Ground Report : सरकार के झूठे आंकड़ों की बाजीगरी के बीच पिसती जनता, बेमौत अपनों को खोकर सिसकते लोग
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, कानपुर। अकेले कानपुर में कल शाम तक 26 कोरोना मरीजों की मौत हुई तो 2165 नए संक्रमित हुए हैं। एक्टिव केस 17224 होने सहित 1060 लोगों को कोरोना निगल चुका है। यह वो आंकड़े हैं जो स्वास्थ विभाग की तरफ से आधिकारिक तौर पर गिने जाते हैं। इसके इतर सूरत क्या है हमें भी पता है और सरकार व इनके नुमाइंदो को भी। बावजूद इसके आंकड़ो को छुपाने की बाजीगरी का खेल दिन रात खेला जा रहा है।
सरकार का कहना है कि यूपी के हर एक जिले में बेड, वेंटिलेटर, दवाईयां, ऑक्सीजन सब कुछ जरूरत के हिसाब से उपलब्ध है। कहां उपलब्ध है ये सरकार बताने को राजी नहीं है। उपर से धौंस यह कि जो भय फैलाएगा, सच बताएगा उसपर एनएसए व गैंग्स्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई हो भी क्यों ना जब सरकार के पास हर प्रकार के तोते पले हुए हैं। ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि मुर्दे झूठ बोल रहे हैं, और आपको मानने में गुरेज भी नहीं करना चाहिए।
कल साढ़े 11 बजे तक कानपुर के स्वर्गाश्रम घाट पर जलती चिताओं की संख्या 50 का आंकड़ा पार कर चुका था। किसी की माँ, किसी का बाप, किसी का भाई तो अन्य रिश्तेदारों की चिताओं से उठता धुँआं लोगों के रातों की नींद छीने ले रहा है। मरघटों में हर चेहरा मायूस नजर आ रहा है। असमय अपनो को खोते लोग अंदर ही अंदर धुट रहे हैं। ठीक उसी समय सरकार का हर झूठ रोज बोपर्दा हो रहा है। जनता में सरकार के खिलाफ गुस्सा है, आक्रोश है।
इस घाट के व्यवस्थापक विपिन कुमार ने जनज्वार संवाददाता से बात करते हुए बताया कि अब से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। यहां अब से पहले चिताएं आती थीं तो बमुश्किल 10 या 12। लेकिन अब तो सुबह से शाम तक लोग लाशें ही लाशें लिए चले आ रहे हैं। संख्या को देखकर हम लोगों ने टोकन सिस्टम शुरू कर दिया है। चिताओं को जलवाने वाले आर एस यादव बताते हैं कि समय देखिये 11 साढ़े 11 बजा होगा और अब तक गिनती 50 से उपर पहुँच गई है। कल 60 लासें जलीं थीं। कल से आज संख्या जादा है।
सरकारी दावों के बीच कल ही कल्याणपुर के गूबा गार्डन में किराए पर रहने वाले 55 वर्षीय अवधेश कुमार की ऑक्सीजन ना मिलने से मौत हो गई। अवधेश के परिजन बेड व ऑक्सीजन के लिए दिन भर अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। और तो और उनका शव पैतृक गांव तक ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली। बाद में निजी वाहन से उनका शव गांव ले जाया गया। अर्मापुर के प्रवीण शुक्ला माँ को लेकर दिनभर भटकते रहे। प्रवीण के ना अस्पताल मिला और ना ऑक्सीजन। बाद में प्रवीण की माँ चल बसीं।
कानपुर साउथ का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कहा जाने वाला जागेश्वर में सुबह सात बजे से लाईन लग रही है, वैक्सीन लगवाने के लिए। यहाँ के कर्मचारियों के मुताबिक एक दिन में 110 डोज वैक्सीन लगाई जाती है। ऐसे में हजारों लोग दिनभर कड़कती धूप के बीच लाईन में खटते हैं। बाद में मायूस हेकर लौट जाते हैं। अस्पताल के बाहर लगा भाजपा नेताओं का पोस्टर यहां भटकती जनता को मुँह चिढ़ाता है। क्योंकि इस महामारी के समय उन्हें पोस्टरों में सजा एक भी चेहरा दिखाई नहीं दे रहा।
अस्पताल में मिले सरदार करतार सिंह जनज्वार से बात करते हुए कहते हैं कि नेताओं के लिए कोरोना नहीं है। रैली कर रहे चुनाव लड़ रहे हैं। हम लोग यहां भटक रहे हैं, ना दवाई मिल रही ना कोई सुविधा है। अब देखिए यहां ना बैठने की व्यवस्था है ना ही पानी पीने की। सभी धूप में खड़े हैं। लाईन लगी है। सुबह सात बजे से हम लोग खड़े हैं और अभी तक डॉक्टर का कोई अता-पता नहीं है।
हिंदू संस्कार जिनके मुताबिक रात में चिता नहीं जलाई जा सकती वो अब मानना बेमानी हो चुका है। इस निक्म्मी भाजपा सरकार के समय अब हिंदू के घर में रात को भी चिताएं जल रहीं हैं। भगवतदास घाट पर कल रात 9 बजे तक चिताएं जलाई गईं हैं। तब ऐसे में सरकारें झूठ और सिर्फ झूठ का राग अलापने के अलावा मरती हुई जनता और अपने वोटर के लिए निरीह बनी हुई है। ऐसे में बचने के बाद जनता की बड़ी जिम्मेदारी यह बनती है कि कम से कम ऐसी सरकारों को आईना दिखाना जरूरी है।