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Rajasthan News : मौत का दिया जलाकर गांव के लोग आत्मा को करते हैं काबू
Rajasthan News : मौत का दिया जलाकर गांव के लोग आत्मा को करते है काबू
Rajasthan News : एक तरफ तो देश में दुनिया 21वीं सदी में हाईटेक होती जा रही है। अब वीडियो कॉल करने जैसी तकनीक के सामान्य बात हो चुकी हैं। इंसान चांद सहित मंगल ग्रह पर पहुंच चुका है। इसके बाद भी देश में अंधविश्वास अभी भी कायम है। अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत है कि लोग समझने को तैयार ही नहीं होते हैं कि यह अंधविश्वास उनकी जिंदगी पर भी भारी पड़ सकता है। अंधविश्वास की आड़ में लोग कुछ ऐसा करते हैं, जिस पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। राजस्थान के भीलवाड़ा में मांडलगढ़ के सरकारी अस्पताल में भी एक ऐसा ही अंधविश्वास का मामला सामने आया है।
मृत आत्मा की जोत ले जाने की परंपरा
राजस्थान के भीलवाड़ा के मांडलगढ़ में अंधविश्वास के चलते एक मृत आत्मा की जोत जाने की परंपरा निभाई जाती हैं। गांव में आए मृतक के परिजन ढोल बजाते हुए, पूजा की सामग्री लेकर उस वार्ड में जाते हैं, जहां इनके परिवार के किसी सदस्य के अस्पताल में मौत हुई हो। यहां के लोग दीपक जलाकर पूजा पठ करते हैं और मृत आत्मा को ले जाते हैं। जिससे अस्पताल के वार्ड में भर्ती रोगियों में खलल पैदा होने के साथ मनोदशा पर को प्रभाव भी पड़ता हैं।
मृत बच्चे की आत्मा को ले जाने का फरमान
बता दें कि राजस्थान की भीलवाड़ा के मांडलगढ़ थाना क्षेत्र के डामटी गांव की एक ग्रामीण महिला ने आज से दो दशक पूर्व अस्पताल के वार्ड में 1 बच्चों को जन्म दिया था। जन्म की थोड़ी देर बाद बच्चे की मौत हो गई थी। दो दशक बाद मृतक के परिजन को देवता के किसी भोपा ने मृत बच्चे की आत्मा की जोत अस्पताल से ले जाने का फरमान दिया था। जिसके चलते मृतक के परिजन अस्पताल में घुसे और पूजा-पाठ और दिया जलाकर मृत बच्चे की आत्मा को नियंत्रण में कर अपने साथ ले गए।
ग्रामीणों से निभाते हैं परंपरा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मृतक के परिजन अस्पताल में ढोल बजाते हुए पहुंचे। वहां पर कुछ अनुष्ठान कर साथ आई महिलाओं की देवी देवता आए और देसी घी का दीपक जलाकर मृतक की आत्मा को एक बर्तन में रखकर अपने साथ ले गए। गांव में आज भी मान्यता है कि मृत आत्मा को किसी खास जगह स्थापित करने से उनके मुक्ति हो जाती हैं। इस मान्यता के चलते अस्पताल से जोत ले जाने की प्रथा एक परंपरा बनी हुई है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने वार्डों में इस तरह के क्रियाकलापों पर रोक लगा रखा है, लेकिन फिर भी अंधविश्वास इन सभी रुकावटों पर भारी पड़ता है।