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Vegetable Vendor's Daughter Becomes Civil Judge : माता-पिता बेचते हैं ठेले पर सब्जी- बेटी बन गईं सिविल जज, मां के छलके आंसू

Janjwar Desk
5 May 2022 4:45 PM IST
Vegetable Vendors Daughter Becomes Civil Judge : माता-पिता बेचते हैं ठेले पर सब्जी- बेटी बन गईं सिविल जज, मां के छलके आंसू
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Vegetable Vendor's Daughter Becomes Civil Judge : माता-पिता बेचते हैं ठेले पर सब्जी- बेटी बन गईं सिविल जज, मां के छलके आंसू

Vegetable Vendor's Daughter Becomes Civil Judge : किता के मुताबिक वो रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करती थीं, शाम को जब ठेले पर अधिक भीड़ हो जाती तो सब्जी बेचने चली जाती थीं....

Vegetable Vendor's Daughter Becomes Civil Judge : मध्यप्रदेश में सब्जीविक्रेता की बेटी अंकिता नागर सिविल जज (Vegetable Vendor's Daughter Becomes Civil Judge) बन गई हैं। ये खुशखबरी अंकिता ने सबसे पहले जब अपनी मां को दी तो वह सब्जी बेच रही थीं। अंकिता रिजल्ट प्रिंट आुट लेकर मां के पास गईं और बोली- मम्मी मैं जज बन गई।

अंकिता (Civil Judge Ankita Nagar) ने बताया कि रिजल्ट एक हफ्ते पहले ही जारी हो गया था लेकिन परिवार में किसी की मौत हो जाने के कारण सभी इंदौर (Indore) से बाहर थे। घर में गम का माहौल था इसलिए किसी को इस बारे में बता नहीं पाई।

25 वर्षीय अंकिता ने सिविल जज एग्जाम (Civil Judge Exam Anika Nagar) में अपने एससी कोटे में पांचवां स्थान हासिल किया है। अंकिता ने बताया कि उनके परिवार में सभी सदस्य सब्जी बेचने का काम (Vegetable Vendor's Daughter Becomes Civil Judge) करते हैं। पापा सुबह पांच बजे उठकर मंडी चले जाते हैं और मम्मी सुबह आठ बजे सभी के लिए खाना बनाकर पापा के सब्जी के ठेले पर चली जाती हैं, फिर दोनों सब्जी बेचते हैं। बड़ा भाई आकाश रेत मंडी में मजदूरी करता है। छोटी बहन की शादी हो चुकी है।

अंकिता के मुताबिक वो रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करती थीं। शाम को जब ठेले पर अधिक भीड़ हो जाती तो सब्जी बेचने चली जाती थीं। रात दस बजे दुकान बंद कर घर आ जाते थे फिर रात 11 बजे से पढ़ाई करने बैठ जातीं।

अंकिता ने बताया कि मैं तीन साल से सिविल जज की तैयारी कर रही हूं। 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से एलएलबी किया। इसके बाद 2021 में एलएलएम की परीक्षा पास की। पिता उधार लेकर कॉलेज की फीस भरते थे। कॉलेज के बाद लगातार सिविल जज की तैयारी में जुटी थी। दो बार सिलेक्शन नहीं होने के बाद भी माता-पिता हौसला दिलाते रहे। यही कारण है कि आज जैसे ही रिजल्ट मेरे हाथ लगा तो सबसे पहले खुशखबर ठेले पर जाकर मम्मी को दी।

अंकित ने अपने पुराने अनुभवों को लेकर कहा कि रिजल्ट में नंबर कम-ज्यादा आते रहते हैं लेकिन छात्र-छात्राओं को हौसला रखना चाहिए। असलफलता मिलने पर नए सिरे से कोशिशें करनी चाहिए। भविष्य़ में जरूर अच्छा रिजल्ट आएगा।

अंकिता ने बताया कि उनके घर में कमरे बहुत छोटे हैं। गर्मी में छत पर लगे पतरे इतने गर्म हो जाते हैं कि पसीने से किताबें गीली हो जाती हैं। बारिश में पानी टपकता है। गर्मी देख भाई ने अपनी मजदूरी से रुपये बचाकर कुछ दिन पहले ही एक कूलर दिलवाया है। मेरे परिवार ने मेरी पढ़ाई के लिए इतना कुछ किया है जिसे बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।

वहीं अंकिता के पिता अशोक नागर ने कहा कि अंकिता ने लंबे समय तक संघर्ष किया। हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे में अंकिता की पढ़ाई के लिए हमें कई बार रुपये उधार लेने पड़े, पर उसकी पढ़ाई नहीं रुकने दी। अंकिता की मां लक्ष्मी कहती हैं कि बेटी के जज बनने की खबर सुनते ही मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े। काफी देर तक आंसू रुके ही नहीं।

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