केरल सरकार तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को अडानी को सौंपने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी, कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
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जनज्वार। केरल सरकार तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को अडानी को सौंपने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी, कर्मचारियों ने किया प्रदर्शनकेरल सरकार तिरुवनंतपुरम एयरपेार्ट को लेकर अडानी समूह के साथ किए गए करार को लेकर सुप्रीम कोर्ट गयी है। केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने विधानसभा में बुधवार को कहा कि केरल सरकार ने तिरुवनंतपुर एयरपोर्ट के निजीकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी है। उन्होंने कहा कि यह मामला अभी विचाराधीन है पर केंद्र सरकार ने अपने इच्छा से इस करार को लेकर गहरी रुचि होने के कारण निजीकरण का समझौता कर लिया।
पी विजयन ने विधानसभा में कहा कि केंद्र सरकार लगातार संघीय ढांचे के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वह राज्य की मांग की उपेक्षा कर रही है।
The Central government is continuously taking a stand against federal principles, it is neglecting the state's demands: Kerala CM Pinarayi Vijayan in assembly https://t.co/duvTQQzYWg
— ANI (@ANI) January 20, 2021
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के छह हवाई अड्डों को लेकर अडानी समूह से करार किया है। इसमें तिरुवनंतपुरम सहित गोवाहाटी, जयपुर, अहमदाबाद, लखनऊ, व मंगलोर शामिल हैं।
इनमें मंगलोर, लखनऊ व अहमदाबाद एयरपोर्ट को कैबिनेट ने अडानी ग्रुप को देने को जुलाई 2019 को ही मंजूरी दे दी थी और इस समूह ने दिसंबर 2020 में इनको टेकओवर भी कर लिया। केंद्र ने फरवरी 2019 में इस प्रक्रिया को शुरू किया था।
वहीं, तिरुवनंतपुरम, गोवाहाटी व जयपुर हवाई अड्डे को लेकर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकारी, एएआइ से मंगलवर को करार किया गया। इस करार को लेकर मुख्यमंत्री पी विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर पुनर्विचार का भी आग्रह किया है। अडानी समूह से इन एयरपोर्ट के लिए यह करार 50 वर्षाें के लिए प्रबंधन, विकास व संचालन के लिए किया गया है।
इस करार को लेकर एएआइ के एक बयान में कहा गया है कि 19 जनवरी से 2021 से 180 दिनों के भीतर कंसेनियर को गोवाहाटी, जयपुर व तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए कुछ शर्ताें का पालन करना होगा।
मंगलवार को इस करार के कुछ ही घंटे बाद तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के कर्मचारियों ने निदेशक के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर निजीकरण का विरोध किया। कर्मचारियों का कहना था कि उनकी विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो ऐसे में एएआइ ने समझौता पर हस्ताक्षर करने में जल्दबाजी क्यों की। उनका यह भी कहना है कि सरकार ने एयरपोर्ट को अडानी को करार के तहत सौंप दिया है तो अब ऐसी स्थिति में उनका क्या होगा? इन कर्मचारियों को अब अडानी समूह के नियंत्रण में काम करना होगा।