26 प्रतिशत छात्रों ने छोड़ दी जेईई मेन की परीक्षा, जनवरी में ऐसा करने वाले थे मात्र छह प्रतिशत
प्रतीकात्मक तस्वीर
जनज्वार। एक सितंबर से छह सितंबर 2020 तक प्रीमियम इंजीनियरिंग काॅलेजों में नामांकन के लिए ली जाने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा जेईई मेन में 26 प्रतिशत छात्र शामिल नहीं हुए। कोरोना संक्रमण के दौरान में ली गई यह पहली परीक्षा था और उसमें बड़ी संख्या में परिवहन, स्वास्थ्य सहित अन्य वजहों से छात्र शामिल नहीं हो पाए। मालूम हो कि गैर भाजपा शासित राज्यों एवं कई प्रमुख हस्तियों ने परीक्षा लेने का विरोध किया था।
इस साल के जनवरी में हुई जेईई परीक्षा में छह प्रतिशत से भी कम छात्र शामिल नहीं हुए थे। उस समय शामिल होने वालों का प्रतिशत 94.32 था। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा ट्विटर पर बुधवार रात साझा की गई जानकारी के अनुसार, रजिस्ट्रेशन कराने वाले कुल 8.58 लाख छात्रों में मात्र 6.35 लाख छात्र परीक्षा में शामिल हुए।
इस परीक्षा का आयोजन करने वाली एजेंसी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का डाटा के अनुसार, जनवरी 2019 में 94.11 प्रतिशत, अप्रैल 2019 में 94.31 प्रतिशत छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे।
कोरोना संक्रमण के दौर में छात्रों का एक वर्ग चाहता था कि परीक्षा स्थगित कर दी जाए। हालांकि सरकार इस परीक्षा एक सितंबर से लेने पर अड़ी रही। इससे पहले दो बार परीक्षा को स्थगित किया गया था।
छात्रों के विरोध के बावजूद सरकार ने परीक्षा को यह कह कर आयोजित किया कि करियर से अनिश्चित काल तक रोक कर नहीं रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इससे संबंधित याचिका को यह कह कर खारिज कर दिया कि छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिक्षाविदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पत्र लिख कर भी परीक्षा न टालने की सलाह दी और यह कहा कि इससे बड़ा नुकसान होगा।
वहीं, भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई मुख्यमंत्रियों ने इस परीक्षा के आयोजन का कड़ा विरोध किया।