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पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी ज्यादा भुखमरी है भारत में - ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हमारा नंबर 107 पर

Janjwar Desk
15 Oct 2022 7:34 AM GMT
पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी ज्यादा भुखमरी है भारत में - ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हमारा नंबर 107 पर
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पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी ज्यादा भुखमरी है भारत में - ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हमारा नंबर 107 पर

Global Hunger Index 2022 : ग्लोबल हंगर इंडेक्स में सूडान, इथोपिया, रवांडा, नाइजीरिया, केन्या, गाम्बिया, नामीबिया, कम्बोडिया, म्यांमार, घाना, इराक, वियतनाम, लेबनान, गुयाना, यूक्रेन और जमैका जैसे देश भी भारत से ऊपर हैं।

Global Hunger Index 2022 : ताजा ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत ( India ) की स्थिति इस बार पहले से भी ज्यादा खराब है। भारत की स्थिति का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि 121 देशों में भारत 107वें स्थान पर है। दक्षिण एशियाई देशों में भारत से ज्यादा खराब स्थिति केवल युद्धग्रस्त अफगानिस्तान की है। नेपाल ( Nepal), बांग्लादेश (Bangladesh ), पाकिस्तान ( Pakistan ) और श्रीलंका ( Sri Lanka ) जैसे भी हमसे आगे हैं। जीएचआई के मुताबिक श्रीलंका (64), नेपाल (81), बांग्लादेश (84) और पाकिस्तान (99) से भी नीचे है।

ताज्जुब की बात यह है कि इस इंडेक्स ( GHI ) में सूडान, इथोपिया, रवांडा, नाइजीरिया, केन्या, गाम्बिया, नामीबिया, कम्बोडिया, म्यांमार, घाना, इराक, वियतनाम, लेबनान, गुयाना, यूक्रेन और जमैका जैसे देश भी भारत से कहीं ऊपर हैं।

भूख और कुपोषण पर नजर रखने वाले ग्लोबल हंगर इंडेक्स की वेबसाइट के मुताबिक चीन, तुर्की और कुवैत सहित 17 देशों ने 5 से कम जीएचआई स्कोर के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया है। भारत का जीएचआई स्कोर 29.1 यानि गंभीर स्थिति का सूचक है। आयरिश सहायता एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ़ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए इस रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को गंभीर स्तर का माना गया है।

8 साल में भारत की स्थिति पहले से ज्यादा खराब

साल 2021 में भारत 116 देशों की सूची में 101 स्थान पर था लेकिन इस बार 121 देशों की लिस्ट में भारत छह अंक लुढ़ककर 107वें नंबर पर पहुंच गया है। इसके साथ ही भारत का जीएचआई स्कोर भी गिर गया है। 2000 में यह 38.8 था जो 2014 और 2022 के बीच 28.2 से 29.1 के बीच पहुंच गया है। भारत की रैंकिंग गिरने के बाद सरकार ने पिछले साल इस रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स की गणना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति अवैज्ञानिक है।

ये है हंगर रेट को मापने का ट्रैक

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख के स्तर को मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। जीएचआई स्कोर चार घटक संकेतकों के मूल्यों पर आधारित होते हैं। इनमें अल्पपोषण, बाल स्टंटिंग, शारीरिक विकास और और बाल मृत्यु दर शामिल हैं। जीएचआई स्कोर की गणना 100 अंकों के पैमाने पर की जाती है जो भूख की गंभीरता को दर्शाता है, जहां शून्य सबसे अच्छा स्कोर है (भूख नहीं) और 100 सबसे खराब है।

2000 के बाद चाइल्ड वेस्टिंग रेट सबसे ज्यादा

भारत में चाइल्ड वेस्टिंग यानि हाईट और कम वजह के लिहाज से 19.3% जो 2014 (15.1%) और यहां तक ​​कि 2000 (17.15%) में दर्ज स्तरों से भी बदतर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की बड़ी आबादी के कारण यहां का औसत ज्यादा है।

22.43 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार

कुपोषण के लिहाज से भी देखों तो भारत में 2018-2020 में 14.6% से बढ़कर 2019-2021 में 16.3% हो गई है। वर्तमान में भारत में 224.3 मिलियन लोगों को कुपोषित माना जाता है जो विश्व स्तर पर कुपोषित कुल 828 मिलियन लोगों में से है।

चाइल्ड स्टंटिंग और मृत्यु दर में सुधार

वहीं भारत ( India ) ने दो संकेतकों में सुधार दिखाया है। 2014 और 2022 के बीच बाल स्टंटिंग 38.7% से घटकर 35.5% हो रह गया है। इसी अवधि में बाल मृत्यु दर भी 4.6% से गिरकर 3.3% हो गई है।

खराब हालात के लिए कोविड, महंगाई और युद्ध जिम्मेदार

पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक स्तर पर भूख के खिलाफ प्रगति रुकी हुई है। दुनिया के लिए 2022 का GHI स्कोर मध्यम माना जाता है, लेकिन 2022 में 18.2, 2014 में 19.1 से थोड़ा ही सुधार है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन, COVID-19 महामारी के आर्थिक नतीजों जैसे अतिव्यापी संकटों के कारण है। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक खाद्य, ईंधन और उर्वरक की कीमतों में वृद्धि भी हुई है। उम्मीद है कि 2023 और उसके बाद भी भूख बढ़ेगी।

पीएम कब करेंगे भुखमरी का इलाज

Global Hunger Index 2022 : कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 8 साल में 2014 के बाद से हमारा स्कोर खराब हुआ है। उन्होंने ट्विटर पर पूछा है कि माननीय प्रधानमंत्री कब बच्चों के बीच कुपोषण, भूख और लाचारगी जैसे वास्तविक मुद्दों का समाधान करेंगे?


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