- Home
- /
- अंधविश्वास
- /
- अंधविश्वास की...
अंधविश्वास की पराकाष्ठा : PWD के इंजीनियरों ने देवताओं से लगायी नेशनल हाईवे शुरू करने की गुहार
चम्पावत। तीस साल पहले देशभर में गणेश की मूर्तियों को दूध पिलाने की हुई घटना में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर और भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. मुरलीमनोहर जोशी की मूर्तियों को दूध पिलाने की तस्वीरों पर लोगों के 'फिजिक्स' विषय पर खड़े किये सवालों का जवाब जैसे आज तक नहीं मिल पाया, वैसे ही उत्तराखण्ड के चम्पावत जिले में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर सरकारी विभाग में नौकरी कर रहे इन इंजीनियरों की करामात का भी जवाब शायद न मिले।
यहां पीडब्ल्यूडी के यह इंजीनियर पिछले 11 दिन से बन्द पड़े नेशनल हाईवे को खुलवाने के लिए देवताओं की शरण में जाकर उनसे गुहार लगाते दिखे। यांत्रिकी के तमाम नियम-पाठ भूलकर देवी-देवताओं की शरण में जाकर इन इंजीनियरों ने बाकायदा पूजा-पाठ कर स्थानीय देवताओं से नेशनल हाईवे का रास्ता खोलने की गुहार लगायी।
यहां बताते चलें कि टनकपुर-चम्पावत नेशनल हाईवे पर स्वाला के पास 23 अगस्त को हुए भूस्खलन के बाद इस पहाड़ के मलवे के कारण नेशनल हाईवे का यातायात पूरी तरह बन्द हो गया। इस मलबे को हटाने के लिए प्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने जेसीबी लगाकर मलवा साफ करने का काम शुरू किया, लेकिन लगातार खराब हो रहे मौसम और हटाये गये मलबे की जगह नया मलबा आ जाने की वजह से विभाग के इंजीनियर्स की यह कोशिश सफल नहीं हो पा रही थीं।
पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने के चलते एनएच से मलवा हटाए जाने का कार्य लगातार बाधित होता रहा। काम में समय की बढ़ती खपत के साथ नेशनल हाईवे पर निर्भर लोगों के साथ ही क्षेत्रीय लोगों का रास्ता खोलने को लेकर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था। इसके साथ ही विभाग पर सरकार का भी रास्ते को जल्दी ही यातायात के लिए शुरू करने का दबाव बन रहा था। कई दिन तक लगातार नेशनल हाईवे बन्द होने के बाद उकताए लोगों ने इसे दैवीय रूप देना शुरू कर दिया। 'देवभूमि' उत्तराखण्ड के चप्पे-चप्पे पर मौजूद दैवीय दंतकथाओं ने इस प्रकरण में चटख रंग दिया, जिसके बाद लोग इस रास्ते को खोलने के लिए पूजा-पाठ की मांग करने लगे।
यांत्रिकी के दम पर अभी तक नेशनल हाईवे खोलने में नाकामयाब रहे विभाग के इंजीनियरों को भी अपनी असफलता का ठीकरा फोड़ने के लिए यह एक अच्छा-खासा अवसर लगा, जिसके बाद लोगों व सरकार के सम्भावित कोप से बचने के लिए विभाग के इंजीनियर्स ने निराश होकर काम के लगभग आखिरी चरण में अपनी यांत्रिकी की शिक्षा-दीक्षा को ताक पर रखकर नेशनल हाईवे खुलवाने के लिए देवताओं की शरण में जाने का फैसला लिया।
स्थानीय लोगों की सलाह पर एनएच के अभियंता चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव के नेतृत्व में इस राष्ट्रीय राजमार्ग को खोले जाने और पहाड़ी से मलबा न गिरने को लेकर पूजा पाठ की गई।
इस मामले में विभाग की तरफ से बताया गया कि स्थानीय लोगों का मानना है कि एक बार पूजा पाठ करके भी देख लिया जाए। इसीलिए एनएच की ओर से अचानक पूजा-पाठ का कार्यक्रम बनाया गया। पूजा-पाठ में साइट अभियंता विवेक श्रीवास्तव व निर्माण कम्पनी के लोग शामिल हुए। एनएच के अभियंता चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव के अनुसार केवल दो-तीन मीटर एरिया से मलबा हटाया जाना शेष रह गया था। पूजा-पाठ के बाद इस मलबे को मशीनों की मदद से हटाया गया है।
बहरहाल, टनकपुर-चम्पावत नेशनल हाईवे स्वाला के पास पूरी पहाड़ी दरकने की वजह से 23 अगस्त से बंद पड़े इस नेशनल हाईवे को एनएच ने खासी मशक्कत व पूजा-पाठ के बाद शुक्रवार की दोपहर तक सड़क से मलवा हटाकर फिलहाल खाली वाहन निकाले जाने लायक रास्ता खोल दिया है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि चारुचंद्र चंदोला भले ही आज स्वर्गीय हो गये हों, लेकिन उनकी यह कविता जिसकी अंतिम पंक्तियां 'गोरा चांद पर ठोकर मार कर आ गया, और मेरे देश में बिल्लियां रास्ता काट रही हैं।' आज भी प्रासंगिक हैं।