Begin typing your search above and press return to search.
समाज

राष्ट्रीय आंदोलन की नायिकाओं से प्रेरणा ले समाज के हालात बदलने के प्रण के साथ राष्ट्रीय महिला दिवस पर वीरांगना वाहिनी स्थापना सम्मेलन आयोजित

Janjwar Desk
13 Feb 2025 9:10 PM IST
राष्ट्रीय आंदोलन की नायिकाओं से प्रेरणा ले समाज के हालात बदलने के प्रण के साथ राष्ट्रीय महिला दिवस पर वीरांगना वाहिनी स्थापना सम्मेलन आयोजित
x
वीरांगना वाहिनी भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन की नायिकाओं, रानी लक्ष्मी बाई, बेग़म हज़रत महल, ऊदा देवी, झलकारी बाई इत्यादि से प्रेरणा लेकर अब देश और महिलाओं के हालात बदलने के लिए, महिलाओं को संगठित करके भारतीय संस्कृति, राष्ट्र को बचाने और औरतों के लिए सुरक्षित समाज बनाने का प्रयास करेगी...

लखनऊ। भारत के स्वाधीनता आन्दोलन की विख्यात नायिका सरोजिनी नायडू के जन्म दिवस को आजादी के बाद भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया गया था।

निर्भया आन्दोलन के बाद महिला सुरक्षा के लिए कार्यरत महिलाओं ने मिलकर, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त ऊषा विश्वकर्मा के नेतृत्व में वीरांगना वाहिनी की स्थापना की है। वीरांगना वाहिनी भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन की नायिकाओं, रानी लक्ष्मी बाई, बेग़म हज़रत महल, ऊदा देवी, झलकारी बाई इत्यादि से प्रेरणा लेकर अब देश और महिलाओं के हालात बदलने के लिए, महिलाओं को संगठित करके भारतीय संस्कृति, राष्ट्र को बचाने और औरतों के लिए सुरक्षित समाज बनाने का प्रयास करेगी।

आज राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गांधी भवन, लखनऊ में वीरांगना वाहिनी का स्थापना सम्मेलन हुआ। इस अवसर पर वीरांगना वाहिनी की संयोजिका ऊषा विश्वकर्मा ने कहा कि भारत की वीरांगनाओं के त्याग और बलिदान से अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा, लेकिन ये वीरांगनाएं जैसा भारत बनाना चाहती थीं, वैसा भारत नहीं बन पाया। इसलिए उसके सपनों को पूरा करने के लिए अब वीरांंगना वाहिनी काम करेगी, ताकि एक ऐसा भारत बने जिसमें आखिरी औरत और आखिरी आद‌मी तक इज्ज़त पहुंचे.., रोटी पहुंचे.., और आज़ादी पहुंचे।

इस अवसर पर दिल्ली से आए प्रसिद्ध समाजशास्त्री, जेएनयू के रिटायर्ड प्रोफेसर आनन्द कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में चले आजादी के आन्दोलन की मुख्य शक्ति स्त्री रही है। आज वीरांगना वाहिनी के स्थापना सम्मेलन में शामिल होकर, मैं महसूस कर रहा हूं कि एक बार फिर, भारत की महिला शक्ति जाग गयी है। ...और ये वीरांगनाएं शहीदों के सपनों का भारत जरूर बनाएंगी।

सम्मेलन में 1974 के जेपी आन्दोलन में कालेज छोड़कर, पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनकर, गांव-गांव में सघन क्षेत्र बनाकर काम करने वाली महिला नेतृत्व का सम्मान करते हुए, उन्हें सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र से आईं डॉ. मीनाक्षी सखी, झारखंड से आईंं किरन, पटना से आईंं पूनम, मुंबई से आईं पुतुल, बंगाल से आईं अनुराधा और झरना को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीश कुमार, जेपी मूवमेंट के नायक अशोक प्रियदर्शी, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता विजय प्रताप, दार्शनिक डॉ राकेश रफीक, प्रख्यात समाजवादी चिंतक अनिल मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता वंदना मिश्र, जौनपुर से आए समाजसेवी लाल प्रताप ने भी अपने विचार रखे। वीरांगना वाहिनी की ओर से सलोनी, नीत, इरम, नेहा, अनम, अन्नू, साबरा, नैना, जाह्नवी वर्मा आदि ने अपने विचार रखे।

मंच संचालन लक्ष्मी ने किया। सम्मेलन में डेढ़ हजार से अधिक युवतियों व महिलाओं ने भागीदारी की।

Next Story

विविध