झारखण्ड के लातेहार में माँ ने मासूम को गोद में लेकर सजाई पति की चिता तो कहीं रिश्तेदार नहीं आए तब रोजेदारों ने दिया कांधा
जनज्वार, लातेहार। झारखण्ड के लातेहार जिला में अपने मासूम बच्चे को गोद में लिए हुए पत्नी ने पति की चिता सजाई और 12 साल की बेटी ने मुखाग्नि देकर दाह-संस्कार किया। नदी किनारे धूप में तपती चट्टान पर मां-बेटी नंगे पांव उस व्यक्ति को जलते हुए देखती रहीं जो अब तक उनके जीवन का एकमात्र सहारा था। कोरोना के डर से कोई पड़ोसी या नाते-रिश्तेदार उनके इस दुख में शामिल नहीं हुआ। दिल को छलनी कर देने वाली यह घटना शुक्रवार को लातेहार जिले के चंदवा में घटित हुई।
जानकारी के मुताबिक शहर से सटे पंचमुखी हनुमान मंदिर मोहल्ले में राजेन्द्र मिस्त्री नामक व्यक्ति की अचानक मौत हो गई। उसके निधन की सूचना बेटी ने आसपास के लोगों को दी। लेकिन, कोई भी मृतक के अंतिम संस्कार में जाने को तैयार नहीं हुआ। राजेंद्र अपने घर का इकलौता पुरुष सदस्य था। घर में शव पड़ा होने की सूचना कुछ लोगों ने बीडीओ सुरेंद्र कुमार सिंह को दी। इसके बाद वह प्रशासनिक कर्मियों का दल लेकर मृतक के घर पहुंचे।
बीडीओ ने चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक एम्बुलेंस बुलाई। इसके बाद शव को देवनद के किनारे ले जाया गया। वहां राजेंद्र की 12 वर्षीया पुत्री ने अपने पिता को मुखग्नि दी। पिछले 15 वर्षों से चंदवा में रहकर मिस्त्री का काम करने वाले राजेंद्र के निधन के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए समाज का कोई भी व्यक्ति आगे नहीं आया। राजेंद्र मिस्त्री का परिवार बेहद गरीबी में जीवन यापन कर रहा था। उसके निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार की खस्ता माली हालत को देखते हुए बीडीओ ने आर्थिक सहायता और खाद्यान्न उपलब्ध कराया।
वहीं पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर में कोरोना संक्रमित महिला की मौत होने पर परिवार के अपनों ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने से मना कर दिया। इस विषम परिस्थिति में महिला के बेटे की मदद उसके मुस्लिम दोस्तों ने की। उनकी सहायता से महिला का अंतिम संस्कार मेदिनीनगर के हरिश्चंद्र घाट पर किया गया। महिला के बेटे प्रिंस गुप्ता ने बताया कि गुरुवार को कोरोना से उसकी मां का निधन हो गया। परिजनों ने भय से दाह-संस्कार में भाग लेने से मना कर दिया। इससे वह बेहद परेशान हो उठा।
उसने बताया कि उसके मित्र प्रिंस गुप्ता की मां का कोविड-19 के चलते निधन होने की सूचना एक हिंदू मित्र के जरिए उसे और उसके अन्य मुसलमान दोस्तों को मिली। यह भी पता चला कि प्रिंस के परिजन दाह-संस्कार में शामिल होने के लिए नदी घाट पर जाना नहीं चाहते हैं। इसके बाद उसके रोजेदार भाइयों ने अपने मित्र की सहायता करने का निर्णय किया।
रमजान के पवित्र माह में रोजा रखे मुंसफ, फैसल, सोहेल, जाफर और मुन्नन ने दाह-संस्कार कार्यक्रम में हिस्सा लेने की बात प्रिंस के घरवालों से की। इसके बाद सभी रोजेदारों ने मिलकर हिंदू रीति-रिवाज से मेदिनीनगर के राजा हरिश्चंद्र घाट पर महिला का अंतिम संस्कार कराने में मदद की। युवकों के इस प्रयास की शहर में सर्वत्र सराहना हो रही है।