NCERT Study : क्लास थर्ड के 11% बच्चे गणितीय दक्षता कौशल में फेल, दिल्ली-गुजरात का माॅडल सबसे ज्यादा खराब
NCERT Study : क्लास थर्ड के 11% बच्चे गणितीय दक्षता कौशल में फेल, दिल्ली-गुजरात का माॅडल सबसे ज्यादा खराब
NCERT Study : वैश्विक बेंचमार्क प्रवीणता स्तर की तुलना में कक्षा 3 के 11 प्रतिशत भारतीय बच्चे बुनियादी गणितीय कौशल में फेल पाये गए हैं। चैंकाने वाली बाली बात यह है कि जिस गुजरात माॅडल ( Model ) का पीएम मोदी और सीएम अरविंद केजरीवाल ढिंढोरा पीटते नहीं थकते उन्हीं के राज्य में तीसरी कक्षा के बच्चे गणितीय दक्षता कौशल मामले में राष्ट्रीय स्तर से भी कम आंके गए हैं। इस सूची में देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 12 राज्यों के नाम शामिल हैं।
गणितीय दक्षता मामले में फिसड्डी राज्य
दिल्ली, गुजरात, असम, छत्तीसगढ़ और गोवा सहित 12 राज्य राष्ट्रीय औसत से खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों की सूची में शामिल हैं। तमिलनाडु और जम्मू और कश्मीर में कक्षा तीन के एक चौथाई से अधिक छात्रों में मूलभूत गणितीय दक्षता कौशल की कमी दर्ज की गई है।
बंगाल, बिहार, हिमाचल, उत्तराखंड, झारखंड के बच्चे सबसे बेहतर
देश में 37 फीसदी बच्चे सीमित ज्ञान और कौशल वाले शिक्षार्थियों की श्रेणी में आते हैं। वे बुनियादी ग्रेड स्तरीय कार्यों को आंशिक रूप से पूरा करने में सक्षम हैं। वहीं पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के बच्चे हैं जिनके पास या तो पर्याप्त ज्ञान और कौशल है या यहां तक कि उन्होंने देश के संपन्न राज्यों के बच्चों की तुलना में ज्ञान और कौशल ज्यादा बेहतर है। यहां के बच्चे जटिल ग्रेड स्तर के कार्यों को पूरा करने में सक्षम पाये गए हैं।
मौखिक पठन दक्षता कम
इसका खुलासा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की पढ़ने की समझ और संख्यात्मकता 2022 के साथ मौखिक पढ़ने के प्रवाह के लिए बेंचमार्किंग पर संपन्न राष्ट्रीय सर्वे से हुआ है। एनसीईआरटी रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे के दौरान आठ भाषाओं में कक्षा तीन के एक चौथाई से अधिक बच्चों के लिए मौखिक पठन दक्षता का मूल्यांकन किया गया था। मौखिक पढ़ने की आवृत्ति वैश्विक न्यूनतम प्रवीणता से कम है। तमिल में पढ़ने वाले 42 प्रतिशत बच्चों में बुनियादी पठन कौशल की कमी पाई गठ्र है। औसतन एक लड़का 16 शब्द प्रति मिनट सही ढंग से पढ़ने में सक्षम है जबकि लड़कियों के लिए यह दर 18 है। खासी, बंगाली, मिजो, पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ने वाले बच्चों ने अन्य भाषाओं के बच्चों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
बता दें कि शिक्षा मंत्रालय ने जुलाई 2021 में नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमेरसी की शुरुआत एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में की थी। ताकि कक्षा तीन के सभी बच्चों को वर्ष 2026-2027 तक मूलभूत कौशल प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके। फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरिकेसी ( FLN ) के प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम के रूप में मार्च 2022 में मंत्रालय और एनसीईआरटी ( NCERT ) द्वारा संयुक्त रूप से एक बड़े पैमाने पर फाउंडेशनल लर्निंग स्टडी ( FLS ) शुरू की गई है।
आधारभूत संख्यात्मक अध्ययन में अधिकांश 52% छात्र 70 और उससे अधिक की स्कोरिंग रेंज में आते हैं। कुल जनसंख्या का 40% 70.83 अंक में हैं। ये बच्चे ज्ञान और कौशल से संबंधित कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं। 10% बच्चे 84 और उससे अधिक की शीर्ष श्रेणी में आते हैं जिसका अर्थ है कि वे अपने बेहतर ज्ञान और कौशल के साथ जटिल ग्रेड स्तर के कार्यों को पूरा कर सकते हैं।