नीट-जेइइ की मोदी ने अभी परीक्षा करायी तो इंदिरा राज में नसबंदी कराने जैसी भूल करेंगे
जनज्वार। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कोविड संकट के बीच नीट जेइइ (Mamta Banerjee & Subramanian Swamy opposed conduct NEET JEE 2020) की परीक्षा लिए जाने की केंद्र की कोशिशों का विरोध किया है। ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने आखिरी वीडियो कान्फ्रेंस में उन्होंने परीक्षाएं आयोजित करने का विरोध किया था और कहा था कि ऐसा करना छात्र जीवन को खतरे में डालना होगा।
ममता बनर्जी ने कहा कि हमें छात्रों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी ड्यूटी है कि हम उनके लिए अच्छा माहौल तैयार करें। ममता बनर्जी ने कहा कि यूजीसी के दिशा निर्देशों के खिलाफ सितंबर 2020 के अंत तक विश्वविद्यालयों व काॅलेजों में टर्मिनल परीक्षाओं के आयोजन का उन्होंने मुखर विरोध किया था। उन्होंने कहा कि इससे छात्र जीवन को खतरे में डालने की स्थितियां बन जाएंगी।
In our last video conference with PM Modi, I had been vocal against the UGC guidelines mandating completion of terminal examinations in Universities/Colleges by the end of September 2020, which had a huge potential to put student lives at risk: Mamata Banerjee, CM, West Bengal https://t.co/hQhsIjNfVV
— ANI (@ANI) August 24, 2020
वहीं, भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने एक बार फिर सोमवार को ट्वीट कर सरकार को चेताया है और कहा है कि अगर वो नीट जेइइ की परीक्षाएं लेती है तो यह 1976 में तत्कालीन सरकार द्वारा नसबंदी कराने जैसी भयंकर भूल होगी जो 1977 में इंदिरा गांधी सरकार के खत्म होने का कारण बनी। उन्होंने लिखा कि भारतीय वोटर चुप रह कर सहते हैं लेकिन उनकी स्मृति दीर्घकालिक होती है।
If our Modi Government goes through imposing the NEET/JEE exam now it will be the giant mistake like Nasbandi in 1976 that caused the undoing of Indira government in 1977. Indian voters may suffer silently but have long memories.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) August 24, 2020
ममता बनर्जी से पहले भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने भी शिक्षा मंत्रालय द्वारा परीक्षाएं आयोजित करने की कोशिशों का विरोध किया था और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा कर कहा था परीक्षाएं दिपावली के बाद आयोजित की जाएं।
स्वामी ने कहा था कि उन्होंने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सुझाव दिया था कि नीट और अन्य परीक्षाएं दिवाली के बाद करवायी जानी चाहिए। जब सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षाएं आयोजित करने की जिम्मेवारी सरकार को सौंप दी है तो इसमें कोई बाधा नहीं है।
स्वामी ने कहा था कि यह वक्त परीक्षाओं के लिए ठीक नहीं है। यात्री सुविधाएं भी नहीं हैं। अगर मुंबई का ही उदाहरण लिया जाए ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं है और ऐसे में बच्चों को परीक्षा देने के लिए 20 से 30 किमी पैदल चलना पड़ेगा।
एक सितंबर से परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड हुए जारी
एक ओर जहां विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा नीट जेइइ एग्जाम का विरोध किया जा रहा है, वहीं इसके लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। परीक्षा एक सितंबर से छह सितंबर 2020 के बीच निर्धारित की गई है। अबतक कुल आठ लाख 58 हजार, 273 उम्मीदवारों में से साढे छह लाख से अधिक ने एडमिट कार्ड डाउनलोड भी कर लिया है। हालांकि यह प्रयास किया गया है कि परीक्षा केंद्र छात्रों की पसंद के अनुरूप दिया जाए और यह दावा है कि 99 प्रतिशत को पसंद के सेंटर दिए गए हैं। पर, कोविड संकट के कारण इस पर राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी आदि के द्वारा सवाल उठाया जा रहा है।