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Medical Education News : SC का फीस वृद्धि पर सुप्रीम प्रहार, कहा - शिक्षा लाभ कमाने का धंधा नहीं

Janjwar Desk
8 Nov 2022 8:13 PM IST
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Medical Education News : एपी हाईकोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा था कि एमबीबीएस की फीस को बढ़ाकर 24 लाख करना बिल्कुल भी गलत है।

Medical Education News : देशभर में महंगी होती मेडिकल एजुकेशन ( Medical Education ) पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने कहा कि शिक्षा कोई लाभ कमाने का कारोबार नहीं है। शीर्ष अदालत ने निजी गैर-सहायता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस ( MBBS fees ) पाठ्यक्रम के लिए वार्षिक ट्यूशन फीस ( Tution fees ) को बढ़ाकर 24 लाख करने के आंध्र सरकार के फैसले पर गंभीर आपत्ति दर्ज की है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ( AP High Court ) के आदेश को बरकरार रखा है। एपी हाईकोर्ट ने फीस बढ़ोतरी को गलत करार दिया था।

एपी हाईकोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि एमबीबीएस की फीस को बढ़ाकर 24 लाख करना पहले तय की गई फीस से सात गुना अधिक है। यह बिल्कुल भी गलत फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने भी सख्त टिप्पणी करते हुए आंध्र सरकार और याचिकाकर्ता निजी मेडिकल कॉलेजों ( Private medical College ) को कहा कि शिक्षा लाभ कमाने का व्यावसाय नहीं है। ट्यूशन फीस हमेशा लोगों की ओर से भुगतान करने के दायरे में होना चाहिए। ताकि छात्र व उनके अभिभावक फीस का खर्चा वहन कर सकें।

सुप्रीम कोर्ट ( supreme court ) ने आंध्र सरकार और राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) और उच्चतम न्यायालय की मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति (MCPC) को भुगतान किए जाने वाले अपीलकर्ता प्रत्येक मेडिकल कॉलेज ( Medical college ) पर 2.5 लाख की लागत लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें निजी गैर-सहायता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए वार्षिक ट्यूशन फीस को बढ़ाकर 24 लाख रुपये करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया गया था।

मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं

Medical Education News : एपी हाईकोर्ट की पीठ ने मेडिकल कॉलेजों को सितंबर 2017 में जारी सरकारी आदेश (जीओ) के तहत छात्रों से वसूल की गई अतिरिक्त फीस वापस करने के लिए उच्च न्यायालय के निर्देशों को भी बरकरार रखा, जिसके द्वारा राज्य ने फीस में वृद्धि की थी। पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि प्रवेश और शुल्क नियामक समिति (एएफआरसी) पहले से निर्धारित ट्यूशन फीस से अधिक ट्यूशन फीस तय करती है, तो यह संबंधित छात्रों के लिए मेडिकल कॉलेजों से इसे वसूल करने के लिए हमेशा खुला रहेगा। मेडिकल कॉलेजों को एकत्र की गई राशि को बनाए रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायाधीशों ने कहा कि शुल्क का निर्धारण या शुल्क की समीक्षा, निर्धारण नियमों के मापदंडों के भीतर ही होगा।

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