बजट में विनिवेश पर जोर, सरकारी कंपनियों को बंद करने के लिए बनेगी नीति, पर आमलोगों के लिए क्या?
जनज्वार। केंद्र की मोदी सरकार पार्ट-2 का वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट आज पेश हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह बजट पेश कर रही हैं। बजट के पहले घँटे की अबतक जो बातें सामने आई हैं, उनमें विनिवेश और एफडीआई पर सरकार का फोकस स्पष्ट रूप से झलकता है।
वित्त मंत्री ने हालांकि, कोरोना काल में सरकार द्वारा किए गए काम को अपनी उपलब्धियों के रूप में गिनाया और कहा कि हमने कोरोना काल में पांच मिनी बजट पेश किए थे। साथ ही सरकार की ओर से आत्मनिर्भर पैकेज की भी घोषणा की गई थी। कोरोना काल में आरबीआई ने 21 लाख करोड़ के पैकेज का एलान किया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए बजट में कहा गया है कि अब इंश्योरेंस क्षेत्र में 74 फीसदी तक एफडीआई की व्यवस्था की जाएगी। पहले यहां पर सिर्फ 49 फीसदी तक एफडीआई की ही इजाजत थी। इसके अलावा निवेशकों के लिए चार्टर बनाने का एलान किया गया।
वित्त मंत्री ने कहा कि अगले साल कई पीएसयू का विनिवेश किया जाएगा। विनिवेश के लिए कानून में भी संशोधन होगा। विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। इसके अलावा कुछ सरकारी कंपनियों को बंद करने के लिए सरकार नीति बनाने जा रही है ताकि इन्हें समय रहते बंद किया जा सके। वित्त मंत्री ने नए फाइनेंशियल ईयर में एलआईसी का आईपीओ लाने का भी एलान किया।
इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2021-22 में वित्तीय घाटा का लक्ष्य 9.5 प्रतिशत रखा गया है। इमरजेंसी फंड में 30,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था रखी गई है, जबकि इस वित्तीय वर्ष में खर्च का लक्ष्य 34.5 लाख करोड़ रखा गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि अगली जनगणना की प्रक्रिया डिजिटल होगी। इसके लिए सरकार 3760 करोड़ रुपये देगी।
इससे पहले वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि यह बजट ऐसे वक्त में आ रहा है जब देश की जीडीपी लगातार दो बार माइनस में गई है। उन्होंने कहा कि साल 2021 ऐतिहासिक साल होने जा रहा है, जिसपर देश की नजर है।
वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की चर्चा करते हुए कहा कि इसके लिए 64180 करोड़ रुपये दिए गए। इसके अलावा स्वास्थ्य के बजट को भी बढ़ाया गया।
लब्बोलुआब यह कि बजट में सरकार के राजस्व में वृद्धि, राजकोषीय घाटे को पाटने की व्यवस्था, सरकार के लिए फंड की व्यवस्था पर जोर तो दिया गया है, पर आमलोगों पर इसका कैसा असर होगा, क्या फायदा होगा, यह सबकुछ स्पष्ट नहीं है।
हालांकि आम समझ है कि विनिवेश से राजकोषीय घाटा भले ही पाट लिये जाएं, पर आम जनता को इसका कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं दिखता। ऐसे में सवाल मौजूं है कि कोरोना काल के इस पहले संपूर्ण बजट से आम लोगों को क्या फायदा हुआ?