Covid 19 Deaths : निरंकुश शासकों द्वारा नरसंहार में सबसे अधिक उसके समर्थक ही मरते हैं
वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
Covid 19 Deaths : निरंकुश, जनता को विभाजित करते, राष्ट्रविरोधी नीतियों के संचालन के बाद भी राष्ट्रवाद का उपदेश देने वाले शासक अपनी हरेक नीतियों से नरसंहार को बढ़ावा देते हैं और ऐसे नरसंहार में सबसे अधिक उसके समर्थक ही मारे जाते हैं। ऐसा इतिहास में हमेशा होता आया है और इस दौर में भी हो रहा है। हाल में ही अमेरिका में किये गए एक विस्तृत अध्ययन से स्पष्ट होता है कि अमेरिका में जिन क्षेत्रों से नवम्बर 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) को 60 प्रतिशत या अधिक मत मिले थे, उन क्षेत्रों में कोविड 19 से सम्बंधित मृत्यु दर अन्य क्षेत्रों की तुलना में लगभग तीनगुनी अधिक है। इस अध्ययन के निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ट्रम्प हमेशा ग्रेट अमेरिका का नारा लगाते थे, श्वेत अमेरिका सार्वजनिक तौर पर घोषित करते थे और केवल क्रिश्चियन अमेरिका की बात करते थे। उन्हें लगता था कि दुनिया का सारा ज्ञान केवल उन्हें ही है और कोविड 19 (Covid 19) के बारे में और उसकी वैक्सीन से सम्बंधित अफवाहों को फैलाने में स्वयं आगे थे।
इस अध्ययन को अमेरिका के नेशनल पब्लिक रेडियो (National Public Radio) ने करवाया था, और इसमें कुल 3000 काउंटी (County, जिला के समतुल्य) के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था। इस अध्ययन में हवाई, नेब्रास्का और अलास्का राज्यों को छोड़कर बाकी सारे राज्यों की काउंटी को शामिल किया गया था, इन तीन राज्यों के मतगणना और कोविड 10 के आंकड़े काउंटी के आधार पर उपलब्ध नहीं थे। आंकड़ों का विश्लेषण कर हरेक काउंटी में प्रति लाख आबादी पर मृत्यु दर का आकलन किया गया। मृत्यु दर और टीकाकरण दर का आकलन 1 मई 2021 से शुरू किया गया, क्योंकि इस समय से ही अमेरिका के हरेक क्षेत्र में हरेक वयस्क को टीका आसानी से उपलब्ध होना शुरू हुआ था।
अध्ययन से स्पष्ट होता है कि जिन काउंटी से ट्रम्प को 60 प्रतिशत या अधिक वोट मिले, वहां मृत्यु दर बाकी जगहों की तुलना में 2.7 गुना अधिक है और टीकाकरण दर बाकी जगहों की तुलना में कम है। इस अध्ययन के एक विशेषज्ञ चार्ल्स गाबा (Charles Gaba) के अनुसार अक्टूबर तक सबसे कम मृत्यु दर वाले 10 काउंटी की तुलना में सबसे अधिक मृत्यु दर वाली 10 काउंटी के आंकड़ों में 6 गुना से अधिक का अंतर था, जो अब 5.5 गुना है।
इस अध्ययन में केवल ट्रम्प और बाइडेन (Jo Biden) को मिले वोटों का आकलन और कोविड 19 से सम्बंधित मृत्यु दर और टीकाकरण दर का विश्लेषण किया गया था – इसलिए यह आसानी से बताया जा सकता है कि ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) के गढ़ वाले काउंटी में मृत्यु दर क्या है और बाइडेन के डेमोक्रेटिक पार्टी के गढ़ वाले काउंटी में मृत्यु दर क्या है। पर, नेशनल पब्लिक रेडियो ने बड़ी ईमानदारी से स्वीकार किया है कि एक ही काउंटी में होने वाली कुल मौतों में से कितने रिपब्लिकन के समर्थक थे और कितने डेमोक्रेटिक समर्थक थे, यह आंकड़े उनके अध्ययन में नहीं हैं।
दूसरी तरफ, अमेरिका की कैसर फॅमिली फण्ड (Kaisar Family Fund) नामक संस्था के नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार अमेरिका में कोविड 19 से रिपब्लिकन समर्थक सबसे अधिक प्रभावित हैं। वैक्सीन से भागने वाले रिपब्लिकन समर्थकों में सबसे बड़ी तादात ग्रामीण इलाके के निवासियों और श्वेत आबादी में है। इस सर्वेक्षण के अनुसार अब तक 91 प्रतिशत डेमोक्रेट समर्थकों ने कोविड 19 का टीका लिया है, जबकि रिपब्लिकन समर्थकों के लिए यह संख्या महज 59 प्रतिशत है। अमेरिका में कोविड 19 और इसके टीके से जुड़े अफवाहों और गलत धारणाओं को खूब फैलाया गया है, और इसमें स्वयं पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प भी शामिल थे।
कैसर फॅमिली फण्ड के सर्वेक्षण के अनुसार 94 प्रतिशत से अधिक रिपब्लिकन समर्थक ऐसे कम से कम एक अफवाह पर भरोसा करते हैं, जबकि 46 प्रतिशत से अधिक रिपब्लिकन समर्थक 4 या अधिक अफवाहों पर भरोसा करते हैं। डेमोक्रेट समर्थकों में अफवाहों पर भरोसा करने वाली आबादी महज 14 प्रतिशत है। अमेरिका में कोविड 19 से जुडी सबसे प्रचलित अफवाह यह है कि सरकार इसके आंकड़े बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करती है। जॉन होपकिन यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में अब तक कोविड 19 के कारण 788000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।
भले ही इस अध्ययन को अमेरिका में किया गया हो, और आंकड़े वहीं तक सीमित हों – पर इतना तो तय है कि ठीक ट्रम्प जैसे ही दुनिया में अनेक शासक है और जाहिर है वहां भी कहानी एक जैसी ही है। जिस तरह से ट्रम्प ने अमेरिका पर राज किया, उसी तरह हमारे देश में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), ब्राज़ील में जैर बोल्सेनारो (Jair Bolsenaro) और यूनाइटेड किंगडम में बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) राज कर रहे हैं।
कोविड 19 से सबसे प्रभावित यही देश भी हैं। हमारे देश में आंकड़ों की बाजीगरी के साथ ही अफवाहों को फैलाने में सरकारी तंत्र के साथ ही भारतीय जनता पार्टी और दूसरे हिन्दू संगठनों के समर्थक सबसे आगे रहे है। हनुमान चालीसा, गंगा जल, गौ-मूत्र, गोबर, काढा, कोरोनिल, हवन, योग, आयुर्वेद और गरम पानी से भी कोविड 19 के इलाज का दावा किया जाता रहा, और जब ऑक्सीजन की कमी से दुनिया देश में मौत का नजारा देख रही थी, नदियों में लाशें तैर रही थीं तब आंकड़ों की बाजीगरी का खेल बड़े पैमाने पर खेला गया।
जब कोविड 19 का दौर अपने चरम पर था, तब बीजेपी की चुनावी रैलियों का दौर भी चरम पर था – जिसमें शारीरिक दूरी का तो सवाल ही नहीं था, नेता सहित जनता के मुंह से मास्क भी गायब था। उस दौर में प्रधानमंत्री स्वयं भीड़ की तारीफ़ में कसीदे गढ़ते थे और दूसरे नेता एक विदूषक की तरह जनता से पूछते थे, कहाँ है कोरोना? बीजेपी नेताओं की जिद के कारण कुम्भ का भी भव्य आयोजन किया गया। इन सबका क्या असर हुआ, इसे केवल देश ने ही नहीं बल्कि दुनिया ने देखा, जाहिर है मरने वालों में अधिकतर वही रहे होंगें जिन्होंने पिछले चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर बीजेपी को वोट दिया होगा।
ट्रम्प और मोदी जी में केवल कोविड 19 के सन्दर्भ में ही समानता हो ऐसा नहीं है। फीयर: ट्रंप इन द व्हाइट हाउस (Fear: Trump in the White House) नामक पुस्तक में लेखक बॉब वुडवॉर्ड (Bob Woodward) ने जो कुछ ट्रम्प के बारे में लिखा था, उसमें बहुत सारे वाक्य तो ऐसे हैं कि यदि नाम और देश हटा दिया जाए तो पूरा भारत का वर्णन है।
वुडवॉर्ड ने लिखा है कि अपने चुनाव प्रचार के दौरान बोले गए झूठों के कारण अबतक ट्रंप में जनता विश्वास नहीं करती, हमारे देश में प्रधानमंत्री को जुमलेबाज कहा जाता है। ट्रंप तथ्यों पर भरोसा नहीं करते, या तभी भरोसा करते हैं जब तथ्य उनके या उनकी पार्टी के पक्ष में हों। ट्रम्प का मानना है कि आंकड़ें कुछ नहीं होते, और इन्हें अपनी सुविधानुसार कभी भी गढ़ा जा सकता है। आंकड़ों की बाजीगरी तो मोदी जी के भाषणों का अभिन्न अंग है।
वुडवॉर्ड आगे लिखते हैं कि उन्होंने इसके पहले कभी किसी राष्ट्रपति को देश या दुनिया की वास्तविकता से इतना उदासीन नहीं देखा है। ट्रम्प अपनी हरेक योजना के गुण खुद ही गाते हैं और हरेक योजना को पूरी दुनिया में सबसे अच्छा और सबसे बड़ा बताते हैं। हमारे प्रधानमंत्री भी यही सब करते हैं, सबसे बड़ी मूर्ती, जन-धन योजना, मोदीकेयर योजना, उज्ज्वला योजना, सब दुनिया में सबसे बड़ा और अच्छा है, भले ही इसका लाभ किसी को मिला रहा हो या नहीं मिला रहा हो। ट्रम्प को लगता है कि दुनिया भर का सारा ज्ञान उनके पास ही है, चुटकियों में हरेक समस्या हल कर सकते हैं।
अपने देश में प्रधानमंत्री जी का यही हाल है। चलो मान लिया के तथाकथित एंटायर पोलिटिकल साइंस से राजनीति का पूरा ज्ञान होगा पर प्रधानमंत्री जी तो इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र और विज्ञान पर भी अपने एकाधिकार समझते हैं। प्रधानमंत्री जी तो यह भी जानते हैं कि बादलों के बीच वायुसेना को विमान उड़ाने के क्या फायदे हैं। वुडवॉर्ड के अनुसार ट्रम्प अपने भाषणों में हमेशा अपनी जिन्दगी का उदाहरण देते हैं, भले ही उसका कोई सबूत हो या नहीं हो। जरा याद कीजिये चाय बेचने से लेकर हिमालय पर तपस्या के आज तक कोई सबूत नहीं है। सबूत तो खैर शिक्षा के भी नहीं हैं।
इस अध्ययन से इतना तो स्पष्ट है कि निरंकुश शासकों के भारी संख्या में अंधभक्त होते हैं और इन अंधभक्तों का उपयोग शासक एक स्वचालित हथियार की तरह करते हैं, पर अफ़सोस यह है कि अंधभक्त कभी नहीं समझ पाते कि जिसकी भक्ति में वे लीन हैं उसी की नीतियों और हरकतों से वे बेमौत मारे जा रहे हैं।