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शिक्षा

69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया रद्द, योगी सरकार पर लग रहे आरक्षण घोटाले के आरोप

Janjwar Desk
17 Aug 2024 9:50 AM GMT
69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया रद्द, योगी सरकार पर लग रहे आरक्षण घोटाले के आरोप
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इस मसले पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं, जहां योगी सरकार द्वारा इस मसले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने के कयास लग रहे हैं, वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए अपने एक्स एकाउंट पर लिखा है, 'शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है...

लखनऊ। यूपी में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रिजल्ट फिर से जारी करने का आदेश दिया गया है, जिसके बाद योगी सरकार सवालों के घेरे में है। विपक्ष उन पर लगातार हमलावर है और कहा जा रहा है कि यह आरक्षण घोटाला साबित होगा। भाकपा (माले) ने बयान जारी कर कहा है कि 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में रिजल्ट फिर से जारी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से योगी सरकार का आरक्षण घोटाला साबित हुआ है। यह उचित प्रतिनिधित्व से वंचित अभ्यर्थियों के पिछले चार साल से जारी संघर्षों की जीत है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में फैसला सुनाते हुए शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया और बेसिक शिक्षा विभाग को तीन महीने के अंदर नई चयन सूची जारी करने को कहा है। हालांकि राजनीतिक गलियारों में इस बात की सुगबुगाहट होने लगी है कि इस मसले पर शायद योगी सरकार नई मेरिट लिस्ट जारी नहीं करेगी और वह सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकती है।

माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आज शनिवार 17 अगस्त को जारी बयान में कहा कि योगी सरकार ने हकमारी की थी। पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी इसे माना था। आरक्षित वर्ग के वंचित अभ्यर्थी इस मंत्री से उस मंत्री के दरवाजे गुहार लगाते रहे, धरना-प्रदर्शन किए, लेकिन अहंकारी भाजपा और उसकी सरकार ने एक न सुनी। विधानसभा में गलतबयानी की। अब सामाजिक न्याय के हित में बेहतर यही होगा कि योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाय हाईकोर्ट के फैसले पर अमल करे।

माले नेता ने कहा कि भाजपा दरअसल डॉ अंबेडकर लिखित संविधान के आरक्षण को खत्म करना चाहती है। उसकी विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। इसीलिए वह जातीय जनगणना भी नहीं कराना चाहती, क्योंकि तब वंचित जातियों को उनके पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण देना होगा।

इस मसले पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं। जहां योगी सरकार द्वारा इस मसले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने के कयास लग रहे हैं, वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए अपने एक्स एकाउंट पर लिखा है, 'शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।'

69000 शिक्षक भर्ती रद्द किये जाने के फैसले का स्वगत करते हुए राहुल गांधी अपने एक्स एकाउंट पर लिखते हैं, '69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आरक्षण व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाली भाजपा सरकार की साजिशों को करारा जवाब है। यह 5 वर्षों से सर्दी, गर्मी, बरसात में सड़कों पर निरंतर संघर्ष कर रहे अमित मौर्या जैसे हज़ारों युवाओं की ही नहीं, सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले हर योद्धा की जीत है। आरक्षण छीनने की भाजपाई ज़िद ने सैकड़ों निर्दोष अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया है।'

राहुल गांधी आगे लिखते हैं, 'पांच साल ठोकरें खा कर बर्बाद होने के बाद जिनको नई सूची के ज़रिए नौकरी मिलेगी और जिनका नाम अब चयनित सूची से कट सकता है, दोनों की ही गुनहगार सिर्फ भाजपा है। ‘पढ़ाई’ करने वालों को ‘लड़ाई’ करने पर मजबूर करने वाली भाजपा सरकार सही मायने में युवाओं की दुश्मन है।'

वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा कहते हैं, 'उत्तरप्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण घोटाले का पर्दाफाश हो गया है। कांग्रेस पार्टी का सदैव यह मत रहा है कि आरक्षण संविधान प्रदत्त अधिकार है, इसे किसी भी कीमत पर छीनने नहीं दिया जाएगा। ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ के नाम पर आरक्षण छीनने की साजिश, आरक्षण छीनने के लिए ही सरकारी संस्थाओं का निजीकरण और लेटरल एंट्री से भर्तियां एक सोची समझी साज़िश का हिस्सा हैं।”

अखिलेश यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए अपने एक्स एकाउंट पर लिखते हैं, '69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी माँग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियाँ संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हक़मारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे। ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएँ!'

हालांकि इस मसले पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही हैं। यानी वह भी कहीं न कहीं योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाले नजर आ रही हैं। वह अपने एक्स एकाउंट पर लिखती हैं, '69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई।'

अनुप्रिया आगे लिखती हैं, 'अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा। जो माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है, मैंने भी हमेशा वही कहा है। मैंने इस विषय को हमेशा सदन से लेकर सर्वोच्च स्तर पर उठाया है। जब तक इस प्रकरण में वंचित वर्ग को न्याय नहीं मिल जाता मैं इस विषय को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए लगातार हर संभव प्रयास करती रहूंगी।'

वहीं इस मसले पर स्वामीप्रसाद मौर्य अपने एक्स एकाउंट पर लिखते हैं, 'माo उच्च न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में उo प्रo भा.ज.पा. सरकार द्वारा आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के लोगों के भर्ती घोटाले का संज्ञान लेते हुए 3 महीने के अन्दर आरक्षण नियमावली का पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया। हम पहले से ही 18000 पिछड़े वर्ग व अनु. जाति के आरक्षित पदों पर किए गये घोटाले का मुद्दा उठाते रहे हैं, इसीलिए माo उच्च न्यायालय के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं। विश्वास है कि आरक्षित वर्ग के पीड़ित अभ्यर्थियों को अब न्याय अवश्य मिलेगा।'

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