राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपनी किताब बिकवाने के लिए 27 विश्वविद्यालयों के VC को लगा दिया काम पर
(अपनी जीवनी का विमोचन करते कलराज मिश्रा.एक प्रति की कीमत 3999 रखी गई है.)
जनज्वार ब्यूरो। गुरूवार 1 जुलाई को राज्यपाल कलराज मिश्र का 80वां जन्मदिन था। इस मौके पर उनकी जीवनी के विमोचन के बाद राजस्थान के सभी 27 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने उनके साथ बैठक की और फिर अपने आधिकारिक वाहनों के लिए रवाना हुए। गाड़ी में बैठते ही सभी कुलपति हैरान रह गए क्योंकि सभी के लिए उनके वाहनों में किताबों के दो कार्टन रखे गये थे।
गाड़ियों में कार्टन रखने के साथ ड्राइवरों को एक बिल भी सौंपा गया था। हार्डकवर कॉफी टेबल प्रारूप में राज्यपाल की जीवनी की 19 प्रतियों के लिए 68,383 रुपये का बिल थमाया गया था। किताब का शीर्षक "निमित्त मात्र हूँ मैं" रखा गया है। इसके अलावा जीवनी की एक अतिरिक्त प्रति निःशुल्क थी।
राज्यपाल के साथ बैठक करने पहुँचे एक वीसी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि 'बैठक में किसी ने हमारे ड्राइवरों के नाम और नंबर लिए। हमने सोचा कि शायद यह उन्हें भोजन और पानी देने के लिए था, लेकिन यह सब कैसे किया गया, इस पर वीसी ने आश्चर्य व्यक्त किया।
सभी वीसी के ड्राइवरों को दिए गये बिल के मुताबिक 19 किताबों के लिए 3,999 रुपये का शुल्क लिया गया था, जो कि 75,981 रुपये तक है। जिसमें 10 फीसदी की छूट के बाद कुल 68,383 रुपये हो जाता है।
इस पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल लिखते हैं, 'राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपनी आत्मकथा लिखी है और इसका शीर्षक दिया है, "निमित्त मात्र हूँ मैं" लेकिन इसे बिकवाने के लिए उन्होंने प्रदेश के 27 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निमित्त बनाया।'
INDIAN EXPRESS में आज 4 जुलाई को प्रकाशित एक खबर के अनुसार इस पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर सभी 27 विश्वविद्यालयों के कुलपति बुलाए गए। पर जब वे वापसी के लिए अपनी गाड़ी पर आए तो हर गाड़ी में दो कार्टून रखे थे। इन कार्टून में इस पुस्तक की 20 प्रतियाँ रखी थीं। एक फ़्री दी गई और बाक़ी 19 के लिए हर एक के ड्राइवर को 68383 रुपए के बिल थमाये गए थे। राज भवन से कहा गया था, कि हर कुलपति इन्हें अपने विवि के लिए ख़रीद ले।उनकी यह आत्मकथा कॉफ़ी टेबल बुक की तरह हार्ड कवर वाली सजी-धजी थी। हर पुस्तक की क़ीमत 3999 रुपए है और कुल बिल में से दस प्रतिशत की छूट दी गई है। सारे कुलपति हैरान हैं कि वे महामहिम के दफ़्तर से मिले आदेश का पालन कैसे करें।'
कलराज मिश्र ने अपने 80वें जन्मदिन पर यह समारोह रखा था। वे भाजपा की पूर्ववर्ती जनसंघ के समय से राजनीति में हैं और फिर भाजपा के जन्म के समय से जुड़े हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका नाता है और ख़ुद को सिद्धांतवादी बताते हैं। वे भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के कई बार अध्यक्ष रहे हैं तथा प्रदेश सरकार में मंत्री भी। वे नरेंद्र मोदी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रहे हैं। उन्होंने राजस्थान का राज्यपाल बनते ही हर विश्वविद्यालय में संविधान की उद्देशिका का पाठ अनिवार्य कर दिया था। किंतु यह खबर तो उलट कहानी कह रही है।
महामहिम ऊँट की चोरी उस राजस्थान में निहुरे-निहुरे कर रहे हैं, जो वहाँ के गौरव का प्रतीक है और मरुभूमि की अनिवार्यता भी।
राज्यपाल की जीवनी, जिसका लंबे समय से ओएसडी गोविंद राम जायसवाल द्वारा सह-लेखन किया गया है, में कहा गया है कि बिक्री से प्राप्त आय राजस्थान और सामाजिक विज्ञान पर अनुसंधान परियोजनाओं पर खर्च की जाएगी, और किसी भी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
एक वीसी का कहना है कि 'सरकारी खरीद के नियम स्पष्ट रूप से राजस्थान सार्वजनिक खरीद (RTPP) अधिनियम, 2012 में निर्धारित किए गए हैं। विश्वविद्यालयों को इन पुस्तकों के साथ एकतरफा तरीके से कैसे लोड किया जा सकता है? राज्य के 27 विश्वविद्यालय तकनीकी, स्वास्थ्य, कृषि, पशु चिकित्सा, कानून इत्यादि जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ हैं। प्रत्येक विश्वविद्यालय को इतनी सारी किताबों के लिए बिल क्यों देना पड़ता है, और हम किस मद के तहत खर्च वहन करेंगे?'
जीवनी में मिश्रा के आरएसएस, जनसंघ और भाजपा के साथ लंबे जुड़ाव का विवरण है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक प्रस्तावना है। इसके पिछले पृष्ठ में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की समीक्षाएं हैं, जो इसे 'शानदार कृति' कहते हैं।
जीवनी के पेज 116 पर मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक तस्वीर है, जिसकी पृष्ठभूमि में भाजपा का प्रतीक कमल है। इसमें लिखा गया है कि 'आइए हम 'नए भारत' के निर्माण के आंदोलन का समर्थन करें। पार्टी से जुड़ें और इस मिशन में अपने हाथ मजबूत करें। एक भारत श्रेष्ठ भारत।'
एक वीसी का कहना है कि यह राज्यपाल के पद के औचित्य के खिलाफ है। वीसी कहते हैं, 'राज्यपाल वास्तव में लंबे समय से आरएसएस और भाजपा से जुड़े हुए हैं, लेकिन अपनी पूर्व पार्टी का प्रचार करना चांसलर के कार्यालय के लिए अशोभनीय है।' एक राज्य का राज्यपाल उसके विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति भी होता है।
जीवनी में ऐसी सामग्री के बारे में पूछे जाने पर जो भाजपा का समर्थन करती प्रतीत होती है, राज्यपाल के सचिव ने कहा, 'जिन लोगों ने पुस्तक लिखी है उन्हें पता होना चाहिए। मैंने इसे नहीं लिखा है, मैंने इसे नहीं पढ़ा है।'
राज्यपाल कलराज मिश्रा की जीवनी का विमोचन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था, जिसमें राजस्थान से सांसद व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी भी उपस्थित थे।