वनग्रामों को राजस्व गांव का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर कालूसिद्ध में बैठक आयोजित, नेता करते हैं जनता को सिर्फ वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल

रामनगर। वन ग्राम कालूसिद्ध, पापड़ी को वनाधिकार कानून 2006 के अंतर्गत राजस्व ग्राम बनाए जाने को लेकर वन ग्राम समिति के गठन को लेकर सहायक समाज कल्याण अधिकारी इंद्रजीत गौतम की उपस्थिति में आज 10 मार्च को नई बस्ती कालूसिद्ध में ग्रामीणों की बैठक आयोजित हुई।
बैठक में किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने बताया कि वन अधिकार कानून 2006 पिछली तीन पीढ़ियों यो से वन क्षेत्र में निवास कर रहे लोगों को चार हेक्टेयर तक भूमि पर मालिकाना हक, वन उत्पादों को इस्तेमाल करने तथा राजस्व ग्राम बनाने का अधिकार देता है। इसी कानून के अंतर्गत रामपुर, चोपड़ा, लेटी बिंदुखत्ता आदि गांवों को राजस्व ग्राम बनाए जाने की प्रक्रिया अपनाई गई है।
समाजवादी लोकमंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में लाखों लोग वन भूमि पर निवास कर रहे हैं। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह वन अधिकार कानून के तहत वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए, परंतु राजनीतिक दल वन भूमि पर निवास कर रही जनता को राजस्व ग्राम का अधिकार देने की जगह उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
महिला एकता मंच की सरस्वती जोशी ने कहा कि वन ग्राम के लोग सांसद और विधायक तो चुन सकते हैं परंतु उन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान व वीडीसी सदस्य आदि चुनने एवं चुने जाने के अधिकार से वंचित रखा गया है।
नव निर्वाचित सचिव सत्यवीर पटवाल ने सहायक समाज कल्याण अधिकारी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि प्रशासन कालू सिद्ध व पापड़ी क्षेत्र में बरसों से निवास कर रहे लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने व उनके गांव को राजस्व ग्राम बनाने में अपना सहयोग आगे भी जारी रखेगा।
बैठक में भगली देवी, धना देवी, मंजू देवी, बची राम, लीला देवी, बचुली देवी, बालम सिंह, संजय, श्यामा देवी, शेखर, दीपक सिह,दामोदर, गिरीश पटवाल समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।