ईट भट्टा के परिसर में फेंक दिया गया था। इस घटना का वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद बच्ची की निर्मम हत्या किए जाने के राज पर से पर्दा हट गया। पुलिस ने इस मामले में ओझा बाबा सहित सभी चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिन्हें देर शाम जेल भेज दिया गया। उधर शव मिलने के बाद से ही पुलिस पर घटना को उजागर करने के लिए दबाव बन रहा था। परिजनों के दुष्कर्म की आशंका जताने के बाद से वारदात पर से पर्दा उठाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गई थी।
हालांकि दो दिन पूर्व ही एसपी ने मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुई कहा था कि बच्ची के साथ बलात्कार नहीं हुआ है। इसके बाद भी घटना की जघन्यता को देखते हुए हर कोई मामले की सच्चाई जानना चाहता था। जिससे की घटना को अंजाम देनेवाले दरिंदों को सजा दिलाई जा सके।अंधविश्वास में फंसे लोगों ने मासूम की जान लेने में कोई संकोच नहीं की। अब घटना का पर्दाफाश होने के बाद भले ही ये सभी सलाखों के पीछे हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार ऐसी घटनाओं की पुनरावृति कैसे रोकी जा सकेगी। जिससे की फिर किसी मासूम की जान न जाए व किसी परिवार की खुशियां न छिन जाए।इस पर रोक के लिए कानून जहां काम करें वहीं सबसे बड़ी जवाबदेही हमारे समाज की है,जो अंधविश्वास का खात्मा कर वैज्ञानिक समाज व उसकी जीवनशैली की बात करे।जिससे की वैज्ञानिक समझ वाले सभ्य समाज की स्थापना हो सके।